पराक्रमी सपूतों के त्याग, संघर्ष और आदर्श की कहानी देश को प्रेरित करेगी हमेशा

हरमुद्दा
दिल्ली, 23 मार्च। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने कहा आजादी के अमर सेनानी वीर भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु को शहीद दिवस पर शत-शत नमन। भारत माता के इन पराक्रमी  सपूतों के त्याग, संघर्ष और आदर्श की कहानी इस देश को हमेशा प्रेरित करती रहेगी।

भारत की आजादी के लिए आज ही के दिन 23 मार्च को हंसते-हंसते फांसी के फंदे पर झूलने वाले महान स्वंतत्रता सेनानियों शहीद भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु के बलिदान को कभी भुलाया नहीं जा सकता। जब-जब आजादी की बात होगी तब-तब इंकलाब का नारा देने वाले भारत माता के ये वीर सपूत याद किए जाते रहेंगे। 23 मार्च 1931 को ही भगत सिंह, राजगुरु और सुखदेव को ब्रिटिश हुकूमत ने फांसी पर लटका दिया था।

एक दिन पहले ही दे दी फांसी

भगत सिंह और उनके साथी राजगुरु और सुखदेव को फांसी दिया जाना भारत के इतिहास में दर्ज सबसे बड़ी एवं महत्वपूर्ण घटनाओं में से एक है। भगत सिंह, सुखदेव और राजगुरु ने 1928 में लाहौर में एक ब्रिटिश जूनियर पुलिस अधिकारी जॉन सॉन्डर्स की गोली मारकर हत्या कर दी थी (लाहौर षड्यंत्र केस)। इसके लिए तीनों को फांसी की सजा सुनाई थी। तीनों को 23 मार्च 1931 को लाहौर सेंट्रल जेल के भीतर ही फांसी दे दी गई। इस मामले में सुखदेव को भी दोषी माना गया था। सजा की तारीख 24 मार्च थी, लेकिन 1 दिन पहले ही फांसी दे गई थी।

तब पढ़ रहे थे लेनिन की जीवनी

जिस वक्त भगत सिंह जेल में थे, उन्होंने कई किताबें पढ़ीं थी। 23 मार्च 1931 को शाम करीब 7 बजकर 33 मिनट पर भगत सिंह और उनके दोनों साथी सुखदेव और राजगुरु को फांसी दे दी गई थी। फांसी पर जाने से पहले वे लेनिन की जीवनी पढ़ रहे थे।

Leave a Reply

Your email address will not be published. Required fields are marked *