दीपावली पर्व पर रात्रि 10 बजे के बाद पटाखों का उपयोग प्रतिबंधित
🔲 दीपावली पर्व पर केवल उन्नत पटाखे एवं ग्रीन पटाखों का ही उपयोग करें
हरमुद्दा
भोपाल, 13 नवंबर। सर्वोच्च न्यायालय ने ध्वनि प्रदूषण पर नियंत्रण के लिए निर्णय दिया है कि रात्रि 8 बजे से 10 बजे तक (2 घण्टे) के पश्चात दीपावली पर्व पर पटाखों का उपयोग प्रतिबंधित है। लड़ी (जुड़े हुए पटाखों) गठित करने वाले अलग-अलग पटाखों के निर्माण, विक्रय एवं उपयोग पूर्णत: प्रतिबंधित है।
मध्यप्रदेश प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी एस.एन. द्विवेदी ने कहा है कि दीपावली पर्व पर एवं अन्य पर्वों में उन्नत पटाखें एवं ग्रीन पटाखें ही विक्रय किये जा सकेगे। दीपावली पर्व पर पटाखों का उपयोग निर्धारित समय रात्रि 8 बजे से 10 बजे तक निर्धारित स्थल पर ही किया जाना है साथ ही प्रतिबंधित पटाखों का विक्रय न किया जाय।
प्रदूषण नियंत्रण होना जरूरी
प्रदूषण नियंत्रण बोर्ड के क्षेत्रीय अधिकारी ने कहा कि पटाखों के जलने से उत्पन्न कागज के टुकड़े एवं अधजली बारूद्ध बज जाती है। इस कचरे के संपर्क में आने वाले पशुओं एवं बच्चों के दुर्घटना ग्रस्त होने की संभावना रहती है। पटाखों के जलाने के उपरांत उससे उत्पन्न कचरे को ऐसे स्थानों पर न फेका जाय जहां पर प्राकृतिक जल स्त्रोत, पेयजल स्त्रोत प्रदूषित होने की संभावना हो क्योकि विस्फोटक सामग्री खतरनाक रसायनों से निर्मित होती है। दीपावली पर्व पर प्रदूषण पर नियंत्रण किया जाना अतिआवश्यक है। दीपावली के समय विभिन्न प्रकार के पटाखों का उपयोग बड़ी मात्रा में किया जाता है। ज्वलनशील एवं ध्वनिकारक पटाखों के उपयोग के कारण परिवेशीय वायु में प्रदूषक तत्वों एवं ध्वनि स्तर में वृद्धि होकर पर्यावरण पर प्रतिकूल प्रभाव पड़ता है कुछ पटाखों से उत्पन्न ध्वनि तीव्रता 100 डेसीबल से भी अधिक होती है। इससे मानव अंगों पर भी दुष्प्रभाव पड़ता है। उन्होंने कहा कि पटाखों का उपयोग सीमित मात्रा में करें एवं पटाखों को जलाने के पश्चात उत्पन्न कचरे को घरेलू कचरे के साथ न रखे। उन्हें पृथक स्थान पर रखकर नगर निगम के कर्मचारियों को सौंप देवे। नगर निगम के कर्मचारी पटाखों का कचरा पृथक संग्रहित करके उसके निष्पादन सुनिश्चित करें।