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हिन्दी दिवस : श्यामलम् की वार्षिक व्याख्यानमाला के साथ हिन्दी सेवी का हुआ सम्मान

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हरमुद्दा

सागर, 15 सितंबर। कला, साहित्य, संस्कृति व भाषा के लिए समर्पित संस्था “श्यामलम्” द्वारा हिन्दी दिवस पर सातवीं वार्षिक व्याख्यानमाला का आयोजन किया गया। आयोजन में हिन्दी सेवी सम्मान किया गया।
ऑन लाइन आयोजन जे जे इंस्टीट्यूट सिविल लाइंस से सोशल डिस्टेंस के निर्देशों का पालन करते हुए किया गया।

22 भाषाओं के बीच मध्यमणि के रूप में विराजमान है ‘राजभाषा हिन्दी’ : डॉ. मेहेर

प्रमुख वक्ता डॉ. हरीसिंह गौर विश्व विद्यालय सागर में हिन्दी अधिकारी डॉ. छबिल कुमार मेहेर ने कहा कि हमारे संविधान की आठवीं अनुसूची में 22 भाषाएं अधिसूचित हैं, और इन्हीं 22 भाषाओं के बीच मध्यमणि के रूप में विराजमान है ‘राजभाषा हिन्दी’ । हिन्दी हमारी राजभाषा, सम्पर्क भाषा, मातृ भाषा तो है ही, राष्ट्र भाषा की पर्यायवाची भी है, जो हम सबको एकता के बारीक धागे से बांधे हुए है। इसकी उन्नति के साथ हमारे देश की प्रगति जुड़ी हुई है। जब तक इतिहास, संस्कृति और साहित्य का सम्यक् ज्ञान अपनी भाषा में नहीं होगा, तब तक देश का सम्यक् विकास कतई संभव नहीं है। परन्तु आज राष्ट्रीय परिदृश्य कुछ इस प्रकार का है कि हमारे स्वाधीन देश में चारों तरफ अंग्रेजी ही अंग्रेजी दिखाई देती है । विगत वर्षों में अंग्रेजी भाषा पर हमारी निर्भरता बजाय घटने के बढ़ी है और यह हम सभी के लिए एक बड़ी चुनौती है।

“श्यामलम् हिन्दी सेवी सम्मान” से अलंकृत किया गया डॉ. मेहेर को

ओडिसा मूल के अहिंदी भाषी विद्वान डॉ.छबिल कुमार मेहर को उनके द्वारा हिन्दी के संवर्धन के लिए किए गए महत्त्वपूर्ण योगदान के परिप्रेक्ष्य में इस वर्ष के “श्यामलम् हिन्दी सेवी सम्मान” से अलंकृत किया गया। उन्हें अंगवस्त्र, श्रीफल,अभिनंदन पत्र, स्मृति चिह्न, पुष्पहार, पुस्तकें और सम्मान निधि भेंट की गई।
रमा कान्त शास्त्री ने डॉ.मेहेर का जीवन परिचय देते हुए सम्मान पत्र का वाचन किया। ज्ञातव्य है कि इस प्रतिष्ठित सम्मान से पूर्व वर्षों में म.प्र.हिन्दी साहित्य सम्मेलन भोपाल की सागर इकाई, महेंद्र सिंह भोपाल, पुष्पेन्द्र पाल सिंह भोपाल, अशोक मनवानी भोपाल, मणिकांत चौबे सागर और गत वर्ष सागर के पूर्व कमिश्नर मनोहर अगनानी दिल्ली को सम्मानित किया जा चुका है।

जब अंग्रेजी लिखी जाने लगेगी देवनागरी लिपि में 

कार्यक्रम की अध्यक्षता कर रहे हिन्दी के प्रख्यात विद्वान श्यामलम् के संरक्षक प्रो. सुरेश आचार्य ने कहा कि आचार्य रामचंद्र शुक्ल ने वर्तमान हिन्दी साहित्य को गद्य का युग कहा है, लेकिन हिन्दी की इतनी शक्ति है कि अभी भी कविता के मलय झोंके यत्र- तत्र – सर्वत्र दिखाई देते हैं। हिन्दी खड़ी बोली से ही सुसंस्कृत होकर भाषा में बदली है। इसके लिए भारतेन्दु हरिश्चन्द्र, लल्लू लाल, सदन मिश्र, इंशा अल्ला खां, राजा शिव प्रसाद सितारेहिंद और अयोध्या प्रसाद उपाध्याय हरिऔध का स्मरण जरूरी है। आचार्य महावीर प्रसाद द्विवेदी से आलोचना की एक समृद्ध परम्परा आरंभ हुई। उन्होंने हिन्दी को परिष्कृत किया। आज हिन्दी से सबल कोई भाषा नहीं।अंग्रेजी के शब्दों में हिन्दी के प्रत्यय जोड़कर “कारों से लगाकर कलेक्टरों तक, पेपरों से लगाकर पेनों तक” हिन्दी ने हजम कर लिए हैं। वह दिन दूर नहीं जब अंग्रेजी देवनागरी लिपि में लिखी जाने लगेगी।

सरस्वती पूजन के साथ शुरुआत

शुरुआत में मां सरस्वती के पूजन अर्चन उपरांत श्यामलम् अध्यक्ष उमा कान्त मिश्र ने स्वागत उद्बोधन दिया। कार्यक्रम में आर के तिवारी, टी आर त्रिपाठी, असरार अहमद, कुंदन पाराशर, गोविन्द सरवैया, अभिषेक ऋषि, शुभम श्रीवास्तव मौजूद थे। संचालन म.प्र.हिन्दी साहित्य सम्मेलन सागर इकाई के अध्यक्ष आशीष ज्योतिषी ने किया। आभार श्यामलम् कोषाध्यक्ष हरी शुक्ला ने माना।

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