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आंकड़े दे रहे हैं चेतावनी, ना करें मनमानी, वरना हो जाएगी बहुत बड़ी परेशानी

🔲 हेमंत भट्ट

अनलॉक के दूसरे सप्ताह में भी लोगों की मनमानी और बढ़ गई है। लापरवाही का आलम यह है कि ना तो सोशल डिस्टेंसिंग का पालन किया जा रहा है और नाही हैंड सैनिटाइज किए जा रहे हैं। मास्क लगाने की तो बस रस्म भर अदायगी हो रही है। दुकानों के सामने खड़े होकर नाश्ता करना फिर भी पुरानी आदत शुरू हो गई है। आंकड़े फिर एक बार चेतावनी दे रहे हैं कि मनमानी करना बंद कीजिए। वरना बहुत बड़ी परेशानी में आप और हम भी नहीं पूरा शहर आ जाएगा।

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मुद्दे की बात तो यह है कि लोगों की फोकट होशियारी बड़े आंकड़े को जन्म देने में देर नहीं करेगी। यह ट्रेलर नयापुरा में एक साथ आए 13 संक्रमित ने बता दिया है। एक ही दिन में 24 लोगों के संक्रमित होने के बावजूद आमजन अपनी सेहत के लिए ध्यान नहीं दे रहे हैं।

आंकड़ों कर रहे हैं सतर्क

अनलॉक के पहले सप्ताह में जहां 229 सैंपल जांच के लिए लिए गए थे। वही दूसरे सप्ताह में 704 सैंपल जांच के हेतु लिए गए। पहले सप्ताह में केवल 9 संक्रमित मिले थे। दूसरे सप्ताह में 33 लोग संक्रमित मिले हैं। लगभग 4 गुना अधिक लोग संक्रमित मिले हैं। अनलॉक के पहले सप्ताह में जहां शहर में केवल 53 लोग संक्रमित थे वही दूसरे सप्ताह में 86 लोग संक्रमित हुए हैं। आंकड़े चेतावनी दे रहे हैं कि मनमानी ना करें वरना परेशानी हो जाएगी। प्रशासन ने छूट दे दी है इसका तात्पर्य नहीं है कि सेहत के साथ खिलवाड़ करें।

फोटो खिंचवाने में भूले सोशल डिस्टेंसिंग

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मध्य प्रदेश की कांग्रेस सरकार को गिराने के विरोध में स्थानीय कांग्रेसियों ने नारेबाजी का राष्ट्रपति के नाम ज्ञापन सौंपा। लेकिन इस दौरान कांग्रेसी सोशल डिस्टेंसिंग करना भूल गए और सभी पास पास आ गए। यहां तक की चेहरा अच्छा दिखे इसके लिए मास्क के भी नीचे कर लिया गया। ज्ञापन देने के पहले भी सब एक दूसरे को कह रहे थे सोशल डिस्टेंसिंग बनाए रखें लेकिन सब पास पास होकर फोटो और चैनल की खबरों में आना चाह रहे थे। विरोध के चक्कर में कांग्रेसी अपनी सेहत को भी भूल गए। यहां कथनी और करनी में अंतर देखा गया। बोल जरूरी थे कि सोशल डिस्टेंसिंग रखे लेकिन कोई पालन नहीं कर रहा था। जिम्मेदार प्रशासन भी इस मामले में आंखें मूंदे रहा, कोई कार्रवाई नहीं हुई।

तन से साथ है मन से नहीं

ज्ञापन देने के दौरान कांग्रेस के पदाधिकारी व जन्मजात कांग्रेसी मौजूद थे। फिर भी सेवादल के खास पूर्व पार्षद सहित कांग्रेस के पुराने सिपाही, पदाधिकारी आपस में चर्चा करते हुए पाए गए कि यह तो पार्टी का काम था तो आ गए वरना कौन आता। अब क्या करें, आना पड़ता है दिखावे के लिए। ताकि कांग्रेसियों की संख्या बढ़ जाए। हालांकि अपन तो केवल तन से साथ हैं मन से तो बिल्कुल नहीं।

… तो जाएंगे ही बाबाओं की शरण में

जब स्वास्थ्य सुविधाओं की जिम्मेदारी का निर्वाह करने वाले चिकित्सक ही आम लोगों की देखभाल नहीं करेंगे तो मरीज आखिर कहां जाएंगे? जिला अस्पताल जाते हैं तो चिकित्सक परीक्षण नहीं करते हैं। सही उपचार नहीं हो पाता है और परेशान परिजन और परिवार अंततोगत्वा बाबाओं की शरण में चले जाते हैं, चाहे उन्हें वहां पर राहत मिले या ना मिले, लेकिन एक विश्वास बन जाता है कि चलो ठीक हो जाएंगे। चिकित्सक के पास भी इसी उम्मीद में जाते हैं कि वे परीक्षण करें, बीमारी का पता लगाएं और उपचार करें लेकिन जब से कोरोनावायरस हुआ है, चिकित्सक तो आमजन से ऐसे दूर हो गए मानो सभी संक्रमित हैं। चिकित्सकों का यह व्यवहार समाज के लिए चिंता का विषय है। इस मुद्दे पर मानवीय संवेदनाओं के साथ सभी को चिंतन करना चाहिए ताकि आमजन बाबाओं से मुक्त होकर चिकित्सकों के पास अपना इलाज करवाएं। चिकित्सक को भी चाहिए कि वे परीक्षण कर उपचार करें, जिस बात की उन्होंने शपथ ली है उसका पालन करें।

 

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