रविवार की शाम लेकर आई ईद का पैगाम, ईद का चांद आया नजर, लॉक डाउन का रहेगा पर्व पर असर
🔲 मीठी ईद के लिए हो गई तैयारियां
🔲 खुशबूदार सेनीटाइजर की हुई खरीदी
🔲 रात तक चला मोबाइल पर ईद मुबारक कहने का दौर
🔲 घर में ही ईद की पढ़ेंगे नमाज
हरमुद्दा
रतलाम, 24 मई। पवित्र पाक माह रमजान में रोजे रखने के बाद रविवार की शाम आसमान से ईद का पैगाम आया। शाम को पश्चिमी आकाश में 7 बजकर 26 मिनट पर ईद का चांद नजर आया। लेकिन पर्व पर सोमवार को लॉक डाउन का असर रहेगा। सोशल डिस्टेंस का पूरा पालन किया जाएगा। घरों में ही ईद की नमाज अदा होगी। ईदगाह पर नहीं जाएंगे।
यह परंपरा नहीं चलेगी इस बार
रविवार की शाम को जैसे ही ईद का चांद नजर आया। सभी ने एक दूसरे को ईद मुबारक कहना शुरू कर दिया। ईद मुबारक पहने के लिए लोगों को इंतजार करना पड़ा। फोन इतने बिजी आ रहे थे।
अज्र मिलने का दिन है ईद
मोहम्मद इसहाक खान एवं जमील अहमद खिलजी बताया कि ईद उल फितर को मनाने का मकसद ये है कि पूरे महीने अल्लाह की इबादत करते हैं। रोजा रखा जाता है और अपनी आत्मा को शुद्ध करते हैं, जिसका अज्र मिलने का दिन ही ईद कहलाता है। इस उत्सव को मुस्लिम लोग बड़े ही धूमधाम से मनाते हैं। लोग अपने दोस्तों और रिश्तेदारों से मिलते हैं। ईद की मुबारक देते हैं। लेकिन इस बार सोशल डिस्टेंसिंग का ध्यान में रखते हुए ये पर्व मनाया जाएगा।
बांटते हैं एक दूसरे के साथ खुशियां
मोहम्मद अंसार व आरिफ खान ने बताया कि ईद के दिन गरीबों को फितरा देना वाजिब होता है जिससे वो लोग जो गरीब हैं अपनी ईद मना सकें और समाज में एक दूसरे के साथ खुशियां बांट सकें। इस दिन लोग अपने घरों में सिवैया बनाएंगे, जिसे सभी लोग बड़े ही चाव के साथ खिलाते एवं खाते हैं।
मीठी ईद के लिए हो गई तैयारियां
मेहरून निशा एवं शबनम खान ने बताया कि ईद की तैयारी पूरी हो चुकी है। मीठी ईद के लिए सिवैया, मेवा, नमकीन सभी की खरीदारी हो गई है। इसके साथ ही
खुशबूदार सैनिटाइजर की भी खरीदी परिवारजनों ने की है। हालांकि इस बार लॉक डाउन के चलते लोगों का मिलना जुलना बहुत ही कम ही रहेगा। फिर भी कोरोना वायरस से बतौर सुरक्षा के सभी साधन का उपयोग किया जाएगा।
ईदगाह पर नहीं होगी नमाज
ईदगाह पर नमाज नहीं होगी। सोमवार को मस्जिदों में भी दो व्यक्तियों द्वारा 2 रकात नमाज अदा की जाएगी। सभी लोगों को अपने-अपने घरों में ही ईद की नमाज अदा करना है। इसके साथ ही लॉक डाउन के नियमों का पालन कर प्रशासन को सहयोग करना है। शहरवासियों से गुजारिश है कि वे पर्व के उत्साह में अपने आप को नियंत्रित रखें। यह सभी का दायित्व और कर्तव्य है।
🔲 सैयद अहमद अली, शहर काजी, रतलाम।