कोरोना के इस काल में हम क्या करें
डॉ. वेदप्रताप वैदिक
हमारे केंद्र और राज्यों की सरकारें कोरोना से लड़ने में कसर नहीं छोड़ रही हैं लेकिन हम एक अरब 38 करोड़ लोग घरों में बैठे-बैठे क्या कर रहे हैं ? यदि हम डाॅक्टरों, नर्सों, पुलिसवालों, ड्राइवरों, भोजन बनाने और बांटनेवालों को छोड़ दें तो बाकी करोड़ों लोग क्या कर रहे हैं ? वे उदासी के समुद्र में डूब रहे हैं।
उन्हें समझ में नहीं आ रहा है कि वे अपना दिन कैसे काटें ? नेता लोग उन्हें ताली और थाली बजाने और दीया जलाने की राह दिखा रहे हैं ? लेकिन यह नौटंकी तो सिर्फ 9 मिनिट की है। बाकी 9 दिन वे क्या करेंगे ?
मेरे कुछ सुझाव
🔲 पहला, उदासी भगाइए। डरिए मत। कोरोना से मरनेवालों की संख्या भारत में पिछले तीन महिने में अभी तक सौ भी नहीं हुई है जबकि विभिन्न रोगों से रोजाना मरनेवालों की संख्या 22 हजार से 25 हजार तक होती है।
🔲 दूसरा, शारीरिक दूरी, नाक-पट्टी और बार-बार हाथ धोना आदि का ध्यान रखते रहिए लेकिन एक नया प्रयोग भी कीजिए। अपने आप को ढील दे दीजिए। हर काम में देरी लगाइए। आप दिन में जितने काम जितने समय में करते हैं, उन्हें दुगुने या चौगुने समय में कीजिए। जैसे आप रोटी का एक ग्रास दो मिनिट में खाते हैं तो उसे अब चार-छह मिनिट तक चबाइए। उस पर ध्यान भी लगाइए। आप आंख बंद करके इस जादू को देखिए भी ! इस क्रिया को आप खाने-पीने, बोलने, चलने-फिरने, उठने-बैठने पर भी लागू कीजिए। देखिए, फिर कैसे चमत्कार का आप अनुभव करेंगे।
🔲 तीसरा, रसोई, संगीत, स्वाध्याय, अखबार-वाचन, घरेलू-खेल, बागवानी, साफ-सफाई, आसान-प्राणायाम-व्यायाम, टीवी और फोन पर भी रोज एक-एक घंटा बिताइए। ज्यादा भी ! दिन कहां कट गया, पता भी नहीं चलेगा।
🔲 चौथा, टीवी चैनलों पर चलनेवाली दुखदायी खबरों को दिन भर मत सुनते रहिए।
🔲 पांचवां, घर में बैठे-बैठे या लेटे-लेटे अपने दिवंगत इष्ट मित्रों, बीते हुए सुनहरे दिनों, जीवन के प्रिय प्रसंगों और अपनी उपलब्धियों को याद कीजिए।
🔲 छठा, आप तक तो कोरोना नहीं आया है। आप उसकी पक्की तालाबंदी कर दीजिए। भारत, पाकिस्तान, नेपाल आदि देशों के घरेलू नुस्खों का इस्तेमाल जरुर कीजिए।
🔲 सातवां, इस लेख के साथ मैं आजकल प्रचलित कुछ अटपटे अंग्रेजी शब्दों की हिंदी सूची भेज रहा हूं। इन्हें आप भी जमकर इस्तेमाल कीजिए और अपने दोस्तों को भी भेजिए।