मंदिरों के खुले पट : भगवान के भरोसे मंदिरों की व्यवस्थाएं, जिम्मेदार हुए लापरवाह, नहीं किया भक्तों ने सेनीटाइजर का उपयोग, पंखा भी झला और लिया अपने हाथों से चरणामृत
🔲 श्री गढ़ कैलाश मंदिर में व्यवस्थाएं दिखी आदर्श
🔲 कई शासकीय मंदिर में भी नहीं सेनीटाइजर की व्यवस्था
🔲 शासकीय मंदिरों में सेनीटाइजर की व्यवस्था करना पुजारी की जिम्मेदारी
🔲 समाज के मंदिरों में भी लापरवाही का आलम
🔲 नहीं दिया ध्यान तो कोरोना वायरस का बटेगा प्रसाद
हरमुद्दा
रतलाम, 8 जून। सोमवार से जन-जन की श्रद्धा के केंद्र के दरवाजे खुल गए, लेकिन मंदिरों के जिम्मेदार लापरवाह नजर आए। भक्तों ने न तो सेनीटाइजर का उपयोग किया। नहीं डिस्टेंसिंग का पालन किया। समाज के मंदिरों में तो हद दर्जे की मनमानी हुई। ध्यान नहीं दिया तो मंदिरों से अब कोरोना का प्रसाद बटना तय है।
सोमवार को शहर के प्रसिद्ध मंदिरों में देखा तो पाया कि सब अपनी मनमानी पर उतारू है। मुद्दे की बात यह है कि किसी को कोई मतलब नहीं है ऐसा लग रहा था कि कोरोना वायरस खत्म हो चुका है। आमजन आजाद हो गए हैं। मंदिरों में यदि ऐसा ही चलता रहा तो शहर में जल्द ही कोरोना वायरस का विस्फोट होगा। शहर के मध्य वाले मंदिरों में लोगों की मनमानी और मंदिरों की अव्यवस्थाएं उजागर हुई, वहीं शहर से दूर अमृतसागर तालाब पर श्री गढ़ कैलाश मंदिर में तमाम व्यवस्थाएं आदर्श नजर आई। ऐसे व्यवस्थाएं सभी मंदिर में हो तो ही संक्रमण से बचाव हो सकेगा अन्यथा कुछ भी असंभव नहीं रहेगा। कुछ शासकीय मंदिरों में प्रशासन द्वारा हैंड सेनीटाइजर स्टैंड और एक बॉटल सेनीटाइजर दिया गया है। इसके बाद की व्यवस्था पुजारी को करना है। शासकीय मंदिर के पुजारी को निर्देश दिया कि बॉटल खाली नहीं रहना चाहिए।
गोपाल जी का बड़ा मंदिर माणक चौक
शहर का प्रसिद्ध गोपाल जी का बड़ा मंदिर माणक चौक में भगवान के दर्शन के लिए दो दरवाजों से अंदर जाने की व्यवस्था है। दरवाजे पर सेनीटाइजर की कोई व्यवस्था नहीं नजर आई। मंदिर में भक्तों चारों तरफ घूम रहे थे। अपने हाथों से ही न केवल चरणामृत ले रहे थे बल्कि भगवान को पंखा भी झल रहे थे। डोरी को बारी-बारी से सब लोग हाथ लगा रहे थे। पुजारी जी द्वारा कोई रोक-टोक नहीं की जा रही थी। जबकि यहां पर न्यास है लेकिन किसी भी न्यासी ने अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह नहीं किया।
श्री महालक्ष्मी मंदिर माणक चौक, शासकीय
श्री महालक्ष्मी मंदिर माणक चौक में भी भक्त लोग बिना हाथ सेनीटाइज किए मंदिर में जा रहे थे और दर्शन कर रहे थे। यहां तक कि थाली में रखा कुमकुम माथे पर लगा रहे थे। यहां पर जो सेनीटाइजर रखा हुआ था, वह ऐसा लगाया हुआ था जैसे खर्च हो जाएगा तो फिर कौन भरेगा?
पुजारी द्वारा भी भक्तों को कोई दिशा-निर्देश नहीं दिए जा रहे थे कि पहले हैंड सेनीटाइज करें। हैंड सेनीटाइजर स्टैंड पर कोई दिशा निर्देश नहीं थे कि भक्त पहले यहां पर हैंड सेनीटाइज करें।
श्री कालिका माता मंदिर, शासकीय
यही आलम श्री कालिका माता मंदिर पर भी नजर आए। यहां पर भी दो-दो हैंड सेनीटाइजर स्टैंड लगे हुए थे लेकिन दिशा-निर्देश नहीं थे। इसलिए भक्त लोग बिना हैंड सेनीटाइज किए मंदिर में जा रहे थे, दर्शन कर रहे थे। यहां पर भी एक साथ सभामंडप में आठ-दस लोग जमा थे। कोई रोकने टोकने वाला नहीं था।
श्री भैरव अजब कुंज बिहारी मंदिर, कुछ भी व्यवस्था नहीं, शासकीय
राजा महाराजा के समय बने श्री भैरव अजब कुंज बिहारी मंदिर, जिसे रानी जी का मंदिर के नाम से जानते हैं, धानमंडी में है। यहां पर भक्तों के लिए सेनीटाइजर स्टैंड की कोई व्यवस्था नहीं की गई। यह भी शासकीय मंदिर है। क्षेत्र के श्रद्धालु आते हैं। लेकिन प्रशासन ने इस मंदिर की ओर ध्यान नहीं दिया। घंटी भी यहां पर लटक रही थी।
श्री मोती पुज्य जी मंदिर
श्री राम मोहल्ला और चौमुखीपुल के बीच जैन समाज का प्रसिद्ध श्री मोती पुज्य जी मंदिर श्रद्धालुओं की मनमानी चल रही थी। यहां पर भी सैनिटाइजर की कोई व्यवस्था नहीं थी। भक्तजन सीधे आ रहे थे और। सीढ़ियों को हाथ लगाते हो गए मंदिर में प्रवेश कर रहे थे। यहां पर भी मुख्य द्वार पर सेनीटाइजर की कोई व्यवस्था नहीं थी। मंदिर में के अंदर भी 10 से 15 भक्तजन थे।
रामोला में भी रेलम पेल
श्री राम मोहल्ला में माहेश्वरी समाज के श्री राम मंदिर जिसे शहरवासी रामोला के नाम से जानते हैं। यहां पर भी सेनीटाइजर की कोई व्यवस्था नहीं थी। न ही समाजजन धर्मालु लोगों को सबक सिखाने के लिए तैयार थे। आदतों के अनुसार धर्मालुजन इधर-उधर स्पर्श कर रहे थे।
श्री रणछोड़राय मंदिर
अमृत सागर तालाब की पाल पर अति प्राचीन श्री रणछोड़राय मंदिर में भी कोई व्यवस्था नहीं थी। पोरवाल समाज के इस मंदिर में ना पुजारी जी नजर आए और न ही कोई सेनीटाइजर की व्यवस्था थी।
श्री गढ़ कैलाश मंदिर में पूरा हुआ पालन
शहर के अति प्राचीन एवं प्रसिद्ध श्री गढ़ कैलाश मंदिर में भक्तजन सोशल डिस्टेंसिंग का पालन करते हुए नजर आए। हैंड सेनीटाइज कर मंदिर में दर्शन करने जा रहे थे। इसके लिए पुजारी सुशील उपाध्याय सब को निर्देशित कर रहे थे।
यहां पर घंटी को बांध दिया गया था ताकि भक्त उसे हाथ न लगाएं। कोरोना संक्रमण से बचाव के लिए यहां पर सभी दृष्टि से पालन किया जा रहा था। भक्तों को शिवलिंग पर जल चढ़ाने नहीं दिया गया और न ही स्पर्श करने की अनुमति दी गई। बार-बार पुजारी द्वारा भक्तों को समझाइश दी जा रही थी।