🔲 आपदा में मुस्कान का अवसर

🔲 इन शब्दों के बिना अब जिंदगी अधूरी सी

हरमुद्दा

बात तो मुद्दे की है कि पिछले 3 माह से कोरोना वायरस संक्रमण का असर सभी भारतीयों पर हुआ है। वह काफी समय तक शब्दों में साथ रहेगा। आपदा में जहां अवसर ढूंढने की बात कही जा रही है, वहीं अब घर में रहते-रहते हास्य के अवसर भी तलाशे जा रहे हैं। टीवी पर तो वही पुराने सीरियल चल रहे हैं। कोरोनावायरस से संबंधित सभी शब्दों ने मन मस्तिष्क पर ऐसा असर किया है कि दिन में कई बार इनका उच्चारण हो जाता है। जैसे क्वॉरेंटाइन, सेनीटाइज, मास्क, कंटेनमेंट, स्क्रीनिंग, नेगेटिव, पॉजीटिव, इम्यूनिटी, संक्रमित सहित तमाम तरह के शब्द जीवन का हिस्सा बन गए हैं। इन शब्दों का असर दोनों तरह से प्रभावी है चाहे वह डर से हो या मुस्कान से। पत्नी का पति से दिलचस्प संवाद का लीजिये आनंद।

 

पत्नी ने पतिदेव को आवाज़ लगाई…. “यह क्या ! आप यहां बालकनी में अकेले – अकेले ‘क्वारंटाईन’ हुए खड़े हैं और एक मै हूं जो आपको ढूंढने के लिए हर कमरे में ‘स्क्रीनिंग’ करवा रही हूं। पहले ड्राइंग रूम में ढूंढा, लेकिन टेस्ट में आप ‘नेगेटिव’ निकले। डायनिंग रूम में भी रिज़ल्ट नेगेटिव ही था, फिर बेडरूम और किचन तक की ‘स्क्रीनिंग’ करवाई तब जाकर आप इस बालकनी में ‘पॉजिटिव’ निकले हैं।

घर में इतना काम पड़ा है और आप यहां बालकनी की शुद्ध हवा से अपनी ‘इम्यूनिटी’ बढ़ाने में लगे है ! कहीं आप फिर से आस-पड़ोस वाली सुंदरियों के सौंदर्य से ‘संक्रमित’ होकर तो यहां नहीं खड़े हैं ? याद है ना कि मै आपको पहले भी उनसे ‘सोशल डिस्टेंसिंग’ मेनटेन करने की चेतावनी जारी कर चुकी हूं और आप है कि उन सौंदर्य युक्त ‘वायरसों’ से मुक्त नहीं हो पा रहे है ? यदि वे सब ब्यूटी क्वीन है तो मै भी किसी ‘हाइड्रोक्सी क्लोरोक्वीन’ से कम नहीं हूं। सच- सच बताओ कि इस ‘इम्यूनिटी’ के बहाने से कहीं महिलाओं की ‘कम्युनिटी’ में आप दिलों का ‘ट्रांसमिशन’ तो नहीं बढ़ा रहे हो ना ? याद रखना कि यदि मेरा शक एक ‘कनफर्म्ड केस’ निकला तो इसी बालकनी में लॉक लगाकर आपको जिंदगी भर के लिए घर के अंदर ‘लॉकडाउन’ कर दूंगी।

अच्छा चलो, अब कुछ काम की बात। बर्तनों को मैंने ‘सेनेटाईज’ कर दिया है, किन्तु कपड़ों के ढेर का ‘सेनेटाईजेशन’ अभी बाकी है। जल्द ही आटा गूंदने से लेकर सब्जी काटने तक के कई ‘प्रकरण’ भी सामने आने वाले है। इससे पहले कि सारे काम एक साथ पेंडिंग होकर किसी ‘महामारी’ का रूप ले लें, आप एहतियात बरतते हुए अपनी इच्छाओं को ‘मास्क’ से ढक कर यह बालकनी छोड़ो और सारे काम निबटाना शुरू कर दो। घर की सफाई की स्थिति भी कोई बहुत अच्छी नहीं है। धूलकणों के आधार पर सिर्फ ड्राइंग रूम ही ‘ग्रीन जोन’ में दिखाई देता है, बाकी बेडरूम ‘ऑरेंज जोन’ तो डायनिंग रूम ‘रेड जोन’ में बने हुए है। बाथरूम तो गंदगी का ‘हॉटस्पॉट’ बन चुका है। इसकी दीवार की जिस दरार में से कॉकरोच निकल रहे हैं ,उसे मैंने पूरी तरह से ‘सील’ कर दिया है। दवाई तो डाली किन्तु ‘कॉकरोचों की मृत्यु दर’ बढ़ने का नाम ही नहीं ले रही है। आपको ही कुछ करना पड़ेगा।

अरे हां ! सुना है आप संदिग्ध होकर भी अपनी ‘हिस्ट्री’ छुपा रहे है ! मैं सब जानती हूं कि कल पूरी दोपहर किचन में बैठकर आलू के पराठे आपने ही उड़ाए थे। इसलिए आज से मैंने किचन को दोपहर के समय में ‘कंटेंटमेंट एरिया’ घोषित कर दिया है। शाम होने से पहले किचन में जाना पूर्णतया ‘प्रतिबंधित’ है । रसोई बनाने से पहले घर के सभी सदस्यों का ‘मास टेस्टिंग’ करके यह जरूर पूछ लेना कि शाम के खाने में उन्हें कौन-सा टेस्ट चाहिए, ताकि एक जैसी रसोई बन पाए। यदि मेरी बातें कुछ असर कर रही हो तो जल्दी से काम शुरू करो, वरना गुस्से में रूठकर यदि मैं ‘सेल्फ आइसोलेशन’ में चली गई तो तुम्हारे मनाने का कोई भी ‘वैक्सीन’ काम नहीं करेगा।”

इसीलिए तो मैं तुम्हारी डांट चुपचाप सुन रहा हूं प्रिये ! मै जानता हूं कि यह तुम्हारे गुस्से का ‘इनक्यूबेशन पीरियड’ है, बाद में तो हालात और बेकाबू हो जाएंगे।” कहते हुए पतिदेव घर के काम निबटाने चले गए।

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