बोझ न समझें, आपकी सुरक्षा के लिये यातायात नियम, अनदेखी करना घातक
सड़क सुरक्षा सप्ताह पर विशेष
लोगों को यातायात के प्रति जागरूक करने और सड़क सुरक्षा के उद्देश्य से 4 से 10 फरवरी तक 30वाँ राष्ट्रीय सड़क सुरक्षा सप्ताह मनाया जा रहा है। सप्ताह के दौरान प्रदेश में सड़क सुरक्षा संबंधी विभिन्न कार्यक्रम आयोजित कर नागरिकों को जागरूक किया जा रहा है।
आसान है, सड़क सुरक्षा के नियमों का पालन कर असामयिक मृत्यु से बचा जा सकता है। सड़क सुरक्षा सप्ताह का उद्देश्य भी यही है कि हमारी, आपकी और दूसरों की भी जान बच सके।
नियम, कायदे, कानून आपकी सुरक्षा के लिये बनाये गये हैं। इनका पालन करना सुनिश्चित करना होगा। कब तक पुलिस या बुद्धिजीवी आपको समझाइश देते रहेंगे। आपको खुद को अपनी और अपने परिवार की चिन्ता करनी होगी। इसके लिये आपको सड़क सुरक्षा संबंधी यातायात के नियमों का पालन करना होगा। इनको बोझ समझकर अनदेखी करना घातक सिद्ध हो सकता है। सड़क हादसे में होने वाली मौतों की संख्या लगातार बढती जा रही है। इसके लिये दूसरों को नहीं अपने आप को ही बदलकर जिम्मेदार नागरिक बनना होगा। जिससे की आपका पूरा परिवार सुख, शांति से जी सके और चालान के पैसों को बचाकर घर-गृहस्थी की जरूरत पूरी करे। सड़क पर चलने के कई नियम हैं जिनका पालन करना बहुत जरूरी है। इसी प्रकार जाने-अनजाने कई गलतियाँ भी सड़क पर होती हैं, उन्हें भी दूर करना होगा। इसमें एक है सड़क पर रैली, धरना-प्रदर्शन, बारात और धार्मिक यात्रा निकालना आदि। इसके पीछे का कारण यह है कि आये दिन इन गतिविधियों के होने से बीमार, गंभीर घायल या किसी महत्वपूर्ण काम के लिये निकला व्यक्ति अनायास ही भीड़-भाड़ और जाम में फँसता है। यहाँ तक कि बीमार तथा गंभीर घायल व्यक्ति का समय से इलाज न होने के कारण वह अपनी जान गवां देता है। तो क्या.. आपको क्या फर्क पड़ता है। यह मत सोचिये, इसका शिकार कभी आप स्वयं, परिवार या आपके मित्र-सगे-संबंधी भी हो सकते हैं। तब जरूर फर्क पड़ेगा न!
सड़क पर बहुत कुछ नहीं होना चाहिये। उनमें से एक है होर्डिंग। देखने में आता है कि चौराहे हो या मोड़, जगह-जगह होर्डिंग रखने की होड़-सी चली है। इसके कारण विजिबिलिटी नहीं होती और वाहन एक-दूसरे से टकराने का भय हमेश बना रहता है। इस पर भी बहुत गंभीरता से विचार कर ध्यान देने की जरूरत है। साथ ही चौराहे पर लगे होर्डिंग से सिग्नल नहीं दिखते, इससे भी दुर्घटना होने का खतरा बना रहता है। इस ओर भी ध्यान देने की जरूरत है।
और जल्दी किस बात की यह आज तक नहीं समझ में आया। गाड़ी को एक नियत और सधी गति में चलाने से आप भी सुरक्षित हैं और आपका वाहन भी।
जहाँ दोपहिया वाहनों पर ओवर लोडिंग और मोबाइल पर बात करना सड़क दुर्घटना को आमंत्रित करता है। वहीं चार पहिया वाहनों में सीट बेल्ट लगाने से दुर्घटनाओं में होने वाली मृत्यु से बचा जा सकता है। सड़क दुर्घटनाओं के विभिन्न कारणों में से एक शराब पीकर वाहन चलाना भी है। चालक को स्वयं सावधानी से वाहन का उपयोग करना चाहिये।
जरूरी है कि लंबी दूरी की सड़क यात्रा से बचा जाये। अत्यंत आवश्यक होने पर ही यह यात्रा की जाना चाहिये। प्राय: देखने में यह आता है कि नागरिक लंबी दूरी की यात्रा के समय ड्रायवर का सहारा लेते हैं और लंबे समय लगातार बिना रुके वाहन चलवाते हैं। ऐसे समय वाहन चालक को आराम देने की जरूरत है। रात के समय तो सफर करने से बचना ही चाहिये, क्योंकि राष्ट्रीय और राजकीय राजमार्ग पर अधिकांश दुर्घटनाएँ वाहन चालक को नींद का झोंका आने के कारण हुई पायी गयीं।
अधिकतम 70-80 किलोमीटर प्रति घंटे की रफ्तार से ज्यादा वाहनों की गति नहीं रखने में ही समझदारी है। अत्यधिक बारिश, कोहरा और खराब मौसम होने की स्थिति में सड़क मार्ग यात्रा से बचा जाना चाहिये। अगर किसी कार्यक्रम में जाने के लिये आप निकले हैं, तो नियत समय से पहले यात्रा शुरू करना चाहिये, जिससे हड़बड़ी में तेज वाहन-चालन से बचा जा सके।
कभी-कभी ओवर टेक करना भी मृत्यु का कारण बनता है। इससे बचने के लिये वाहन चालक को धैर्य रखना आवश्यक है। ग्रामीण क्षेत्रों में हेलमेट के प्रति लोगों को जागरूक करना बेहद जरूरी है। इसी प्रकार ट्रेक्टर-ट्राली वालों के लिये अभियान चलाकर उनके ट्रालों के पीछे रेडियम लगाने की आवश्यकता है। इससे रात में विजिबिलिटी बनने से दुर्घटनाओं को रोका जा सकता है। इसी प्रकार अधिकतर देखने में आता है कि हाई-वे पर पड़ने वाले ग्रामीण क्षेत्र के नागरिक गलत दिशा में वाहन चलाकर एक दम से बड़े वाहनों के सामने आकर मृत्यु को आमंत्रित कर लेते हैं।