संयम, संकल्प, समर्पण, सहयोग ने सिखाया संसार को सेहत का सबक

🔲 हेमंत भट्ट

संयम से घर रहने के संकल्प को समर्पण के साथ पूरा किया। सहयोग की भावना के संदेश ने संसार को सेहत का सबक सीखा दिया। एक ( प्रधानमंत्री ) की अच्छाई देशवासियों को भाई, सकारात्मक के साथ अहिंसा से शुरू की नेकी की लड़ाई। कोरोना की होगी अब जग से विदाई।

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रविवार को हुए जनता कर्फ्यू ने साबित कर दिया कि यदि मन में है विश्वास, पूरा है विश्वास तो हम होंगे कामयाब। बुधवार की रात को जब प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने जनता कर्फ्यू की बात कही थी। तब ऐसा लग रहा था कि ऐसा सब कैसे होगा? लेकिन रविवार को देशवासियों ने मोदी जी के मंतव्य को गंतव्य तक पहुंचाया और जनता कर्फ्यू को सार्थक बनाया।

परमार्थ के विचार और करोड़ों का कारवां घर पर

नहीं करने वालों के लिए तो वैसे तो कई सारे उदाहरण है कि अकेला चना भाड़ नहीं फोड़ सकता, अकेले के बस की बात नहीं है। कैसे होगा, नहीं होगा, आदि तरह-तरह के विचार आते हैं। परमार्थ के विचार हो तो कदम डगमगाते नहीं हैं और वे सफलता के शिखर की ओर बढ़ते जाते हैं। इस तरह से अकेला व्यक्ति भी नेक राह पर चलता है तो कारवां घर पर ही रहने के लिए बढ़ता जाता है।

और आसान हो गया

जब देश के प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने मन की बात करोड़ों के मन तक पहुंचाई तो, देशवासियों के मन में हिम्मत, हौंसला और जुनून जिद की हद तक पहुंच। असंभव लगने वाला जनता कर्फ्यू जन-जन के लिए आसान हो गया। शासन-प्रशासन को ज्यादा मशक्कत नहीं करना पड़ी। गणतंत्र के लिए मोदी मंत्र की सार्थकता सिद्ध हो गई।

5 बजते ही वातावरण में गूंजने लगी शंख ध्वनि घंटा ध्वनि

जैसे ही घड़ी में 5 बजे। वैसे ही लोग अपने-अपने घरों के बाहर बालकनी में छत पर जाकर शंख ध्वनि, घंटा ध्वनि की। पूरा वातावरण मधुर ध्वनियों से गूंज उठा। थाली बजाई, ताली बजाई और अपनों के प्रति आभार व्यक्त किया। हालांकि प्रधानमंत्री जी ने तो 5 बजे केवल 5 मिनट तक के लिए ऐसा करने के लिए आह्वान किया था। मगर करोड़ों देशवासियों ने तकरीबन 30 मिनट तक ऐसा करके अपने मन के भाव को अपनों के प्रति व्यक्त किया।

चल गया मोदी का जादू

आखिरकार रविवार को मोदी का जादू सिर चढ़कर मौन बोलने लगा। कुछ घंटों का जनता कर्फ्यू अब कई दिन तक भी चल जाए तो करोड़ों देशवासियों को कोई गुरेज नहीं है। मकसद सिर्फ यही है कि सभी स्वस्थ रहें, मस्त रहें, व्यस्त रहें। कोई भी कोरोना से कोई पस्त न रहे।