मानसिक शांति जीवन की सबसे बड़ी दौलत : रुचिका चौहान

🔲 कलेक्टर ने धामनोद स्थित धम्मरत विपश्यना केंद्र में की मिनी आनापान ध्यान साधना

हरमुद्दा
रतलाम, 17 फरवरी। मुझे रतलाम में पदस्थ हुए अप्रैल में दो वर्ष पूरे हो जाएंगे। आज से पहले यह पता नहीं था कि यहां ऐसा साधना केंद्र भी है। मौजूदा दौर में मानसिक शांति के लिए विपश्यना जैसी साधना और केंद्र काफी उपयोगी हैं क्योंकि जीवन में मानसिक शांति ही सबसे बड़ी दौलत है। महज 10 मिनट की मिनी आनापान ध्यान साधना ने ही सुखद अनुभूति दी है। मैं यहां पुनः आऊंगी और ध्यान साधना करूंगी।

यह बात कलेक्टर रुचिका चौहान ने जिला मुख्यालय से 15 किमी दूर धामनोद स्थित विपश्नयना साधना केंद्र “धम्मरत” में कही। वे यहां आयोजित विशेष ध्यान शिविर में बोल रहीं थी।

साधकों से ली कलेक्टर ने दिनचर्या की जानकारी

इस दौरान उन्होंने विपश्यना साधना का जीवन में महत्व जाना और शिविर के दौरान साधकों की दिनचर्या की जानकारी भी ली। इस दौरान प्रोजेक्टर के माध्यम से आचार्य सत्यनारायण गोयंका के विपश्यना के महत्व व लाभ संबंधी व्याख्यान भी प्रदर्शित किया गया। कलेक्टर चौहान ने शिविर में शामिल हुए अन्य साधकों के साथ मिनी आनापान ध्यान साधना भी की।

23 से दस दिवसीय शिविर

विपश्यना केंद्र और शिविर की जानकारी आचार्य एवं पश्चिम क्षेत्र के क्षेत्रीय आचार्य डॉ. एन. एस. वाधवानी और केंद्राचार्य डॉ. शारदा वाधवानी ने दी। उन्होंने बताया 23 फरवरी से 10 दिवसीय शिविर का आयोजन किया जाएगा। इसके लिए रेलवे द्वारा अपने कर्मचारियों को 9 दिन का सवैतनिक अवकाश भी प्रदान किया जाता है। क्षेत्रीय आचार्य ने कलेक्टर चौहान और अधीनस्थ अधिकारियों-कर्मचारियों को भी इसका लाभ लेने के लिए कहा।

70 लोगों ने लिया शिविर का लाभ

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अलग-अलग सत्रों में हुए शिविर का लाभ 70 साधक-साधिकाओं ने लिया। इस दौरान ट्रस्टी डॉ. नीलेश वाधवानी, डॉ. रवि दिवेकर, डॉ. सुनीता वाधवानी, डॉ. रश्मि दिवेकर, पत्रकार नीरज कुमार शुक्ला, केंद्र सेवक रघुनाथ सिंह, सुशीला दिवेकर सहित अन्य मौजूद रहे।

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