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व्यापारियों की मनमानी और निरंकुश जिम्मेदार प्रशासन

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🔲 हेमंत भट्ट

लॉकडाउन के दौरान कोरोना वायरस संक्रमण को नियंत्रित करने में जिला प्रशासन जरूर थोड़ा कामयाब हुआ है लेकिन अनलॉक के बाद शहर में व्यापारियों का कारोबार सड़क पर पसर गया है।  मुद्दे की बात तो यह है कि व्यापारियों की मनमानी को लेकर जिला प्रशासन बोना और निरंकुश साबित हो रहा है। शहर भर में कारोबारियों का अतिक्रमण यातायात को प्रभावित कर रहा है। दुकानों के आगे सामानों से अतिक्रमण और खरीदारों के वाहन सड़कों पर खड़े रहने के कारण अन्य आमजन वाहनों से रेंग रहे हैं। नतीजतन आमजन की सेहत प्रभावित हो रही है। समय की बर्बादी हो रही सो अलग। जिम्मेदारों को यह कुछ भी नजर नहीं आ रहा है।

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अनलॉक के बाद तो शहर की दुर्दशा हो गई है। जगह-जगह छोटे-मोटे कारोबारियों का अतिक्रमण पसरा पड़ा हुआ है। वही वाहनों की सड़कों पर पार्किंग तो दस्तूर बन गया है। चौड़ी चौड़ी सड़कें होने के बावजूद यातायात में अव्यवस्थाएं बनी हुई है। बड़ी बड़ी दुकान और शोरूम होने के बावजूद सड़कों पर सामान रखकर दिक्कत पैदा कर रहे हैं। शहर विधायक को भी नजर नहीं आ रहा है। उनके मुंह में तो शुरू से ही दही जमा हुआ है।

शहर के लक्कड़पीठा, चांदनी चौक, तोपखाना, नीम चौक, चौमुखी पुल, माणक चौक, धानमंडी, शहर, सराय, नाहरपुरा, श्रीमाली वास, नगर निगम हो या फिर सज्जन मिल मार्ग पर श्री राम मंदिर के पीछे का सब्जी मार्केट। सभी दूर अतिक्रमण की भरमार हो गई है। दुकानों के आगे 5 से 20 फिट तक कब्जा जमाए हुए हैं और 7 फीट की सड़क आमजन के लिए बची हुई है। जिस पर आना और जाना दोनों है। ऐसे व्यापार के खिलाफ ठोस कार्रवाई जरूरी है।

अब है इनसे उम्मीद

शहर के प्रति अपनी जिम्मेदारी का निर्वाह करने के लिए पदस्थ एसडीएम और नगर निगम आयुक्त की नाकामी तो शहरवासी सालों से देख रहे। अब दोनों अहम पदों के लिए जिम्मेदारी एक साथ नए सिरे से मिली है। शहरवासियों की सुविधाओं के लिए जहां नगर निगम के आयुक्त का पदभार श्री झारिया ने ग्रहण किया है, वहीं पर एसडीएम का सिराली जैन ने। यह अपने अनुभव का कितना लाभ शहरवासियों को दिलाएंगे। यह तो वक्त ही बताएगा लेकिन शहर वासियों को इन दोनों से काफी उम्मीद है।

वाहन चालकों की लापरवाही और परिजनों को खोने का दुख

इसे वाहन चालकों की लापरवाही कहें या जिम्मेदारों की नाकामी, परिणाम आमजन को भुगतना पड़ रहे हैं। इस सप्ताह सड़क दुर्घटना में कई लोगों की मौत हो गई है। कई परिवारों ने अपने खास परिजन को खो दिया है। जबकि जाने वाले का इसमें कोई गलती हो या ना हो? लेकिन उनकी जिंदगी लेने वाले ऐसे वाहन चालकों पर जिम्मेदार कब कार्रवाई करेगा? आखिर ऐसे लापरवाह लोगों को वाहन चलाने का लाइसेंस दिया भी गया है या नहीं? पता नहीं। लेकिन परिजनों को खोने का दुख सबको पता है। आखिर ऐसा कब तक चलता रहेगा। सड़कों पर वाहनों का दबाव नहीं होने के बावजूद भी चालाक जान लेने पर आमादा हैं। मुद्दे की बात यह है कि संबंधित विभाग कोई कार्रवाई करने को तैयार नहीं है।

 

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