अभिग्रहधारी राजेशमुनिजी ने दी तनाव से बचने की सीख
हरमुद्दा
रतलाम,9 फरवरी। अभिग्रहधारी, उग्र विहारी, तप केसरी श्री राजेशमुनि जी ने रविवार के प्रवचन में तनाव से बचने की सीख दी। उन्होंने कहा कि तनाव दूर करने के लिए ना कहना भी सीखना चाहिए। समय कम है और कार्यक्रम ज्यादा है, तो तनाव बढ़ेगा ही। इसलिए तनाव से बचे। तनाव शरीर में रहेगा, तो भले ही पैरालिसिस नहीं आएगा,लेकिन तनाव यदि मन में रहेगा तो पूरे शरीर को खराब कर देगा।
नोलाईपुरा स्थित श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक में आयोजित धर्मसभा में मुनिश्री ने कहा कि कोई भी व्यक्ति तनाव में तब आता है, जब अपेक्षाएं अधिक कर लेता है। कमाई कम हो और खर्च बढ़ जाता है। अनैतिक कार्य में पकड़े जाने की संभावना हो अथवा घर-परिवार वाले आज्ञा नहीं मानते, तो तनाव आता है। तनाव से बचने के लिए जीवन के अच्छे पलों को याद करे,कमजोर पलों को भूलने का प्रयास करे। गलतफहमी तुरंत दूर करने का प्रयास करें। किसी के बारे में तुरंत निर्णय नहीं ले और धैर्य रखें। धैर्य से शायद हमारी गलतफहमी दूर हो जाए।
दुनिया में जितने भी लोग हैं, वे सभी अपूर्ण
उन्होंने कहा दुनिया में जितने भी लोग हैं, वे अपूर्ण है। इस बात को सदैव ध्यान रखें। जीवन में यदि गरीब परिवार में जन्म मिलता है, तो राष्ट्रपति एपीजे अब्दुल कलाम को याद करे। यदि घर के राजा है, तो भगवान राम के वनवास को और यदि जेल में जन्म हो, तो श्रीकृष्ण को याद करे। इसी प्रकार यदि जेल जाना पड़ रहा हो ,तो महात्मा गांधी को याद कर सोचे कि बिना सहन किए कोई व्यक्ति महान नही बनता है। असफल होने वाले को वैज्ञानिकों का स्मरण करना चाहिए,जो असफल होने के बाद भी दिन-रात खोज में लगे रहते है। तनाव प्रबंधन के लिए तन घूमे,तो स्वस्थ रहेगा,जबकि मन स्थिर रहेगा तो स्वस्थ रहेगा।
दुनिया असफल होने वालों का मजाक उड़ाती है और सफल होने वालों से जलती
मुनि श्री ने कहा की शारीरिक गतिविधि भी हमारे तनाव को कम करती है। किसी के सामने मन की बात कहना, गहरी सांस लेना, दो मिनट के लिए सिर,आंखें ऊंची करना हमारे मन के विचारों को तुरंत परिवर्तित करता है। दुनिया क्या सोचेगी, यह महत्वपूर्ण नहीं है। दुनिया असफल होने वालों का मजाक उड़ाती है और सफल होने वालों से जलती है। कोई भी व्यक्ति सबको संतुष्ट नहीं कर सकता। संतुष्ट करने वाला खुद असन्तुष्ट हो जाता है, इसलिए अपने विवेक से काम ले और तनाव नहीं पालेंगे,तो ही जीवन सफल होगा।
दर्शन वंदन कर लिया आशीष
आरंभ में सेवाभावी श्री राजेंद्रमुनिजी म.सा. ने विचार रखे। संचालन सौरभ मूणत ने किया। मुनिश्री के प्रवचन 10 फरवरी को श्री धर्मदास जैन मित्र मंडल स्थानक में प्रातः 9 :15 से 10: 15 बजे तक होंगे। रविवार को बलसाड़, कास्या, जावरा, इंदौर, कोटा आदि अनेक स्थानों के धर्मालुजनो ने मुनिश्री के दर्शन-वंदन कर आशीर्वाद लिया।
1679 वां अभिग्रह किया पूरा
बेले की तप आराधना कर रविवार को अभिग्रहधारी, उग्र विहारी, तप केसरी श्री राजेशमुनि जी ने अपना 1679 वां अभिग्रह पूरा किया। इस अभिग्रह में उन्होंने संकल्प लिया था कि कोई व्यक्ति ऐसा मिले, जिसके हाथों में हिंदी या अंग्रेजी में लिखा हुआ मिले और वह बैठकर विनती करें। उसके हाथ में दो रंग की खाने की वस्तु हो, तो शुरुआत करना। इसके साथ ही कोई ऐसा व्यक्ति हो, जिसके बालों में कोई धागा हो। कोई दो जोड़े किचन में हो। कोई सधवा महिला क्रीम या सफेद स्वेटर में हो। किसी के हाथ में पांच अंगूठी हो और उनके नग सफेद, लाल, पीले, हरे हो। कोई व्यक्ति के शर्ट की बटन अलग-अलग हो, तो पारणा करना। मुनिश्री इस संकल्प के साथ निकले, तो वर्षा दख के हाथ में लिखा मिला। उन्होंने बैठकर विनती की और उनके हाथ मे गुड़ तथा केशर भी थे। आनन्द छाजेड़ के बाल में धागा था। बलसाड़ की निया बेन स्वेटर में मिली। विकास पितलिया के हाथ मे अंगूठियां थी बलसाड़ के दिव्येश के बटन अलग-अलग रहे। दो जोड़े कनकमल-कविता कटारिया और इंदौर के धीरेंद्र-भावना के रूप में मिले। इसके बाद भगतपुरी में केशरीमल दख परिवार में मुनिश्री ने पारणा किया।