कोरोना वारियर सिंगला की सेवा और समर्पण : 45 दिन से नहीं गए घर, ले लिए 200 सैंपल, कार्य सदैव में तत्पर

जिला चिकित्सालय में चट्टान बनकर अपने फर्ज पर डटे हैं कोरोना वारियर विक्की सिंगला

हरमुद्दा
रतलाम, 5 मई। कोरोना के विरुद्ध लड़ाई में कई ऐसे व्यक्ति हैं जो बाहर से नजर नहीं आ रहे लेकिन वे ऐसे नींव के पत्थर हैं जिनके दम पर जिले में कोरोना के विरुद्ध लड़ाई की सफल इबारत लिखी जा रही है। जिला चिकित्सालय रतलाम में मामूली तनख्वाह पर काम करने वाले विक्की सिंगला एक ऐसे कोरोना वारियर हैं जिन्हें अनसंग हीरो भी कहा जा सकता है।

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यूं तो विक्की सिंगला जिला चिकित्सालय की रोगी कल्याण समिति में मात्र साढ़े 5 हजार रुपए की पगार पर काम करने वाले कंप्यूटर ऑपरेटर हैं लेकिन कोरोना के खिलाफ इस लड़ाई में उनकी सेवा उनका समर्पण डर से आगे बढ़कर जंग जीत लेने का जज्बा अनमोल है, ये अथक तारीफ के काबिल है।

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200 से अधिक सैंपल लेने में सहयोगी बने हैं सिंगला

जब से कोरोना एक्शन प्लान पर जिला चिकित्सालय में अमल शुरू किया गया, तबसे विक्की सिंगला लगातार अपने काम पर लगे हुए हैं। संदिग्ध मरीजों के सैंपल लेने में डॉक्टर के साथ सहयोग करने में सबसे आगे हैं। अब तक करीब 200 सैंपल लेने में वह सहयोगी बन चुके हैं।

दिनचर्या का हिस्सा बन गया है भागदौड़

सैंपल लेने के बाद सैंपल पैकिंग करना, सैंपल बॉक्स पैक करके कोडिंग करना, नंबरिंग करना, फॉर्म भरना, बाजार से अस्पताल उपयोगी सामग्री जैसे प्लास्टिक टेप, थरमोकोल आदि जुटाते रहने की भाग दौड़ करते रहना, उनकी दिन-रात की दिनचर्या का हिस्सा बन चुका है। अब तक उनके द्वारा भरा गया कोई भी सैंपल फॉर्म भोपाल लैब द्वारा रिजेक्ट नहीं किया गया है।

बमुश्किल 5 घंटे भी आराम नहीं मिलता सिंगला को

36 वर्षीय ला ग्रेजुएट विकी कोरोना के खिलाफ इस जंग में दिन-रात लगे हैं। मुश्किल से 5 घंटे की नींद कभी मिलती है। रात्रि में भी काम आ जाते है तो तत्काल उठकर दायित्व को अंजाम देने में लग जाते हैं।

45 दिन से घर नहीं गए हैं सिंगला

रतलाम के गांधीनगर निवासी विक्की सिंगला लगभग डेढ़ माह से अपने घर नहीं गए हैं, भोजन भी प्रायः एक समय ही हो पाता है क्योंकि काम का दबाव ही इतना है कि दोनों समय भोजन कर पाना मुश्किल है। वे रात्रि में अस्पताल के ही कक्ष में घर से लाई एक चादर, तकिए के सहारे रात गुजार लेते हैं। सुबह 6 बजे उठकर काम शुरू हो जाता है जो रात के 12 या 1 बजे तक या कभी-कभी इससे आगे भी चलता रहता है। विक्की कोरोना सैंपल लेकर भोपाल लैब पर भी जाते हैं।

काउंसलर की जिम्मेदारी भी निभा रहे हैं सिंगला

अस्पताल में कोरोना के विरुद्ध एक्शन प्लान की धुरी बने विक्की सिंगला कोरोना के मरीजों की काउंसलिंग की जिम्मेदारी भी बखूबी निभा रहे हैं। विकी कहते हैं कि कई बार रिपोर्ट पॉजीटिव आने पर मरीज रोने लग जाता है, तब वे उसे समझाते हैं, उसका हौसला बढ़ाते हैं। मरीज को बताते हैं कि कोरोना ऐसी बीमारी नहीं है जिससे मृत्यु हो जाए। इसमें मृत्यु का प्रतिशत अत्यंत अल्प है। इस संदर्भ में अपने मोबाइल से रिकॉर्ड निकालकर मरीज को समझाते हैं और उनकी बात सुनकर मरीज के अंदर कोरोना से लड़ाई के खिलाफ एक नया आत्मविश्वास पैदा हो जाता है।

हर कार्य के लिए हरदम तैयार

विक्की कई बार पॉजीटिव मरीज के आने पर उसके क्षेत्र में जाकर उसके कांटेक्ट वाले व्यक्तियों तथा परिजनों के सैंपल भी कलेक्ट करके लाते हैं फिर अस्पताल लाकर सैंपल को व्यवस्थित नंबरिंग देकर बॉक्स पैकिंग करते हैं। विक्की अस्पताल में प्रत्येक कार्य के लिए हरदम तैयार रहते हैं। कोरोना वायरस के इस माहौल में उन्होंने कभी भी डर को अपने ऊपर हावी नहीं होने दिया है, जरूरी सावधानी बरतते हुए खुद का आत्मविश्वास बनाए रखते हैं और दूसरों का भी आत्मविश्वास बढ़ाते हैं।

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