कोरोना : काम से कर्मचारियों को राहत, प्रदेश के लाखों शिक्षक हैं आहत

🔲 आखिर क्या गुनाह है शिक्षकों का

🔲 क्या शिक्षक प्रजाति अजर अमर है?

🔲 ऐसे में निजी विद्यालय ने की अनुकरणीय पहल

हेमंत भट्ट
रतलाम, 21 मार्च। कोरोना के कहर को काबू करने के लिए केंद्र के निर्देश पर देशभर में सरकार और प्रशासन को अपनी कार्यप्रणाली बदलना पड़ी। केंद्र और राज्य सरकारों के भी कर्मचारियों को भी कार्य करने से राहत मिल गई, मगर मध्यप्रदेश के लाखों शिक्षक आहत है। उन्हें स्कूल जाने से छुट्टी नहीं मिली है। ऐसे में एक निजी विद्यालय ने अनुकरणीय पहल की।

IMG_20200317_080734

बार-बार लगातार शिक्षक समुदाय ही क्यों पिसता है। आखिर किस गुनाह की सजा मिलती है ? लगता है शासन ने शिक्षक प्रजाति को अजर अमर मान लिया है। इसीलिए अंतरराष्ट्रीय संक्रमण के बाद भी शिक्षकों को स्कूल में मौजूद होना है। शिक्षकों को क्या सैनिटाइजर मान लिया है कि उन्हें कोरोना नहीं होगा।

सब की छुट्टी मगर शिक्षक की ड्यूटी

मुद्दे की बात तो यह है कि प्रदेश सरकार ने समस्त शासकीय एवं निजी विश्वविद्यालयों, महाविद्यालयों, हाई स्कूल, हायर सेकेंडरी स्कूल, माध्यमिक विद्यालय, प्राथमिक विद्यालय सभी में विद्यार्थियों की छुट्टी कर दी है। यहां तक की परीक्षाएं निरस्त कर दी गई है। मूल्यांकन कार्य स्थगित कर दिया गया है, लेकिन शिक्षकों को स्कूल में आना अनिवार्य है।

अधिकांश शिक्षक शिक्षिकाएं करते हैं अब डाउन

यह तो सर्वविदित है कि अधिकांश ग्रामीण क्षेत्रों के स्कूलों में सेवा देने वाले शिक्षक हर दिन अप डाउन करते हैं। जबकि सरकार के निर्देश हैं कि जरूरी हो तो ही यात्रा करें अन्यथा न जाएं। यहां तक कि रेलवे ने तो कई गाड़ियां निरस्त कर दी गई है और 22 मार्च को तो अधिसंख्य ट्रेनें नहीं चलेगी। बावजूद इसके शिक्षक-शिक्षिकाओं को मजबूरी में यात्रा करना पड़ रही है। ऐसे में संक्रमण के शिकार शिक्षक समुदाय ही ज्यादा हो सकता हैं। आखिर शिक्षक स्कूल में जाकर क्या कर लेंगे ? वह कार्य घर पर भी कर सकते हैं लेकिन उनके लिए ऐसा कोई निर्देश नहीं दिया गया है। इस मामले में जिम्मेदार अधिकारी भी मौन है।

रोस्टर के हिसाब से होगा कार्यालयों में कार्य

जबकि केंद्रीय और शासकीय दोनों कार्यालयों में 50 फीसद कर्मचारियों को छूट मिल गई। रोस्टर प्रणाली के आधार पर शासकीय कार्यालयों में कार्य होगा। एक दिन छोड़कर कर्मचारियों को कार्यालय में आने की ड्यूटी तय कर दी गई है। रतलाम कलेक्टर रुचिका चौहान ने भी सभी शासकीय कार्यालयों में रोस्टर प्रणाली के आधार पर कार्य करने के निर्देश दिए हैं।

संवेदनात्मक पहलू का रखना चाहिए ध्यान

अनेक शिक्षक संगठनों के नेताओं और पदाधिकारियों का कहना है कि इस मामले में तो सरकार को मानवीय एवं भावनात्मक संवेदना का ध्यान रखना चाहिए।

सवैतनिक दे दिया अवकाश

श्री सिखवाल ब्राह्मण समाज देवस्थान न्यास द्वारा संचालित श्री महर्षि श्रृंग विद्यापीठ के सह सचिव सतीश त्रिपाठी ने बताया कि 31 मार्च तक शिक्षक-शिक्षिकाओं को सवैतनिक अवकाश दे दिया गया है। इस अनुकरणीय कार्य का निर्णय प्रबंध समिति के लोगों ने लिया है।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *