बैंक का गुमराह करने वाला रवैया : फसल बीमा की राशि खातों में तो मिली, लेकिन किसानों को नहीं, बैंक वाले कर रहे हैं ऋण खाते में जमा
🔲 समितियां कर रही अपनी वसूली
🔲 किसानों में रोष
🔲 सहकारी समितियां तथा बैंक शासन के आदेश की धज्जियां उड़ा रहे
🔲 शरद भट्ट
पिपलौदा, 28 अक्टूबर। फसल बीमा की राशि किसानों के खाते में जमा हो चुकी है, लेकिन बैंक किसानों को राशि प्रदान करने के स्थान पर ऋण खाते में जमा करवाई जा रही है। इससे किसानों को मिली राहत का लाभ उन्हें नहीं मिल पा रहा है। इसको लेकर किसानों में रोष है। सहकारी समितियां तथा बैंक शासन के आदेश की धज्जियां उड़ा रहे हैं।
काफी मशक्कत के बाद किसानों को शासन ने फसल बीमा की राशि प्रदान की है, लेकिन बैंक तथा सहकारी समितियां अपने फायदे के लिए किसानों को गुमराह कर रही है। किसानों के खाते में जमा राशि उनके ऋण खाते में जमा की जा रही है। इससे बैंक तथा समितियां अपनी वसूली सुनिश्चित कर रही है। जबकि शासन के आदेश हैं कि फसल बीमा की राशि से ऋण की वसूली नहीं की जाए। बैंक किसानों को दौड़ा-दौड़ा कर परेशान कर रही है। जो किसान बैंक में जाते हैं, उन्हें सहकारी समिति से नो ड्यूज लाने का कहा जाता है। जब किसान सहकारी समिति पहॅुचता है तो उनसे खाली विड्राल भरवा कर राशि उनके खाते में जमा कर रहा है।
फसल बीमा के स्थान पर ऋण राशि
इस संबंध में कोटड़ा के किसान मदन का कहना है कि वह फसल बीमा की राशि लेने के लिए जिला सहकारी बैंक पिपलौदा गया था। वहां से उसे आम्बा सहकारी समिति में नो ड्यूज के लिए भेजा गया। वहां उससे विड्राल भरवा लिया गया तथा उसकी फसल बीमा की राशि ऋण खाते में जमा कर दी गई। 3 दिन बाद उसे फसल बीमा के स्थान पर ऋण राशि प्रदान की गई।
वसूली को बढ़ाने के लिए किसानों को जबरन परेशान कर रहे : नांदेचा
सहकारी समिति के पूर्व अध्यक्ष महेश नांदेचा ने बताया कि कोविड की परिस्थिति को देखते हुए किसानों को राहत प्रदान की गई है, लेकिन बैंक अपनी वसूली को बढ़ाने के लिए किसानों को जबरन परेशान कर रहे हैं।इस संबंध में जिला सहकारी बैंक के महाप्रबंधक आलोक जैन को भी सूचित किया गया है, लेकिन अभी तक कोई सुधार नहीं हो सका है।
अनपढ़ किसानों की समस्या ज्यादा
आम्बा के किसान मियाराम पाटीदार, कन्हैयालाल पाटीदार, चुन्नीलाल मीणा का कहना है कि किसानों को फसल बीमा का कोई लाभ नहीं मिल पा रहा है। जो खाते ओवरड्यु है उनसे तो वसूली की ही जा रही है, जो खाते निरंक है उनको भी राशि नहीं दी जा रही है। इससे शासन की योजना का लाभ किसानों को नहीं मिल रहा है। मूल समस्या तो उन किसानों की है, जो पढ़े-लिखे नहीं है। उनको अन्य बाहरी व्यक्तियों से विड्राल भरने के लिए भी 10 से 20 रुपए देना पड़ रहे हैं।
लाभ मिला केवल कागजी
कांग्रेस उपाध्यक्ष दिलीपसिंह राठौर का कहना है कि इस मामले में सिर्फ किसान परेशान हो रहे हैं, उन्हें कागजी लाभ मिला है। धरातल पर कोई फायदा दिखाई नहीं दे रहा है।
मिला मौखिक आदेश
सहकारी समिति आम्बा के प्रबंधक कालूराम पाटीदार ने बताया कि उन्हें बैंक ने मौखिक आदेश दिया है कि समिति के जिन किसानों की फसल बीमा राशि आई है, उनसे विड्राल भरवा कर उनके ऋण खाते में जमा कर दी जाए तथा 3 दिन बाद नवीन ऋण प्रदान किया जाए।
किसानों को नहीं किया जा रहा परेशान
जिन किसानों का पिछला ऋण बकाया है, उनकी राशि जमा की जा रही है तथा नए ऋण की राशि में किसान यदि स्वेच्छा से राशि जमा करवाते हैं तो राशि जमा की जा रही है, इसमें किसी किसान को परेशान नहीं किया जा रहा है।
🔲 दिलीप चौहान, प्रबंधक सहकारी बैंक