वेब पोर्टल हरमुद्दा डॉट कॉम में समाचार भेजने के लिए हमें harmudda@gmail.com पर ईमेल करे हास्य और व्यंग्य जीवन का अनिवार्य तत्व : कुलपति पांडेय -

🔲 देश के प्रख्यात व्यंग्यकारों का संकलन अब तक 75 का लोकार्पण

🔲 संजय जोशी ‘सजग’

उज्जैन, 12 अक्टूबर। त्रासदी काल में इस व्यंग्य संकलन का प्रकाशन उल्लेखनीय घटना है क्योंकि हास्य और व्यंग्य जीवन का अनिवार्य तत्व है और मानसिक अवसाद के प्रकरण सामने आ रहे हैं और ऐसे में आनन्द सूचकांक भी नीचे आ रहा आनन्द सूचकांक नई शिक्षा नीति का भी महत्वपूर्ण विषय है। व्यंग्य में यह जरूरी है कि व्यंग्यकार अपनी बात कह भी दे और किसी को बुरा भी न लगे।

यह विचार विक्रम विश्वविद्यालय के कुलपति डॉ. अखिलेश कुमार पांडेय ने व्यक्त किए। डॉ. पांडेय व्यंग्य संग्रह के लोकार्पण समारोह में बतौर मुख्य अतिथि उपस्थित थे। मध्यप्रदेश लेखक संघ के तत्वावधान में इंडिया नेट बुक्स द्वारा प्रकाशित देश के पचहत्तर व्यंग्यकारोँ का व्यंग्य संग्रह ‘ अब तक 75’ का लोकार्पण अतिथियों द्वारा किया गया।

एक साधना है व्यंग्य लेखन : डॉ. बुधौलिया

अध्यक्षीय उद्धबोधन में डॉ. हरिमोहन बुधौलिया ने कहा कि व्यंग्य लेखन एक साधना है और उज्जैन के शिव शर्मा जी देश के प्रमुख व्यंग्यकार रहे और यह संकलन शिव जी को समर्पित कर मालवा की व्यंग्य परम्परा का सम्मान है।

व्यंग्य विधा का उज्जैन में रहा स्वर्णिम इतिहास : डॉ. शर्मा

सारस्वत अतिथि विक्रम विश्वविद्यालय के कुलानुशासक डॉ. शैलेन्द्र शर्मा ने कहा कि ‘अब तक 75 ‘ संकलन के जरिए व्यंग्य की एक मुकम्मिल तस्वीर सामने आई। कोरोनाकाल की यह विश्व की व्यंग्य के क्षेत्र, व्यंग्य विधा में यह पहली कृति है जिसका स्वागत किया जाना चाहिए। व्यंग्य विधा का उज्जैन में स्वर्णिम इतिहास रहा है और अनादि काल से व्यंग्य की समृद्ध परम्परा रही है। पंडित सूर्यनारायण व्यास, डॉ. शिव शर्मा से लेकर अब तक व्यंग्य की गतिशीलता बनी रही है और यह संकलन शिव जी को सही समर्पितं किया गया है, क्योंकि शिव जी की रचनाएं मालवा का मैला आँचल है। अधिकांश रचनाएँ कोरोना की विभीषिका से उपजी होकर समकालीनता का बोध कराती हैं।

व्यंग्यकारों व साहित्यकारों की भूमि है मालवा : श्रीलालित्य ललित

विशेष अतिथि श्रीलालित्य ललित ने कहा कि अब तक 75 कि रचनाओं में विषय का वैविध्य है और देश भर के प्रख्यात व्यंग्यकारों को इसमें सम्मिलित किया गया है। मालवा की भूमि देवभूमि के साथ व्यंग्यकारोँ, साहित्यकारों की भूमि भी है और उज्जैन ने हमें पुस्तक मेले के जरिये साठ लेखक दिए।

व्यंग्यकारोँ को जोड़ने का किया कार्य : जोशी

स्वागत भाषण देते हुए सचिव देवेंद्र जोशी ने कहा कि इस संकलन के जरिये संपादक द्वय ने देश के व्यंग्यकारोँ को जोड़ने का कार्य किया है। उज्जैन व्यंग्य की धरा रही है और उसी परम्परा को आगे यह संकलन बढ़ाता है। यह संकलन प्रख्यात व्यंग्यकार डॉ. शिव शर्मा को समर्पित है।

व्यंग्यनगरी है उज्जैन : संजीव कुमार

इंडिया नेटबुक्स के निदेशक संजीव कुमार ने कहा कि उज्जैन व्यंग्यनगरी है और मालवा के व्यंग्यकारों पर भी संकलन आना आज की आवश्यकता है। व्यंग्यकार रणविजय राव ने कहा कि लॉकडाउन के समय में यह संकलन लेखकीय रचनात्मकता का एक श्रेष्ठ उदाहरण है। सरस्वती वंदना सीमा जोशी ने प्रस्तुत की।

दीप आलोकन से लोकार्पण प्रसंग का शुभारंभ

अतिथियों ने दीप आलोकन कर लोकार्पण प्रसंग का शुभारंभ किया। स्वागत देवेंद्र जोशी, हरीशकुमार सिंह, संजय जोशी सजग, संदीप सृजन, डॉ. अभिलाषा शर्मा, डॉ. उर्मि शर्मा, पुष्पा चौरसिया आदि ने किया। अतिथियों को स्मृति चिह्न इंडिया नेटबुक्स की सीईओ डॉ. मनोरमा और निदेशक कामिनी मिश्रा ने प्रदान किया।

यह थे मौजूद

आयोजन में संपादक श्रीराम दवे , संतोष सुपेकर, राजेश रावल , सुरेंद्र सर्किट, अनिल कुरेल आदि उपस्थित थे। संचालन दिनेश दिग्गज ने किया। आभार पिलकेन्द्र अरोरा ने व्यक्त माना।

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