कंप्यूटर बाबा के सरकारी जमीन पर बने आश्रम पर चला बुलडोजर
🔲 विरोध करने पर बाबा को भेजा जेल
हरमुद्दा
इंदौर, 8 नवंबर। भाजपा शासनकाल में मंत्री का दर्जा पाए और बाद में कांग्रेस के पाले में चले गए कंप्यूटर बाबा (रामदेव दास त्यागी) का जम्बूड़ी हप्सी गांव में सरकारी जमीन पर बना आश्रम रविवार सुबह ढहा दिया गया। बाबा ने गौशाला की जमीन पर कब्जा कर रखा था। विरोध करने पर पुलिस ने बाबा सहित सात लोगों को जेल भेज दिया। कार्रवाई अभी चल रही है। राज्यसभा सांसद दिग्विजय सिंह ने बदले की कार्रवाई बताया है।
अधिकारियों ने बताया कि अतिक्रमण हटाने के लिए बाबा को पहले नोटिस भी दिए गए थे। दो हजार रुपए का अर्थदंड लगाते हुए शासकीय भूमि से बेदखल करने का आदेश भी पारित किया गया था।
2 एकड़ भूमि पर किया था अवैध कब्जा
बाबा ने यहां दो एकड़ शासकीय भूमि पर अवैध कब्जा करके आश्रम, शेड और पक्के निर्माण कर लिए थे। यहां एयर कंडीशंड कमरे और उनमें आधुनिक सुख-सुविधा का सामान जुटा रखा था। यहां तीन सर्वे नंबरों की करीब 40 एकड़ शासकीय भूमि है। वर्ष 2000 में जिला योजना समिति ने यह जमीन गौशाला के लिए दी थी।
गौशाला की जमीन पर किया था कब्जा
गौशाला की जमीन पर ही बाबा ने कब्जा करके अवैध तरीके से निर्माण कर लिया। अतिक्रमण हटाने के दौरान बाबा और उनके अनुयायियों के विरोध को भांपते हुए प्रशासन के साथ पुलिस बल भी पहुंचा। अतिक्रमण हटाने के दौरान बाबा ने कार्रवाई का विरोध किया तो पुलिस अधिकारियों ने उन्हें हिरासत में ले लिया। पुलिस अभिरक्षा में उन्हें और छह लोगों को सेंट्रल जेल भेजा गया।
भाजपा शासन में मिला था मंत्री का दर्जा, बाद में चले गए कांग्रेस के पाले में
मुख्यमंत्री शिवराज सिंह ने अपने पिछले कार्यकाल में कंप्यूटर बाबा को मंत्री का दर्जा दिया था लेकिन जब चुनाव आए तो वे कांग्रेस के पाले में चले गए। पिछले दिनों संपन्न हुए 28 सीटों के विधानसभा उपचुनाव में उन्होंने कांग्रेस का खुलकर साथ दिया था।
बदले की भावना से हुई कार्रवाई : दिग्विजय सिंह
कांग्रेस नेता और राज्यसभा सदस्य दिग्विजय सिंह ने ट्वीट कर कहा कि इंदौर में बदले की भावना से कंप्यूटर बाबा का आश्रम व मंदिर बिना किसी नोटिस दिए तोड़ा जा रहा है। यह राजनितिक प्रतिशोध की चरम सीमा है। मैं इसकी निंदा करता हूं।
देपालपुर विधायक ने किया कार्रवाई का विरोध
देपालपुर से कांग्रेस विधायक विशाल पटेल ने कार्रवाई का विरोध किया, उनका कहना है कि यह मंदिर कलोता समाज का है। अगर मंदिर तोड़ने की कार्रवाई की गई तो पूरा कलोता समाज सड़क पर आकर आंदोलन करेगा।