करके तो देखिए : रतलाम से विनीता ओझा की रचना
करके तो देखिए
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विचारों में बदलाव करके तो देखिए
अलगाव में भी लगाव करके तो देखिए
रूह में सजे हैं दिलों के रिश्ते, अपनों में
अपनी छांव करके तो देखिए
प्रेम कृति में, विकृति है बेमानी
सागर में स्नेह का, अलाव करके तो देखिए
प्रगति में प्रवृत्ति का बदलाव जरूरी
अपनी प्रवृत्ति में झुकाव करके तो देखिए
रिश्तों का मोल अनमोल जो ठहरा
प्रेम के सौदे में ठहराव करके तो देखिए
विकृत विक्षुब्ध होते संबंधों के बीच
स्नेह और समर्पण का चुनाव करके तो देखिए