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सबके थोड़े से प्रयास से बचाई जा सकती है लाखों बच्चों की जान

🔲 कुपोषण पर मीडिया कार्यशाला

हरमुद्दा
रतलाम, 30 सितंबर। सबके थोड़े से प्रयास से लाखों बच्चों की जान बचाई जा सकती है। इसके तहत जन्म के एक घंटे के अंदर स्तनपान की शुरुआत से 22 प्रतिशत नवजात शिशुओं को बचाया जा सकता है क्योंकि 24 घंटे बाद स्तनपान शुरू करने से मौत का खतरा 2.4 गुना बढ़ जाता है। जन्म से 6 वर्ष तक के बच्चों, गर्भवती एवं धात्री माताओं के स्वास्थ्य एवं पोषण स्तर में सुधार हेतु लक्ष्य तय किए गए हैं।
यह जानकारी रतलाम में महिला बाल विकास विभाग द्वारा पोषण माह पर आयोजित मीडिया कार्यशाला में दी गई। कार्यशाला में कार्यक्रम अधिकारी महिला बाल विकास विनीता लौढा, सहायक संचालक सुश्री अंकिता पंड्या वरिष्ठ पत्रकार रमेश टांकप्रेस क्लब सचिव मुकेश गोस्वामी एवं जनसंपर्क विभाग के पीआरओ शकील खान उपस्थित थे।

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कार्यशाला में बताया गया कि जन्म से 6 वर्ष के बच्चों में ठिगनेपन की दर में कमी लाने एवं इसे रोकने हेतु प्रतिवर्ष 2 प्रतिशत की दर से कमी लाने का लक्ष्य तय किया गया है। इसी प्रकार जन्म से 6 वर्ष के बच्चों में कम वजन की दर में कमी एवं इसे रोकने के लिए भी 2 प्रतिशत प्रतिवर्ष की दर से कमी लाने का लक्ष्य है। इसी प्रकार 6 माह से 15 माह के बच्चों में एनीमिया की दर कम करने एवं इसकी रोकथाम करने, महिलाओं एवं किशोरियों में एनीमिया की दर को कम करने एवं इसकी रोकथाम करने तथा जन्म के समय कम वजन की दर में कमी लाने के लिए भी प्रत्येक वर्ष के लिए लक्ष्य तय किया गया है।

एनीमिया नियंत्रण के बताए उपाय

कार्यशाला में गरीबी, कुपोषण और संक्रमण के दुष्चक्र, एनीमिया का जीवन चक्र पर प्रभाव, कुपोषण से कैसे बचें, कुपोषण की रोकथाम के लिए प्रमुख खाद्य समूह का बेहतर पोषण, इसमें दूध तथा दूध से बने पदार्थ, फल, विटामिन, खनिज, सब्जियों, दालों, अनाजों को अपने आहार में सम्मिलित करने तथा अनुपूरक आहार से संबंधित जानकारी दी गई। एनीमिया नियंत्रण के उपाय बताए गए।

जन्म के 6 माह बाद बच्चे को ऊपरी आहार जरूरी

कार्यशाला में बताया गया कि जन्म से 6 माह तक सिर्फ स्तनपान से 13 प्रतिशत शिशुओं को बचाया जा सकता है। 6 माह पूर्ण होने पर स्तनपान के साथ ऊपरी आहार की शुरुआत एवं 2 वर्ष तक स्तनपान कराने पर 6 प्रतिशत शिशुओं को बचाया जा सकता है। कार्यशाला में पोषण माह के अंतर्गत आयोजित होने वाली गतिविधियों की जानकारी दी गई।

आंगनवाड़ी केंद्रों पर फलदार पौधों का रोपण का प्रयास

जिला कार्यक्रम अधिकारी ने बताया कि बच्चों के समुचित पोषण के लिए जिले में घरों, पंचायतों, आंगनवाड़ी केंद्रों पर फलदार पौधों का रोपण कराने का प्रयास किया जा रहा है। कार्यशाला में मीडिया की भूमिका पर प्रकाश डालते हुए बताया गया कि पोषण के प्रति सक्रिय रहते हुए विभिन्न माध्यमों से जागरूकता एवं जनभागीदारी के लिए लोगों को प्रेरित करना, पोषण को अपने एजेंडे में हमेशा शामिल रखने, पोषण संचार के लिए सामाजिक क्षमता का निर्माण और सामुदायिक स्तर पर व्यवहार परिवर्तन के लिए जागरूकता बढ़ाने, आलेख, समाचार, कहानी सफलता की कहानियां जारी करके लोगों को प्रेरित करने का काम मीडिया बखूबी कर सकता है।

भ्रांतियों तथा गलत परंपराओं को करें दूर

मीडिया से कहा गया कि सहयोग करें। भ्रांतियों तथा गलत परंपराओं को दूर करने के लिए आमजन को जानकारी दें। वैज्ञानिक तथ्यों को साधारण रूप से जोड़ें किसी विशिष्ट व्यक्ति सेलिब्रिटी, पैरक, खेल आईकॉन से मैसेज लेकर प्रकाशित किए जा सकते हैं।

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