वेब पोर्टल हरमुद्दा डॉट कॉम में समाचार भेजने के लिए हमें harmudda@gmail.com पर ईमेल करे 90 वर्षीय कवि निर्मल चंद निर्मल की 21 वीं काव्य कृति " जगत मेला चलाचल का" विमोचित -

90 वर्षीय कवि निर्मल चंद निर्मल की 21 वीं काव्य कृति ” जगत मेला चलाचल का” विमोचित

हरमुद्दा

सागर, 11मार्च। नगर के सुप्रसिद्ध कवि निर्मल चंद निर्मल की 21 वीं काव्य कृति “जगत मेला चला चल का” का विमोचन मध्य प्रदेश हिंदी साहित्य सम्मेलन सागर इकाई द्वारा आदर्श संगीत महाविद्यालय में आयोजित एक गरिमामय कार्यक्रम में हुआ।

युवा पीढ़ी ले साहित्य से प्रेरणा : जैन

कार्यक्रम के मुख्य अतिथि बरकतउल्ला विश्वविद्यालय के पूर्व कुलपति प्रोफेसर उदय जैन ने निर्मल जी के जीवन और साहित्यिक अवदान से युवा पीढ़ी को प्रेरणा लेने का परामर्श दिया।

रचनाएं काव्य के बनाएगी इतिहास : आचार्य

अध्यक्षीय उद्बोधन में प्रो सुरेश आचार्य ने कहा कि अच्छी कविता के लिए अपने समय, समाज, संस्कृति और साहित्य की जानकारी होना अनिवार्य है। इस मायने में निर्मल जी बहुपठ और बहुश्रुत हैं। इसलिए उनकी रचनाएं काव्य के इतिहास में अपना स्थान अवश्य बनाएंगी।

संस्कारी व्यक्तित्व ने संतानों को भी बनाया संस्कारी : पांडेय

विशिष्ट अतिथि डॉ. लक्ष्मी पांडेय ने कहा कि जिस दार्शनिकता की पृष्ठभूमि पर सारे जीवन की महत्वपूर्ण घटनाओं का अध्ययन होता है। उसी आधार पर चल अचल को जोड़कर यह संसार बनता है। निर्मल जी के संस्कारी व्यक्तित्व ने उनकी संतानों को भी संस्कारी बनाया है। यह उनकी कविता की ही उपलब्धि है।

कवि के लक्ष्यों को सुंदरता से करता है पूर्ण : डॉ. दवे

पुस्तक पर समीक्षा लेख प्रस्तुत करते हुए कवयित्री डॉ.चंचला दवे ने कहा कि किसी भी कृति की समीक्षा साहित्य की संवाहक होने के साथ परिष्कारक भी होना चाहिए। यह कविता संग्रह उदार भावों की प्रतिस्थापना, मानवीय मूल्यों का संरक्षण, विकास एवं उन सब में जीवन के लिए जगह बनाने का काम करता है। यह संग्रह कवि के लक्ष्यों को सुंदरता से पूर्ण करता है।

रचना कर्म उच्च स्तरीय और पठनीय : त्रिपाठी

समालोचक टीकाराम त्रिपाठी ने भी पुस्तक पर अपने विचार व्यक्त करते हुए कहा कि मैंने उनकी समस्त कृतियों का अध्ययन किया है। उनका रचना कर्म उच्च स्तरीय और पठनीय है।

विभिन्न संस्थाओं ने किया निर्मल जी का अभिनंदन

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इस अवसर पर नगर की समस्त साहित्यिक सांस्कृतिक संस्थाओं द्वारा निर्मल जी का शाल, श्रीफल, पुष्पहार एवं अभिनंदन पत्र भेंट कर सम्मान किया। स्वर संगम समिति के अध्यक्ष हरि सिंह ठाकुर ने जीवन परिचय का वाचन किया। निर्मल जी ने अपने वक्तव्य में आयोजक संस्था एवं समस्त लोगों के प्रति अपना आभार प्रकट किया।

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निर्मल जी कलम बेहद निर्मल : ठाकुर

इस अवसर पर निर्मल जी को उनके 90 वें जन्मदिन पर बधाई देते हुए समाजवादी चिंतक रघु ठाकुर ने कहा कि इस वय में भी निर्मल जी का साहित्य के प्रति प्रेम व समर्पण अभिभूत कर देने वाला है। उन्होंने कहा कि कविता श्रृंगार की वस्तु नहीं है। निर्मल जी कलम बेहद निर्मल है, वे लगातार सक्रिय हैं। दर्शन के काव्य का संपूर्ण जगत में मान होता है।

प्रारंभ में किया अतिथियों ने दीप प्रज्वलन

कार्यक्रम का प्रारंभ अतिथियों द्वारा दीप प्रज्वलन व मां सरस्वती के पूजन अर्चन से हुआ। लोक गायक देवीसिंह राजपूत ने‌ सरस्वती वंदना की। उमाकान्त मिश्र ने कार्यक्रम परिचय तथा आयोजक संस्था मध्य प्रदेश हिन्दी साहित्य सम्मेलन सागर की उपाध्यक्ष डॉ. चंचला दवे ने स्वागत भाषण दिया। संचालन म प्र हिन्दी साहित्य सम्मेलन सागर के कोषाध्यक्ष प्रदीप पांडेय एवं श्यामलम् सचिव कपिल बैसाखिया ने ‌किया। आभार संस्था के‌ कार्यकारिणी सदस्य आरके तिवारी ने माना।

यह थे मौजूद

इस अवसर‌ पर शंभू दयाल पाण्डेय, हरगोविंद विश्व, डॉ.जीवनलाल जैन, मणिकांत चौबे, मुन्ना शुक्ला, डॉ दिनेश अत्रि, डॉ. आशीष द्विवेदी, डॉ. शशिकुमार सिंह, डॉ.आरआर पांडेय, शिवरतन यादव, डॉ. रजनीश जैन, ओपी दुबे, सुनीला सराफ, नंदिनी चौधरी, डॉ. अंजना पाठक, ज्योति विश्वकर्मा, डॉ. वंदना गुप्ता,डॉ. अलका शुक्ला, दीपा भट्ट, राजेन्द्र दुबे कलाकार, जी एल छत्रसाल, राधाकृष्ण व्यास, डॉ. विनोद तिवारी, अमित आठिया, डॉ. अरविंद गोस्वामी, डॉ. रामानुज गुप्ता, डॉ. बीडी पाठक, डॉ. सीताराम श्रीवास्तव भावुक, पूरनसिंह राजपूत, डॉ. अनिल जैन, ऋषभ समैया जलज, गोविंद दास नगरिया, लक्ष्मी नारायण चौरसिया, डॉ. गजाधर सागर,‌ केएल तिवारी अलबेला, कुंदन पाराशर, डॉ. अशोक कुमार तिवारी, पेट्रिस फुसकेले, अंबिका यादव, अम्बर‌ चतुर्वेदी, अशोक तिवारी अलख, वृंदावन राय सरल, मुकेश तिवारी, रमेश दुबे, मुकेश निराला, प्रभात कटारे, शिब्बू नामदेव, प्रभात कटारे, आदर्श दुबे, आनंद मिश्र अकेला, पीआर मलैया, कैलाश तिवारी, नवनीत जैन, डॉ. नलिन जैन, प्राशु, सोनू जैन, ओपी रिछारिया, नदीम राइन, डॉ.आस्था जैन, कौशिल्या जैन, सुषमा जैन, माया जैन, नायरा जैन, पुष्पदंत हितकर, दामोदर‌ अग्निहोत्री सहित बड़ी संख्या में साहित्य प्रेमियों की उपस्थिति उल्लेखनीय रही।

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