कुल्हाड़ी द्वारा जान से मारने वाले दो आरोपियों को आजीवन कारावास

हरमुद्दा

सागर, 1 अक्टूबर। अपर सत्र न्यायाधीश रघुवीर प्रसाद पटेल ने कुल्हाडी द्वारा जान से मारने वाले आरोपियों परषोत्तम उर्फ गबूदे पिता रामसिंग गौड उम्र 21 वर्ष एवं बैजनाथ उर्फ गत्थू पिता शेर सिंह गौड उम्र 29 वर्ष दोनों निवासी ग्राम पिपरिया थाना केसली तहसील देवरी जिला सागर, दोनों आरोपीगण को धारा 302 भादवि मे दोषी पाते हुए आजीवन कारावास एवं 1000-1000 रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया गया। वीडियो कांफ्रेंसिंग के माध्यम से पैरवी वरिष्ठ सहायक जिला अभियोजन अधिकारी कपिल पांडे ने की।

मीडिया प्रभारी अभियोजन  सौरभ डिम्हा ने हरमुद्दा को बताया कि 8 सितंबर 2018 को सदारानी अपने लड़के के साथ खेत से जानवर निकाल कर घर आ रहे थे, तभी रास्ते में गबूदे उर्फ परषोत्तम आदिवासी एवं गत्थू उर्फ वैजनाथ हाथ में धारदार कुल्हाड़ी लिए मिले। गबूदे, खुमान पर खेत के जानवर भगाने पर से गुस्सा करने लगा तो खुमान ने बताया कि जानवर खेत में नुकसान कर रहे थें इसलिए भगाया इसी बात से गबूदे एवं गत्थू खुमान को गालियां देने लगे।

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जब खुमान ने गालियां देने से मना किया तो गबूदे और गत्थू ने मिलकर जान से मारने की नियत से कुल्हाड़ी से बार किया। खुमान के शरीर पर कई जगह गहरे घांव आए और वह बेहोश हो गया।

और खुमान की हो गई मौत

उसकी मां जब उसे बचाने लगी तो आरोपी गत्थू ने उसे धक्का दे दिया और धमकी दी कि अगर जानवरों को खेत से निकाला तो जान से खत्म कर देगें। सदारानी के चिल्लाने पर उसका पति और आस-पड़ोस के लोग वहां आ गए और खुमान को 100 डायल की गाड़ी से सामुदायिक स्वास्थ्य केन्द्र केसली ले गए। जहां खुमान की मृत्यु हो गई।

साक्ष्यों को सूक्ष्मता पर हुई सजा

घटना के संबंध में सामुदायिक स्वास्थय केन्द्र केसली से प्राप्त सूचना के आधार पर जांच कर थाना केसली में धारा 294, 506, 302, 34 भादवि का प्रकरण पंजीबद्ध कर विवेचना में लिया गया। विवेचना पूर्ण कर अभियोग पत्र न्यायालय के समक्ष प्रस्तुत किया गया। जहां अभियोजन ने महत्वपूर्ण साक्ष्यों को सूक्ष्मता से प्रस्तुत किया। न्यायालय द्वारा प्रकरण के तथ्य परिस्थितियों एवं अपराध की गंभीरता को देखते हुए व अभियोजन के तर्कों से सहमत होकर आरोपीगण परषोत्तम उर्फ गबूदे पिता रामसिंग गौड व बैजनाथ उर्फ गत्थू पिता शेर सिंह गौड को धारा 302 भादवि में दोषी पाते हुए आजीवन कारावास एवं 1000-1000 रुपए के अर्थदण्ड से दंडित किया गया।

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