उनकी सिफारिशों पर अमल नहीं तो पाकिस्तान पर घिर सकता अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों में

हरमुद्दा डॉट कॉम
नई दिल्ली/इस्लामाबाद। पाकिस्तान द्वारा यदि फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स की सिफारिशों पर अमल नहीं किया जाता है तो पाक को कड़े अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों का सामना करना पड़ सकता है। हाफिज के संगठनों पर बैन हमारी इसी दिशा में सकारात्मक कदम है। यह बात फाइनैंस डिविजन के फेडरल सेक्रटरी आरिफ अहमद खान ने पत्रकारों से कही।
विश्वस्तर से चौतरफा दबाव और सरहद पर तनाव के बीच पाकिस्तान सरकार द्वारा 26/11 मुंबई हमलों के मास्टरमाइंड हाफिज सईद के नेतृत्व वाले जमात-उद-दावा और इसकी शाखा फलाह-ए-इंसानियत फाउंडेशन (एफआईएफ) के खिलाफ सख्त ऐक्शन के पीछे एक बड़े अधिकारी की चेतावनी मानी जा रही है। फाइनैंस डिविजन के फेडरल सेक्रटरी आरिफ अहमद खान ने कहा है कि यदि पेरिस स्थित फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स (एफएटीएफ) की सिफारिशों पर अमल नहीं किया जाता है तो भविष्य में पाकिस्तान को कड़े अंतरराष्ट्रीय पाबंदियों का सामना करना पड़ेगा।
तो फिर ब्लैकलिस्ट में
एफएटीएफ ने पिछले साल पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में डाल दिया था। हाल ही में हाफिज सईद के आतंकी संगठन जमात-उद-दावा पर बैन लगाने के बावजूद फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स ने पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में बरकरार रखा था। एफएटीएफ ने कहा था कि अक्टूबर, 2019 तक यदि पाकिस्तान उसकी 27 मांगों पर काम नहीं करता है तो उसे ब्लैकलिस्ट कर दिया जाएगा।
तो रहती पैनी नजर
किसी भी देश को ग्रे लिस्ट में डाल दिए जाने के बाद उसकी आर्थिक हालत पर वैश्विक पैनी नजर रखी जाती है। एफएटीएफ इसी साल जून में पाकिस्तान की प्रोग्रेस रिपोर्ट का आकलन करेगा। इसके बाद जून में दोनों पक्षों के बीच एक खास बैठक होना है। यदि एफएटीएफ पाकिस्तान की रिपोर्ट से संतुष्ट नहीं होता है तो उसे सितंबर-अक्टूबर में ब्लैकलिस्ट किया जा सकता है। यदि पाकिस्तान को ब्लैकलिस्ट कर दिया जाता है तो फिर उसके लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) से कर्ज लेना बहुत मुश्किल हो जाएगा।
क्या है ग्रे लिस्ट
दुनिया भर में आतंकी फाइनैंसिंग को रोकने के लिए काम करने वाली संस्था फाइनैंशल ऐक्शन टास्क फोर्स एक अंतर-सरकारी संस्था है। इसका काम गैर-कानूनी आर्थिक मदद को रोकने के लिए नियम बनाना है। उसने पाकिस्तान को ‘ग्रे लिस्ट’ में बरकरार रखा है। एफएटीएफ की ग्रे या ब्लैक लिस्ट में डाले जाने पर देश को अंतरराष्ट्रीय संस्थाओं से कर्ज मिलने में काफी कठिनाई आती है। आतंकवादी संगठनों को फाइनैंसिंग के तरीकों पर लगाम न कसने वाले लोगों को इस लिस्ट में डाला जाता है।

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