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नगरीय निकाय आरक्षण : भोपाल और खंडवा ओबीसी महिला के लिए आरक्षित, सतना और रतलाम मुक्त

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हरमुद्दा

भोपाल, 9 दिसंबर। मध्य प्रदेश के 16 नगर निगम में मेयर पद के लिए आरक्षण हो गया है। 407 नगरीय निकायों में महापौर और अध्यक्ष पद के लिए आरक्षण हुआ। इनमें 99 नगर पालिका और 292 नगर परिषद भी शामिल हैं। नगरीय निकाय चुनावों को लेकर राज्य निर्वाचन आयोग ने भी अपनी तैयारी पूरी कर ली है। लिहाजा जल्द ही निकाय चुनावों के लिए तारीख का ऐलान होगा। यह चुनाव भी एक जनवरी 2020 की मतदाता सूची के आधार पर ही कराए जाएंगे, ताकि तीन माह के अंदर ही चुनाव संबंधित सभी तैयारियां पूरी की जा सकें।

एक नजर आरक्षण पर

🔲 छिंदवाड़ा आरक्षित ( मुक्त)।

🔲 ओबीसी सीट

भोपाल और खंडवा, (महिला के लिए आरक्षित)
सतना और रतलाम (मुक्त)

🔲 जनरल सीट

सागर, बुरहानपुर, देवास और कटनी और ग्वालियर (सामान्य महिला आरक्षित)

🔲 जनरल सीट

इंदौर, जबलपुर, रीवा और सिंगरोली (अनारक्षित)।

🔲 ओबीसी के लिए 25 पद आरक्षित किए गए है। इसमें से सबलगढ़, धारा, आष्टा, रायसेन, सिरोंज, होशंगाबाद, छतरपुर, शहडोल, पन्ना, राधौगढ़, मंदसौर, जुन्नारदेव, मनावर, मैहर, सनावद, श्योपुर कलां, सिवनी, मंडला, ब्यावरा, रहली, पाढूंर्णा, इटारसी, जावरा और नेपानगर नगर पालिका ओबीसी के लिए आरक्षित कर दी गई है।

महापौर का चुनाव करते थे पार्षद

बता दें कि वर्ष 1983 से 1999 तक महापौर का चुनाव पार्षद द्वारा किया जाता था। इसके बाद सरकार द्वारा फेरबदल किए गए और महापौर का चुनाव सीधे जनता द्वारा कराए जाने लगा। 2018-19 में महापौर चुनाव को लेकर कमलनाथ सरकार ने फिर फेरबदल किए। वापस पार्षदों द्वारा ही चुनाव कराने का नोटिफिकेशन जारी किया गया। वर्ष 1999-2000 में जनता के माध्यम से पहली बार चुन कर विभा पटेल महापौर बनी थीं। विभा के अलावा जनता द्वारा तीन अन्य महापौर चुने जा चुके हैं। इसमें सुनील सूद, कृष्णा गौर और वर्तमान महापौर आलोक शर्मा हैं। इसमें जनता द्वारा दो कांग्रेस और दो भाजपा के मेयर रहे हैं।

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