मैं भी खाऊं, तू भी खा…
🔲 प्रोफेसर अजहर हाशमी के व्यंग्य संग्रह हुआ विमोचन
🔲 मैं भी खाऊं, तू भी खा…. इस दौर में सबसे सार्थक और सहजता से जीने की कला : राजेश जैन
हरमुद्दा
रतलाम, 18 जनवरी। मैं भी खाऊं, तू भी खा…. इस दौर में सबसे सार्थक और सहजता से जीने की कला है। व्यंग्य हमेशा से ऐसी विधा रही है, जिसने समाज को उसका चेहरा दिखाया भी और गुदगुदाया भी है। मैं भी खाऊं, तू भी खा…उस व्यंग्य संग्रह का शीर्षक भी है जिस पर शोधार्थियों ने पीएचडी करके इसे नया कीर्तिमान प्रदान किया।
यह विचार शहर और प्रदेश की ख्यात शख्सियत, साहित्यकार, व्यंग्यकार प्रोफेसर अजहर हाशमी के व्यंग्य संग्रह मैं भी खाऊं, तू भी खा.. के विमोचन समारोह में मुख्य अतिथि के रूप में प्रेस क्लब अध्यक्ष राजेश जैन ने व्यक्त किए।
उदगार और विद्यार्थी परिवार के बैनर तले हुआ विमोचन
लेखिकाओं की प्रसिद्ध संस्था उदगार और विद्यार्थी परिवार के तत्वावधान में विमोचन समारोह प्रोफेसर हाशमी के निवास इंदिरा नगर में सोमवार को आयोजित हुआ। कार्यक्रम में विशेष अतिथि प्रेस क्लब सचिव मुकेशपुरी गोस्वामी और वरिष्ठ पत्रकार गोविंद उपाध्याय रहे। अध्यक्षता वरिष्ठ पत्रकार तुषार कोठारी ने की।
रतलाम को मिला गौरव : हाशमी
अपने सम्मान के प्रत्युत्तर में प्रोफेसर हाशमी ने कहा कि सन 1990 के दशक में उनके लिखे व्यंग्य शहर के समाचार पत्रों में नियमित रूप से प्रकाशित होते रहे। पाठकों द्वारा ये व्यंग्य इतने सराहे गए कि कई लोगों को ये आज तक याद हैं। इन्हीं व्यंग्य पर रतलाम को गौरव भी प्राप्त हुआ और बाहर से आए विद्यार्थियों ने इन पर पीएचडी करके र्कीतिमान बनाया। पाठकों के आग्रह पर उन व्यंग्य को पुस्तक के रूप में संदर्भ प्रकाशन भोपाल द्वारा प्रकाशित किया गया है। इसकी भूमिका प्रख्यात साहित्यकार डॉ. प्रेम भारती ने लिखी है।
इसके पूर्व विमोचन समारोह में सम्मिलित हुए प्रोफेसर हाशमी का विद्यार्थियों ने पुष्प माला और पुष्पगुच्छ देकर सम्मान किया।
यह थे मौजूद
समारोह में उदगार संस्था की अध्यक्ष डॉ. अनिला कंवर , सचिव डॉ. प्रवीणा दवेसर, सह सचिव नंदिनी सक्सेना, विद्यार्थी परिवार के अध्यक्ष सतीश त्रिपाठी, पत्रकार हेमंत भट्ट, नीरज शुक्ला, कमलेश पांडे, भरत गुप्ता, कमलसिंह जाधव, माधव सक्सेना, अदिति मिश्रा, स्वदेश शर्मा आदि मौजूद थे।