इंदौर में प्लाज्मा थेरेपी से ठीक हुआ मंदसौर का कोरोना संक्रमित युवक

🔲 जिले का पहला कोरोना मामला, जिसमें दिया प्लाज्मा

🔲 जल्दी होगी अस्पताल से छुट्टी

🔲 महेंद्र जैन
मंदसौर, 6 जून। कोरोना से पीड़ित मंदसौर के एक युवक का इन्दौर में प्लाज्मा थेरेपी से उपचार हुआ। युवक की तबियत बेहतर है और उसे जल्दी ही हास्पीटल से छुट्टी दे दी जाएगी। यह मंदसौर का पहला मामला है, जिसमें कोरोना मरीज को प्लाज्मा दिया गया।
कोविड 19 के कहर के बीच प्लाज्मा थेरेपी पिछले दो महीने से चर्चा में हैं हालांकि इसके प्रयोग पर सरकार ने कई तरह की बंदिशें लगा रखी है, लेकिन कोरोना के गंभीर मरीजों के लिए इसे प्रायोगिक रूप में इस्तेमाल करने की छूट दी गई है।

कुछ मामलों में मिले गंभीर अवस्था में मरीज

मंदसौर जिले में आमतौर पर कोरोना पाॅजीटिव मरीज बिना लक्षण वाले ही निकले, लेकिन इक्का-दुक्का मामलों में मरीज गंभीर अवस्था में भी पहुंचे। ऐसा ही एक मामला सोनगरी के एक युवक का था। श्वास संबंधी तकलीफ होने पर इस युवक को उज्जैन आरडी गार्डी मेडीकल काॅलेज भेजा था। युवक का कोविड 19 की जांच के लिए सैंपल भी लिया था, जो 24 अप्रैल को पाॅजीटिव आया। युवक का एक घर नयापुरा भी था, लिहाजा सोनगरी और नयापुरा को कंटेंटमेंट एरिया घोषित किया गया।

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तबीयत ज्यादा बिगड़ने पर अरविंदो मेडिकल काॅलेज
किया रेफर

उधर युवक की तबियत ज्यादा बिगड़ने पर उसे अरविन्दो मेडिकल काॅलेज इंदौर रेफर किया गया। वहां उसे आईसीयू में रखा गया। पारिवारिक सूत्रों का कहना है कि युवका का प्लाज्मा थेरेपी से उपचार हुआ है। उसकी स्थिति काफी बेहतर है और जल्दी ही उसे अरविन्दो से डिस्चार्ज कर दिया जाएगा। हालांकि अरविन्दो मेडिकल काॅलेज से युवक को प्लाज्मा देने की पुष्टि के लिए किसी अधिकृत व्यक्ति से बात नहीं हो पाई। इधर मंदसौर के मुख्य चिकित्सा एवं स्वास्थ्य अधिकारी डाॅ. महेश कुमार मालवीय का कहना है कि इंदौर में किसी कोरोना मरीज को क्या इलाज दिया जा रहा है, इसकी जानकारी वहां के डाॅक्टर ही दे पाएंगे। मंदसौर के किसी मरीज के संबंध में यहां सिर्फ यह जानकारी साझा की जाती है कि उसकी रिपोर्ट पाॅजीटिव या निगेटिव आई है। उसे डिस्चार्ज किया गया है।

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क्या है ये प्लाज्मा थेरेपी

इस थेरेपी में जो लोग कोरोना वायरस से जंग को मात दे चुके हैं, उनके खून से प्लाज्मा निकाला जाता है। इसके बाद उसे दूसरे कोरोना वायरस संक्रमित रोगी को डोनेट किया जाता है। जिन लोगों में कोरोना वायरस का संक्रमण ठीक हो जाता है, उनके शरीर में उस वायरस के खिलाफ प्रतिरोधक क्षमता बन जाती है। जो लोग प्लाज्मा डोनेट करते हैं उनके ब्लड से प्लाज्मा को अलग कर दिया जाता है। स्वस्थ हो चुके मरीज के शरीर में एंटीबॉडी बन जाती है जो उस वायरस से लड़ने में सक्षम होती है, प्लाज्मा के जरिये इससे दूसरे रोगियों में भी एंटीबॉडीज पैदा होने लगती हैं।

ठीक हुए लोग कितने दिनों बाद कर सकते हैं प्लाज्मा डोनेट

कोरोना वायरस से संक्रमित व्यक्ति जब ठीक हो जाता है तो कम से कम 28 दिनों के अंतराल पर वो प्लाज्मा डोनेट कर सकता है। आईसीएमआर से इजाजत मिलने के बाद कई राज्यों में लोगों को प्लाज्मा थेरेपी देने की प्रक्रिया शुरू हो चुकी है। विश्व स्वास्थ्य संगठन ने भी इस थेरेपी को बेहतर माना है। भारत के अलावा, अमेरिका और इंग्लैंड में भी प्लाज्मा थेरेपी से लोगों का परीक्षण शुरू किया जा चुका है। वहीं, चीन ने भी दावा किया है कि प्लाज्मा थेरेपी की मदद से वहां कई मरीज ठीक हो चुके हैं।

प्लाज्मा थेरेपी से किसका हो सकता है इलाज

डॉक्टर्स के अनुसार प्लाज्मा थेरेपी को इस्तेमाल करने के भी दिशा-निर्देश जारी किए गए हैं। हर किसी पर प्लाज्मा थेरेपी का प्रयोग नहीं किया जा सकता है। जो लोग कोरोना वायरस से गंभीर रूप से प्रभावित हैं और जिन्हें सांस लेने में ज्यादा तकलीफ हो रही है, उन मरीजों को प्लाज्मा दिया जा सकता है। एक डोनर प्लाज्मा का इस्तेमाल करके 2 से 5 मरीजों को ठीक किया जा सकता है। हेल्थ एक्सपर्ट्स की मानें तो एक मरीज को ठीक करने के लिए लगभग 200 से 250 मिली प्लाज्मा की जरूरत होती है। वहीं इस थेरेपी के इस्तेमाल से मरीज 3 से 7 दिनों के भीतर ही स्वस्थ हो रहे हैं।

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