शादी का झांसा देकर अवयस्क बालिका के साथ दुष्कार्म करने वाले आरोपी की जमानत खारिज
हरमुद्दा
रतलाम, 16 सितंबर। शादी का झांसा देकर अवयस्क बालिका के साथ दुष्कार्म करने वाले आरोपी सुनील पिता बाबुलाल भुरिया उम्र 20 वर्ष नि. ग्राम जामथुन थाना औद्योगिक क्षेत्र रतलाम की जमानत अर्जी न्यायाधीश पॉक्सो एक्टो तरूण सिंह ने खारिज की। आरोपी ने बालिका से शादी करने का मना कर दिया और धमकी दी कि अगर किसी को यह घटना बताई तो तूझे व तेरे घर वालों को जान से खत्म कर दूंगा
अभियोजन मीडिया सेल प्रभारी शिव मनावरे ने हरमुद्दा को बताया कि अवयस्क बालिका ने मां के साथ महिला थाना रतलाम पर बताया कि वह सुनील पिता बाबुलाल भुरिया को विगत दो वर्षो से जानती है। परीक्षा की तैयारी के लिए उसने 1 जनवरी 2020 को रतलाम में किराया से कमरा लिया था, उसी दिन आरोपी सुनील भी उसी कमरे में रहने के लिए आ गया था। आरोपी सुनील ने अवयस्क बालिका को शादी करने का झांसा देकर उसकी इच्छा के विरूद्ध कई बार उसके साथ दुष्कर्म किया। लॉकडाउन के कारण 9 अप्रैल 2020 को रतलाम से पीड़िता व आरोपी सुनील अपने-अपने घर चले गए थे।
शादी करने से मना कर जान से मारने की धमकी
इसके पश्चात् आरोपी ने बालिका से शादी करने का मना कर दिया और धमकी दी कि अगर किसी को यह घटना बतायी तो तुझे व तेरे घर वालो को जान से खत्म कर दूंगा। इसी डर के कारण उसने पुलिस रिपोर्ट नहीं की, लेकिन आरोपी की धमकियों से परेशान होकर बालिका ने मां के साथ 7 जुलाई 2020 को महिला थाना रतलाम पर उपस्थित होकर घटना बताई।
तब आरोपी को जेल वारंट जारी कर भेजा जेल
महिला थाना रतलाम पर अवयस्क बालिका द्वारा बताई घटना पर से आरोपी के विरूद्ध प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विवेचना के दौरान 8 जुलाई 2020 को आरोपी सुनील पिता बाबुलाल को गिरफ्तार कर आवश्यक कार्रवाई कर उसी दिन न्यायालय में प्रस्तुत किया, जहां से आरोपी का जेल वारंट जारी कर आरोपी को उपजेल सैलाना दाखिल करवाया गया। अनुसंधान उपरांत अभियोग पत्र आरोपी के विरूद्ध दुष्कर्म व पॉक्सो एक्ट की धाराओ में 11 सितंबर 2020 को विशेष न्यायालय में प्रस्तुत किया गया।
जमानत पर छोड़ना उचित नहीं
आरोपी की ओर से उनके अधिवक्ता द्वारा जमानत आवेदन पेश करने पर 16 सितंबर 2020 को विशेष न्यायालय में सुनवाई हुई जिसमें अभियोजन की ओर से विशेष लोक अभियोजक गौतम परमार द्वारा जमानत अर्जी का विरोध कर तर्क प्रस्तुत किये गए। अभियोजन के तर्को व अवयस्क बालिकाओ के साथ दुष्कर्म एवं लैंगिक हमलो की बढ़ती हुई घटनाओं तथा प्रकरण की गंभीरता को देखते हुए अभियुक्त को जमानत पर छोड़ना उचित नहीं समझा और जमानत अर्जी खारिज कर दी।