🔲 विवेक रंजन श्रीवास्तव

मियां अल्लारख्खा, रामभरोसे जी का उर्दू संस्करण हैं। दोनो ही गरीबी की रेखा से नीचे वाले  राशन कार्ड, बी पी एल कार्ड , आयुष्मान कार्ड जैसे बेशकीमती दस्तावेजों के महत्वपूर्ण धारक हैं। वे सब्सिडी वाली बिजली, उज्वला गैस, अंत्योदय योजना, बैंको के रोजगार लोन के सुपात्र हैं। उनके लोन की गारंटी सरकारें लेती हैं। वे मुफ्त शौचालय निर्माण, बिना ब्याज के गृह ॠण, डायरेक्ट फंड ट्रांस्फर वगैरह वगैरह जैसी एक नहीं अनेकों जन हितैषी योजनाओ के लाभार्थी हैं। तमाम सरकारी कोशिशों के बाद भी वे गरीबी रेखा पार नहीं कर पाते। दीन हीन रामभरोसे में राम बसते हैं। जनगणना में अल्लारख्खाओ और रामभरोसों के आंकड़े सब के लिये बड़े मायने के होते हैं। उनके आंकड़े सरकारो की सारी योजनाओ का मूल आधार बनते हैं। अल्लारख्खा और रामभरोसे की बस्तियां नेता जी की वोट की खदाने हैं। वे राजनैतिक दलो के घोषणा पत्रो के चुनिंदा विषय हैं।1607830082177

लालकिले की प्राचीर से होने वाले भाषण हों या रेडियो पर दिल की बातें। उनमें इनमें से किसी की चर्चा हो तो भाषण हिट हो जाते हैं। इनके मन को टटोलने में जो सफल हो जाता है वह जननेता बन जाता है। इनकी गिनती में थोड़ी बहुत हेरा फेरी कर्मचारियो की ऊपरी कमाई का स्रोत है। धर्म के कथित ठेकेदारो के लिए रामभरोसों और अल्लारख्काओ की आस्थाएं बड़ा महत्व रखती हैं, ये और बात है कि इस सब से बेफिक्र उनकी पहली आस्था भूख के प्रति है। दोनो ही दिन भर की थकान मिटाने के लिए शाम को एक ही ठेके पर मिलते हैं और जब कभी जेबें थोड़ी बहुत भरी होती हैं तो वे एक ही बाजार में देह की खुशी तलाशने निकल जाते हैं।

फटे, मैले कुचैले कपड़ो में उनके बच्चो की मुस्कराती हुई तस्वीरें अंतरराष्ट्रीय पुरस्कार जीतने की क्षमताएं रखती है। जब कभी अल्लारख्खा और रामभरोसे की बस्ती से कोई बच्चा अपने बस्ते और बुद्धि के कमाल से किसी प्रतियोगिता में कोई सफलता पा लेता है, तो खबरो में धमाल मच जाता है। रामभरोसे या अल्लारख्खा की जान बड़ी कीमती है। उन्होने देखा है कि जीते जी न सही किसी दुर्घटना में उनकी मौत तुरंत लाख रुपयो की सरकारी सहायता और परिवार में किसी के लिए सरकारी नौकरी का वादा लेकर आती है।

किसी भी राष्ट्रीय टीकाकरण कार्यक्रम की सफलता  रामभरोसों और अल्लारख्खाओ के वैक्सीनेशन हुए बिना संभव नही है। यह तथ्य डाक्टर्स से लेकर राजनेता तक खूब समझते हैं। ये और बात है कि स्वयं की प्रतिरोधक क्षमताओ पर इन बस्तियों को इतना भरोसा है कि उन्हें पकड़ पकड़ कर टीके लगाने होते हैं। उनकी इस आत्मनिर्भरता की भावना से मुकाबले के लिए ही स्वास्थ्य कर्मियो का बड़ा अमला घर-घर जाकर उनके मना करने पर भी उन्हें मना मना कर उनका वैक्सिनेशन करता है।

दुनियां को फिर से पटरी पर लाने के लिये कोरोना की वैक्सीन जरूरी है। नेता जी ने चुनावी वादों में सबको मुफ्त कोविड वैक्सीनेशन का वादा किया हुआ है। तरह तरह की वैक्सीन बन रही हैं। किसी के दो डोज लगने हैं तो किसी के तीन। कोई माइनस 70 डिग्री में रखी जानी है तो कोई फ्रिज टेम्प्रेचर पर। माइनस 70 डिग्री स्टोरेज तापमान वाले उपकरण बनाने वाली कम्पनियां दुनियां भर से अपने उपकरणो के लिये आर्डर लेने की जुगत भिड़ाने में लगी हैं। उनकी मार्केटिंग टीमें ईमेल करने और देश देश के संबंधित मंत्रालयो से हर तरह के संपर्क में सक्रिय हैं। नकली चीनी वैक्सीन निर्माता इंतजार में हैं कि कब कोई वैक्सीन बाजार में आये और वे उंचे दामो पर अपना माल खपा दें। वैक्सीन कोरोना की आपदा में अवसर बनकर आ रही है। किसी के लिए कमाई और रोजगार के तो किसी के लिए पुरस्कार के मौके कोविड वैक्सिनेशन में अंतर्निहित है।

इस सबसे बेखबर रामभरोसे और अल्लारख्खा अपनी खुद की इम्युनिटी के बल पर गमछा लपेटे कोविड आत्मनिर्भर दिखते हैं। संभ्रांत बुद्धिजीवी दानवीर लोग व संस्थाएं इन्हें ही मास्क बांटतें हैं और अपने संवेदनशील होने की तस्वीरें खिंचवा पाते हैं। वे स्वयं को सेल्फ वैक्सीनेटेड मानते हैं। कोरोना के प्रति रामभरोसे और अल्लारख्खा के दृष्टिकोण बड़े परिपक्व हैं, वे इसे अमीरों की बीमारी बताने में नही हिचकिचाते। वे बिना मास्क मजे में बाजारो में घूमते मिल सकते हैं। उन्हें चुनावो की रैलियों, धार्मिक जुलूसों, किसान आंदोलनो की भीड़ से डर नही लगता। कभी कभार नाक, मुंह पर गमछे का कोना या साड़ी का पल्ला लपेटकर वे मास्क का शौक पूरा कर लेते हैं।

जब कभी सरकारी चालान का डर हो तो यही गमछा उनका अस्त्र बन जाता है, जिसको वैक्सीनेशन के दस्तावेजों में उनका नाम चढ़ाना हो अभी से चढ़ा ले। रामभरोसे हों या अल्लारख्खा वे वैक्सीन के भरोसे नहीं। आत्मनिर्भरता ही उनकी ताकत है। उनका कोविड वैक्शीनेसन हो न हो उनकी बला से। वैक्सीनेशन की जल्दबाजी आप करें। रामभरोसे और अल्लारख्खा को पता है उन्हें तो मना मना कर, टीवी पर विज्ञापन दे देकर वैक्सीन लगाएगी सरकार।

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🔲 विवेक रंजन श्रीवास्तव
ए 1 , शिला कुंज , नयागांव
जबलपुर 482008

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