ज्ञान विज्ञान : सबसे छोटा दिन व बड़ी रात आज और कल, धूप के बावजूद भी छाया की अद्भुत घटना को इस बार देख सकेंगे 2 दिन तक

🔲 दिन रहेगा 10 घंटे 41 मिनट का

🔲 रात रहेगी 13 घंटे 19 मिनट की

हरमुद्दा
उज्जैन, 21 दिसंबर। उत्तरी गोलार्ध का सबसे छोटा दिन और सबसे बड़ी रात इस बार 2 दिन तक इस अवसर को देखा जा सकेगा। इस अद्भुत घटना को देखने के लिए जीवाजी वेधशाला उज्जैन में शंकु यंत्र पर विशेष व्यवस्था की गई है। अमूमन तो 21 दिसंबर को ही सबसे छोटा दिन होता है और रात बड़ी होती है मगर इस बार ऐसा संयोग बना है कि 21 और 22 दिसंबर 2 दिन तक इस घटना के साक्षी बन सकेंगे। खास बात यह है कि धूप के बावजूद भी छाया को देख सकेंगे।

जीवाजी शासकीय वेधशाला उज्जैन के अधीक्षक डॉ. राजेंद्र प्रकाश गुप्त ने हरमुद्दा को बताया कि सूर्य के चारों ओर पृथ्वी के परिभ्रमण के कारण 21 दिसंबर 2020 को सूर्य मकर रेखा पर लंबवत रहेगा। इस दिन सूर्य की क्रांति 23 26′ 11” दक्षिण होगी। सायन गणना के अनुसार सूर्य धनु राशि में 29 50′ 59” पर होंगे। 22 दिसंबर 2020 को भी सूर्य मकर रेखा पर ही लंबवत होगा, क्योंकि इस दिन कि सूर्य क्रांति 23, 26′ 09” दक्षिण है परंतु 22 दिसंबर को सायन गणना के अनुसार सूर्य मकर राशि में 00, 52′ 05” पर होगा। इस कारण इस घटना को इस वर्ष 2 दिन देखा जा सकेगा। जिससे उत्तरी गोलार्ध में सबसे छोटा दिन और सबसे बड़ी रात होगी।

अब दिन होने लगेंगे बड़े और रातें छोटी

डॉ. गुप्त ने बताया कि 21 दिसंबर को उज्जैन में सूर्योदय 7:04 तथा सूर्यास्त 5: 45 मिनट पर होगा। 22 दिसंबर को उज्जैन में सूर्योदय 7:05 तथा सूर्यास्त 5:46 पर होगा। इस प्रकार 21 एवं 22 दिसंबर दोनों दिन दिन की अवधि 10 घंटे 41 मिनट तथा रात की अवधि 13 घंटे 19 मिनट होगी। 22 दिसंबर से सूर्य मकर राशि में प्रवेश करता है तथा सूर्य की गति उत्तर की ओर दृष्टिगोचर होना प्रारंभ हो जाती है, जिसे उत्तरायण का प्रारंभ कहते हैं। सूर्य की उत्तर की ओर गति होने के कारण अब उत्तरी गोलार्ध में दिन धीरे-धीरे बड़े होने लगेंगे तथा रात छोटी होने लगेगी। 21 मार्च को सूर्य विषुवत रेखा पर होगा। इस दिन दिन रात बराबर होंगे।

वेधशाला में देख सकेंगे अद्भुत घटना को दो दिन

डॉ. गुप्त ने बताया कि शासकीय जीवाजी वेधशाला उज्जैन में इस घटना को वेधशाला के शंकु यंत्र के माध्यम से प्रत्यक्ष देखा जा सकेगा। दोनों दिवस शंकु की छाया सबसे लंबी होकर मकर रेखा पर गमन करती हुई दृष्टिगोचर होगी। इस घटना को धूप होने पर भी हम देख सकेंगे।

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