पुत्रेष्टि यज्ञ के ज्ञाता थे महर्षि श्रृंग : कैलाश व्यास
🔲 महर्षि श्रृंग ऋषि जयंती व गुरु पूर्णिमा उत्सव
हरमुद्दा
रतलाम 4 जुलाई। भारतीय संस्कृति में गुरु का विशिष्ट स्थान है।भगवान श्रीराम के जन्म के लिए पुत्रेष्टि यज्ञ श्री महर्षि श्रृंग ने करवाया था। वे महान तपोनिष्ठ हैं। हमें अपने अतीत पर अहंकार नहीं गौरव करना चाहिए।
यह विचार पूर्व उपसंचालक अभियोजन कैलाश व्यास ने व्यक्त किए। वे शनिवार को ब्राह्मण वास् स्थित श्री महर्षि श्रृंग विद्यापीठ में गुरु पूर्णिमा एवं महर्षि श्रृंग ऋषि जयंती के उपलक्ष्य में श्री महर्षि श्रृंग का व्यक्तित्व एवं कृतित्व पर आयोजित व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में उपस्थित थे।
वर्षा के लिए किए अनेक यज्ञ
उन्होंने कहा कि श्री महर्षि श्रृंग विभाण्डक के पुत्र थे। उनका विवाह भगवान श्रीराम की बहन शांता से हुआ था। श्रृंग अथर्ववेद के महान ज्ञाता थे। तत्कालीन समय में उन्होंने वर्षा के लिए अनेक यज्ञ किए थे। उन्होंने कहा कि गुरु के प्रति समर्पण भाव ही शिष्य को प्रगति की ओर ले जाता है।
यह थे विशेष रूप से मौजूद
कार्यक्रम की अध्यक्षता विद्यापीठ अध्यक्ष कन्हैयालाल तिवारी ने की। इस अवसर पर विद्यापीठ परामर्शदाता लेहरुलाल व्यास व सचिव मांगीलाल व्यास विशेष रूप से उपस्थित थे।
आरती से हुई शुरुआत
कार्यक्रम के प्रारंभ में महर्षि श्रृंग की महाआरती की गई। स्वागत उदबोधन सहसचिव सतीश त्रिपाठी ने दिया। स्वागत प्रधानाध्यापिका शिल्पा राठौर ने किया। इस अवसर पर जगदीश व्यास, शंकरलाल बोहरा, लोकपाल तिवारी, गौरव त्रिपाठी आदि उपस्थित थे। संचालन शिक्षिका मोनिका पवार ने किया तथा आभार अनिल पंड्या ने माना।