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श्रीकृष्ण ने देवी सरस्वती से खुश होकर दिया वरदान

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 श्रीकृष्ण ने देवी सरस्वती से खुश होकर उन्हें वरदान दिया था कि बसंत पचंमी के दिन उनकी आराधना की जाएगी। तब से बसंत पंचमी के दिन मां सरस्वती के पूजन की परंपरा चली आ रही है। खास कर विद्यार्थियों द्वारा सरस्वती पूजा का आयोजन किया जाता है। दिवस के रूप मे बसंत पंचमी के रुप में मनाया जाता है। इस मौके पर मां सरस्वती की पूजा की जाती है और मौसम में आसानी से उपलब्ध होने वाले फूल चढ़ाए जाते हैं। विद्यार्थी इस दिन किताब-कॉपी और पाठ्य सामग्री की भी पूजा करते हैं।

जिस दिन पंचमी तिथि सूर्योदय और दोपहर के बीच रहती है, उस दिन को सरस्वती पूजा के लिये उपयुक्त माना जाता है। इस दिन कई स्थानों पर शिशुओं को पहला अक्षर लिखना सिखाया जाता है। इसका कारण यह है कि इस दिन को विद्या आरंभ करने के लिये शुभ माना जाता है।

बसंत पंचमी पर अबूझ मुहूर्त

ज्योतिष के मुताबिक वसंत पंचमी का दिन अबूझ मुहूर्त के तौर पर भी जाना जाता है, इस कारण नए कार्यों को शुरूअात के लिए यह दिन उत्तम माना जाता है। इस दिन मंदिर की प्राण-प्रतिष्ठा, घर की नींव, गृह प्रवेश, वाहन खरीदने, व्यापार शुरू करने आदि के लिए शुभ है। इस दिन अन्नप्राशन भी किया जा सकता है।
यहीं था शबरी आश्रम
एक अन्य मान्यता के मुताबिक मां सीता की तलाश करते हुए भगवान श्रीराम गुजरात और मध्य प्रदेश में फैले दंडकारण्य इलाके में पहुंचे। यहीं शबरी का आश्रम था। कहा जाता है कि बसंत पंचमी के दिन ही भगवान श्रीरामचंद्र यहां आये थे। इस क्षेत्र के लोग आज भी वहां मौजूद एक शिला का पूजन करते हैं। मान्यता है कि भगवान श्रीराम इसी शिला पर बैठे थे। यहीं शबरी माता का मंदिर भी है।सरस्वती पूजा के मौके पर मां सरस्वती की स्तुति की जाती है। इस दौरान सरस्वती स्तोत्रम का पाठ किया जाता है। कई शिक्षण संस्थानों में भी इस स्तोत्र के जरिए मां सरस्वती की वंदना की जाती है। घर में भी इस स्तोत्र के जरिए मां सरस्वती की वंदना कर सकते हैं।
या कुन्देन्दु-तुषारहार-धवला या शुभ्र-वस्त्रावृता
या वीणावरदण्डमण्डितकरा या श्वेतपद्मासना।
या ब्रह्माच्युत शंकर-प्रभृतिभिर्देवैः सदा वन्दिता
सा मां पातु सरस्वती भगवती निःशेषजाड्यापहा॥
 
शुद्धां ब्रह्मविचार सारपरम- माद्यां जगद्व्यापिनीं
वीणा-पुस्तक-धारिणीमभयदां जाड्यान्धकारापहाम्‌।
हस्ते स्फटिकमालिकां विदधतीं पद्मासने संस्थिताम्‌
वन्दे तां परमेश्वरीं भगवतीं बुद्धिप्रदां शारदाम्‌॥

प्रेम और आस्था पूजे जाते

बसंत पंचमी सिर्फ ज्ञान और विद्या के सम्मान का ही पर्व नहीं है, बल्कि इस दिन प्रेम और आस्था भी साथ साथ पूजे जाते हैं। इसीलिए ये एक सम्पूर्ण उत्सव माना जाता है। इसलिए जहां विद्याअर्जन के लिए इच्छुक बालक ज्ञान की देवी सरस्वती की अर्चना करते हैं वहीं प्रेम के देवता कामदेव को भी पूजा जाता है। इसके अलावा इस दिन भगवान विष्णु की पूजा भी की जाती है।

कामदेव की भी पूजा

बसन्त कामदेव का सहचर है।06_02_2019-basantkam5feb19p_18925032 अतः इस दिन कामदेव तथा उसकी पत्नी रति की भी पूजा की जाती है, इसलिए बसंत पंचमी को रतिकाम महोत्सव भी कहते हैं प्रत्यक्ष में देखें तो बसंत ऋतु में समस्त जड़ चेतन में काम का संचार दिखाई देता है प्रकृति में एक अलग सौन्दर्य होता है विशेषकर मनुष्य कुछ अधिक प्रसन्न दिखाई देते है उनमें मोह (गुण) का  विशेष प्रभाव दिखता है, हर तरफ उल्लास का वातावरण होता है कुदरत के रंगीन नज़ारे मन को मोह लेते है।

विष्णु की आराधना 

इस दिन भगवान विष्णु का भी पूजन किया जाता है। प्रातः काल तैलाभ्यंग स्नान करके पीत वस्त्र धारण कर, विष्णु भगवान का विधिपूर्वक पूजन करना चाहिए तदुपरान्त पितृतर्पण तथा ब्राह्मण भोजन कराना चाहिए। इस दिन सभी विष्णु मंदिरों में भगवान का पीत वस्त्रों तथा पीत.पुष्पों से श्रंगार किया जाता है। पहले गणेश सूर्य विष्णु शिव आदि देवताओं का पूजन करके सरस्वती देवी का पूजन करना चाहिए। सरस्वती पूजन करने के लिए एक दिन पूर्व संयम नियम से रहना चाहिए तथा दूसरे दिन स्नानोपरान्त कलश स्थापित कर, पूजनादि कृत्य करना चाहिए।

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