कोरोना की इस लड़ाई में, हिम्मत हारे ना बैठो

 

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जीवन में कुछ करना है, तो मन को मारे ना बैठो।
आगे-आगे बढना है, तो हिम्मत हारे ना बैठो।।

चलने वाला मंजिल पाता, बैठा पीछे रहता है।
ठहरा पानी सडने लगता, बहता निर्मल रहता है।।

पांव मिले है चलने खातिर, पांव पसारे ना बैठो।
केरोना की इस लडाई में, हिम्मत हारे ना बैठो।।

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धरती चलती तारे चलते, चांद रात भर चलता है।
किरणों का उपहार लिए, सूरज रोज निकलता है।।

हवा चले तो महक बिखेरे, तुम भी प्यारे ना बैठो।
कोरोना की इस लडाई में, हिम्मत हारे ना बैठो।।

तेज दौडने वाला कोरोना , थोडा चलकर हार गया।
धीरे-धीरे चलकर मनवा , देखो बाजी मार गया।।

चलो कदम से कदम मिलाकर, दूर किनारे ना बैठो।
कोरोना की इस लडाई में, हिम्मत हारे ना बैठो।।

🔲 आचार्य श्री विजयराजजी महाराज

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