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मनुष्य में अपनी आत्मा के सामने खड़े होने का साहस होना चाहिए : डॉ. चांदनीवाला

🔲 श्रीमद्भगवद्गीता के अध्येता मांगीलाल व्यास स्मृति में व्याख्यानमाला

हरमुद्दा
रतलाम, 26 दिसंबर। गीता का ज्ञान योग ,भक्ति योग और कर्म योग जीवन का आधार है। जहां जिज्ञासा है, वहां समाधान है। मनुष्य में अपनी आत्मा के सामने खड़े होने का साहस होना चाहिए। आत्मा का कभी नाश नहीं होता है। वर्तमान परिदृश्य में मनुष्य अपना जीवन ढूंढ रहा है। श्रीमद्भगवद्गीता अध्यात्म का मार्ग प्रशस्त करती है। मनुष्य को श्रीमद्भगवद्गीता का नियमित पाठ करना चाहिए।


यह विचार साहित्यकार एवं शिक्षाविद् डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला ने व्यक्त किए। डॉ. चांदनीवाला श्रीमद्भगवद्गीता के अध्येता मांगीलाल व्यास स्मृति व्याख्यानमाला के तहत गीता जयंती तुलसी पूजन के अवसर पर श्रीमद्भगवद्गीता की महिमा विषय पर व्याख्यान में मुख्य वक्ता के रूप में बोल रहे थे।

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गुरु शिष्य का संवाद है गीता

डॉ. चांदनीवाला ने कहा कि श्रीमद्भगवद्गीता भगवान श्री कृष्ण जी के मुख से निकली है। जिस प्रकार शिक्षक के सारे प्रश्नों का समाधान गुरु है, उसी प्रकार धनुर्धर अर्जुन के सारे प्रश्नों का जवाब श्रीमद्भगवद्गीता में गुरु के रूप में भगवान श्रीकृष्ण ने दिए हैं। इस प्रकार गुरु शिष्य का संवाद गीता है।

तुलसी पूजन से शुरुआत

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कार्यक्रम की अध्यक्षता श्री महर्षि श्रृंग विद्यापीठ अध्यक्ष कन्हैयालाल तिवारी ने की। विशेष अतिथि सिखवाल समाज देवस्थान न्यास अध्यक्ष अशोक पांड्या थे। प्रारंभ में अतिथियों ने मां सरस्वती एवं तुलसी का पूजन कर मांगीलाल व्यास की तस्वीर पर माल्यार्पण किया। अतिथियों का स्वागत गोपालकृष्ण व्यास, प्रकाश व्यास, राजेंद्र व्यास ,पंकज व्यास ने किया। इस अवसर पर सेवानिवृत्त शिक्षक किशोर सिंह राठौड़ ने मांगीलाल व्यास पर लिखित कविता का पाठ किया।

यह थे मौजूद

व्याख्यानमाला में श्री सिखवाल समाज देवस्थान न्यास के संस्थापक न्यासी बीएल त्रिपाठी, न्यासी महेश व्यास, अनिल पांडया, गोपाल उपाध्याय आदि  मौजूद थे। संचालन एडवोकेट सतीश त्रिपाठी ने किया।

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