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जेल प्रवास को सजा मत समझो, यह है प्रायश्चित का स्थल : पुलकसागरजी

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🔲 सर्किल जेल में कैदियों को दी जीवन परिवर्तन की सीख

हरमुद्दा
रतलाम, 21 फरवरी। कई डाकू, संत के सत्संग से जीवन को सफल कर गए। ये संगति का असर था। जेल प्रवास को सजा मत समझो, तुम्हे जेल में अपराध का प्रायश्चित करने भेजा गया है। जेल एक सुधारालय है। यहां जीवन को आनंदमय बनाओ, भगवान् का नाम लो, पांचों समय की नमाज अदा करो, राम का नाम जपो और परमात्मा को याद करो।

यह बात आचार्य पुष्पदंत सागरजी महाराज के यशस्वी शिष्य, राष्ट्रसंत, भारत गौरव प.पू. आचार्य श्री 108 श्री पुलक सागर जी महाराज ने सर्किल जेल में कैदियों के बीच कही। जेल में प्रवचन के दौरान कई कैदी पुलकसागरजी को सुनकर भाव विह्वल हो गए।

कृष्ण बनकर ही निकले जेल से बाहर

आचार्यश्री ने कहा कि जेल में आदतों को बदलते का जो अवसर मिला है,उसका लाभ लेकर सभी कृष्ण बनकर ही जेल से बाहर निकले। सभी कैदी बुरी आदते और आचरण को छोड़, अच्छी संगत को अपनाएं ताकि आगे का जीवन सुधर सके। आचार्य श्री ने कहा श्रद्धा से जेल को भी मंदिर बनाया जा सकता है। तुम्हारे जीवन में जो हो गया, सो हो गया। ईश्वर की अदालत जो सजा देती है, वह दिखाई नहीं देती। जेल में तुमको ऊपर वाले ने ही भेजा है, इसलिए यहां रहकर अपने सारे कर्मो का प्रायश्चित कर लो, तो भविष्य में ऊपरवाले की अदालत में जाने की जरुरत ही नहीं पड़ेगी।

समाज में रहकर सजा भुगतना परिजनों के लिए कम नहीं

आचार्यश्री ने कहा कि तुम जेल में बंद हो और परिवार बाहर सजा भुगत रहे होंगे। समाज में बैठकर सजा भुगतना कम नहीं होता। उन्होंने कहा कि इंसान गलतियों का पुतला होता है। संत रबर की तरह होते है, जो दुसरों की गलतियों को मिटा दिया करते है। गलतियां महापुरुषों से भी होती है। कैकई और युधिष्ठिर से भी गलतियां हुई थी। माता-पिता और परमात्मा हमेशा कमजोर बच्चो के साथ होते है और उनका ध्यान रखते है। तुम्हारे साथ परमात्मा है, अतः आचरण सुधारकर जीवन को सफल बनाओ।

यह थे मौजूद

प्रवचन के दौरान सर्किल जेल में कलेक्टर रुचिका चौहान, जेलर आरआर डांगी, उप जेलर वीबी प्रसाद, आचार्य श्री पुलक सागर सेवा समिति रतलाम के सरंक्षक चंद्रप्रकाश पांडे, अध्यक्ष राजेश जैन भूजियावाला, सचिव अभय जैन, कमलेश पापरीवाल, मांगीलाल जैन, ओम अग्रवाल, विजय जैन, सुनील जैन, हेमन्त जैन सहित सकल दिगम्बर जैन समाज उपस्थित था।

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