मध्य प्रदेश ग्रामीण ऋण मुक्ति विधेयक-2020 को कैबिनेट की मंजूरी : सूदखोर साहूकारों के चंगुल से मुक्त होगी जनता

🔲 15 अगस्त 2020 तक लिए गए सभी अवैध ऋण हो जाएंगे शून्य

🔲 केंद्र प्रवर्तित प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना को कैबिनेट की मंजूरी

हरमुद्दा
भोपाल 12 जनवरी। ‘मध्य प्रदेश ग्रामीण ऋण मुक्ति विधेयक – 2020’ ऐसे सूदखोर साहूकारों के चंगुल से जनता को मुक्त करेगा, जो बिना वैध लाइसेंस के मनमानी दरों पर ऋण देते और वसूलते हैं। इसके द्वारा 15 अगस्त 2020 तक लिए गए सभी अवैध ऋण शून्य हो जाएंगे। अनुसूचित जनजाति ऋण मुक्ति विधेयक के माध्यम से अनुसूचित क्षेत्रों में रहने वाले जनजातीय भाई-बहनों को इस प्रकार के अवैध ऋणों से पहले ही मुक्त कराया गया है।

मुख्यमंत्री शिवराजसिंह चौहान की अध्यक्षता में मंगलवार को मंत्रालय में संपन्न राज्य मंत्री परिषद की बैठक में मध्य प्रदेश ‘ग्रामीण ऋण मुक्ति विधेयक-2020’ तथा केंद्र प्रवर्तित ‘प्रधान मंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना’ सहित अन्य प्रस्तावों को मंजूरी दी गई। बैठक में मंत्री परिषद के सदस्य व संबंधित अधिकारी उपस्थित थे।

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वैध लाइसेंसधारी साहूकार दे सकेंगे ऋण

मुख्यमंत्री ने कहा कि मध्य प्रदेश ग्रामीण ऋण मुक्ति विधेयक – 2020 में वैध लाइसेंस धारी साहूकार द्वारा शासन की निर्धारित दरों पर ऋण देने पर कोई प्रतिबंध नहीं रहेगा। वे नियमानुसार ऋण देकर उसकी वसूली कर सकेंगे। साथ ही ऐसे किसान जो मजदूरों को अग्रिम/ऋण देते हैं, उन पर भी कोई बंधन नहीं रहेगा।

खाद्य प्र-संस्करण के लिए अधोसंरचना तैयार करने में सहायक होगी केंद्र की योजना

मुख्यमंत्री ने कहा कि केंद्र प्रवर्तित प्रधानमंत्री सूक्ष्म खाद्य उन्नयन योजना मध्य प्रदेश में खाद्य प्र-संस्करण की अधोसंरचना तैयार करने में उपयोगी होगी। इसमें केंद्र तथा राज्य का अंश 60 एवं 40 होगा। इसके अंतर्गत प्रयोगशाला, वेयरहाउस, इनक्यूबेशन सेंटर, कोल्ड स्टोर्स आदि बनाए जाने पर कृषि उत्पादक समूह, स्व-सहायता समूह, सहकारी समितियों आदि को 35% क्रेडिट लिंकेज प्रदान की जाएगी।

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