वेब पोर्टल हरमुद्दा डॉट कॉम में समाचार भेजने के लिए हमें harmudda@gmail.com पर ईमेल करे ज़िन्दगी अब - 34 : दवा के दर्द : आशीष दशोत्तर -

 

दवा के दर्द

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🔲 आशीष दशोत्तर

वे गई थीं दर्द की दवा लेने और ले आई अपने साथ कुछ और दर्द। एक सामान्य परिवार की वे मुखिया हैं और पिछले तीन माह से अपने दांतों के दर्द को लेकर बहुत परेशान रहीं। तीन माह पहले उन्होंने दांतों के दर्द को लेकर निजी चिकित्सक से सलाह ली थी। तब चिकित्सक ने उन्हें दर्द कर रही दाढ़ को निकलवाने का परामर्श दिया था। डॉक्टर से सभी कुछ चर्चा कर आई थीं और यह भी तय कर आई थीं कि यदि दाढ निकलवाई जाए तो कितना खर्चा आएगा।

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वह इस राशि की व्यवस्था करने में जुटी हुई थीं, इस दौरान संक्रमण का दौर आ गया। संक्रमण काल में वैसे भी सभी चिकित्सालय बंद ही रहे और उस दौरान उन्होंने कोई रिस्क नहीं ली। अपने घरेलू इलाज कर उस दर्द को सहती रही। कई बार तो वह अपने एक गाल पर हाथ रखकर भी घूमती रहीं। इससे ज़ाहिर था कि उन्हें काफी दर्द हो रहा था। कभी-कभी जब दर्द कम होता तो वे मज़ाक भी कर लिया करती कि आजकल एक दाढ़ से ही भोजन हो रहा है। यानी वे पूरे संक्रमण के दौर में अपने दाढ़ के दर्द को लेकर परेशान रहीं।

जब परिस्थितियां सामान्य हुई, लॉक डाउन के बाद जब चिकित्सकीय कार्य फिर से होने लगा और उन्हें यह विश्वास हो गया कि अब अपना उपचार कराना उचित है तो वे उसी चिकित्सक के पास पहुंच गई। पहले चिकित्सक से सारी बात कर चुकी थी, इसलिए अब ज्यादा बात करने की आवश्यकता थी नहीं। उन्होंने इस दौरान हुई असहनीय पीड़ा बताते हुए डॉक्टर से सीधे-सीधे कहा कि वह उनकी दाढ़ निकाल दे। यानी वे पूरी तैयारी के साथ गई थीं। चिकित्सक ने पूर्व में तय हुई खर्च की सीमा में थोड़ा संशोधन करते हुए कहा कि उस वक्त मैंने आपको इसका जो खर्च बताया था अब उसमें आप चार सौ रुपए और जोड़ लीजिएगा।

वे हैरान रह गईं। अचानक इतनी राशि कैसे बढ़ गई? डॉक्टर ने कहा, यह आप जो हमें ऊपर से नीचे तक किट में देख रहे हैं। पूरे क्लीनिक को सेनीटाइज किया हुआ है। आपकी दाढ़ निकालने के दौरान भी अतिरिक्त हिदायतें हमें बरतना होगी। आपका उपचार करने वाली नर्स जो अतिरिक्त सतर्कता बरतेंगी, इन सबके लिए खर्च हम कहाँ से निकालेंगे। वे इस बात को सुनकर हैरान रह गईं। उस दिन वे अपने घर तो लौट आईं, यह कहते हुए कि इन बढ़े हुए रुपयों का इंतज़ाम कर कल फिर आएंगी और अपनी दाढ़ निकलवाएंगी। मगर इसी के साथ वह कई सारे दर्द भी अपने साथ ले आई।

उन्हें लगा, एक संक्रमण के दौर ने हालात कितने बदल दिए हैं। अगर एक इस काम के लिए तय राशि में इतनी बढ़ोतरी हुई है तो हर काम में कितनी हुई होंगी। एक सामान्य व्यक्ति इन सब को कैसे भुगतेगा। इन मुश्किलों का सामना कैसे करेगा। दाढ़ निकलवा कर वे तो अपने इस दर्द से मुक्त हो जाएंगी मगर इस परिस्थिति ने उन्हें जो दर्द दिए हैं, उसका निदान कैसे होगा, यह उनकी भी समझ में नहीं आ रहा है।

🔲 आशीष दशोत्तर

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