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पं. बालकृष्ण शर्मा “नवीन” की जन्म स्थली सबको देती है प्रेरणा : राज्यमंत्री परमार

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🔲 “नवीन” की जन्म स्थली मेरे संसदीय क्षेत्र में है, इसका गर्व है मुझे : सांसद सोलंकी

🔲 पं. बालकृष्ण शर्मा “नवीन” के जन्म स्थल ग्राम भ्याना में समारोह आयोजित

हरमुद्दा

शाजापुर, 8 दिसंबर। पं. बालकृष्ण शर्मा “नवीन” की जन्म स्थली सबको प्रेरणा देती है। उन्होंने रचनाओं और साहित्य के माध्यम से आजादी के आंदोलन में तेज पैदा करने का काम किया है।

यह बात प्रदेश के स्कूल शिक्षा (स्वतंत्र प्रभार) एवं सामान्य प्रशासन राज्यमंत्री इंदरसिंह परमार ने शाजापुर जिले की शुजालपुर तहसील के ग्राम भ्याना में मंगलवार को पं. बालकृष्ण शर्मा “नवीन” के जन्म दिवस पर आयोजित हुए समारोह को संबोधित करते हुए कही। इस अवसर पर क्षेत्रीय सांसद महेन्द्र सिंह सोलंकी सहित अन्य जनप्रतिनिधि एवं गणमान्य नागरिक उपस्थित थे।

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आजादी में बड़ा योगदान

समारोह को संबोधित करते हुए राज्यमंत्री श्री परमार ने कहा कि पं. बालकृष्ण शर्मा “नवीन” का आजादी में बड़ा योगदान है। उन्होंने अपनी रचनाओं के माध्यम से आंदोलन को तेज धार दी। विशाल समुदाय को जाग्रत करना एक बड़ा काम होता है, जिसे नवीन जी ने बखूबी निभाया। उन्होंने कहा कि गर्व का विषय है कि शाजापुर की धरती पर पं. बालकृष्ण शर्मा “नवीन” का जन्म हुआ, जिसने साहित्य जगत के माध्यम से लोगों के जीवन में बदलाव लाने का काम किया है। हम ऐसे लाल को श्रृद्धासुमन अर्पित करते हैं। उन्होंने कहा कि हर एक महापुरूष के जीवन से कुछ न कुछ सीखने के लिए मिलता है। आज देश कई प्रयोग कर रहा है। पुरानी व्यवस्थाओं, अंग्रेजो के द्वारा बनायी गई व्यवस्थाओं एवं अप्रासंगिक कानूनों को बदलने का काम किया जा रहा है।

शिक्षा में आमूलचल परिवर्तन करने का दायित्व मुझे मिला

मध्यप्रदेश की धरती पर शिक्षा में आमूलचल परिवर्तन करने का दायित्व मुझे मिला है। हमारे देश की शिक्षा आजादी के पहले अंग्रेज लार्ड मैकाले के द्वारा बनायी गई है, जिससे योजनाबद्ध तरीके से देश के लोगों की मानसिकता गुलामी की बनी रहे, की शिक्षा व्यवस्था बनायी थी। इसके पहले हमारे देश में शिक्षा का कार्य समाज के पास था, जिसमें राष्ट्र धर्म की भावना थी। साथ ही उन्होंने कहा कि महात्मा गांधी एवं सरदार वल्लभ भाई पटेल ने भी राष्ट्र धर्म के आधार पर शिक्षा में सुधार की कल्पना की थी, किन्तु वे सफल नहीं हो पाये। इसके बाद जयप्रकाश नारायण के नैतृत्व में समग्र क्रांति हुई थी। 1986 में देश के पूर्व प्रधानमंत्री राजीव गांधी ने भी शिक्षा के क्षेत्र में कुछ बदलाव किये थे, किन्तु उनका क्रियान्वयन नहीं हो पाया। इस प्रकार हमारे देश में अंग्रेजों के सिस्टम से भ्रष्टाचार और गलत कार्य करने वालों की संख्या में ईजाफा होने लगा। हमारे देश में इतिहास भी बदला गया, जिसमें पं. बालकृष्ण शर्मा “नवीन” जैसे स्वतंत्रता सैनानियों की अनदेखी हुई।

नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ड्राफ्ट तैयारकर मांगें सुझाव

उन्होंने कहा कि पिछले चार सालों में देश के इतिहास को बदलने, नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति बनाने के लिए शिक्षाविदो एवं विद्वानों द्वारा विचार मंथन किया जा रहा है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति पर इतना विचार मंथन हुआ है कि दुनिया में आज तक किसी नीति पर नहीं हुआ होगा। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति का ड्राफ्ट तैयार किया जाकर जनता से सुझाव भी मांगे गए हैं। इस नीति पर देश में किसी भी हिस्से या प्रांत से विरोध नहीं हुआ है। नई राष्ट्रीय शिक्षा नीति देश-भक्ति का भाव प्रदान करती है, वही सभी को अपनी भाषा में शिक्षा भी प्रदान करेगी। पुरानी शिक्षा नीति ने लोगों के मन में यह भाव पैदा कर दिया है कि हम अपनी भाषा से दुनिया के सामने बराबरी का मुकाबला नहीं कर सकते हैं। जबकि दुनिया के अन्य देश अपनी भाषा में अपने-अपने कार्य करते हैं। उन्होंने कहा कि आने वाले 15-20 सालों में हम अपनी भाषा से ही देश को पुन: वीर-भारत के रूप में खड़ा करेंगे। हमारा देश पहले विश्व गुरू के रूप में जाना जाता था, अब पुन: हमारा देश विश्व गुरू के रूप में जाना जाएगा।

इस अवसर पर सांसद श्री सोलंकी ने संबोधित करते हुए कहा कि मुझे गर्व है कि पं. बालकृष्ण शर्मा “नवीन” की जन्म स्थली उनके संसदीय क्षेत्र में है। उन्होंने पं. बालकृष्ण शर्मा “नवीन” को श्रृद्धसुमन अर्पित करते हुए उनके कार्यों को याद किया।

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