शासकीय अधिकारी कर्मचारियों की पुरानी पेंशन बहाली को लेकर विधायक को सौंपा ज्ञापन
न्यू मूवमेंट फाॅर ओल्ड पेंशन संघ द्वारा पूरे प्रदेश में विधायकों को सौंपे जा रहे ज्ञापन
हरमुद्दा
शाजापुर, 1 फरवरी। शासकीय अधिकारी कर्मचारियों को सेवानिवृत्त उपरांत पूर्व की भांति मिलने वाली पुरानी पेंशन व्यवस्था ओ.पी.एस जिसे जनवरी 2005 से बंद कर दिया गया है, उसे पुनः बहाल करवाने की मांग को लेकर न्यू मूवमेंट फाॅर ओल्ड पेंशन संघ मध्यप्रदेश (पुरानी पेंशन बहाली संघ) की जिला शाखा द्वारा रविवार को क्षेत्रीय विधायक हुकुमसिंह कराड़ा को ज्ञापन सौंपा गया।
संघ के जिलाध्यक्ष आनंद कुमार नागर के नेतृत्व में सौंपे गए ज्ञापन में कहा गया है कि मध्यप्रदेश सरकार द्वारा 1 जनवरी 2005 से नियुक्त शासकीय अधिकारी/कर्मचारियों को पुरानी पेंशन स्कीम ओ.पी.एस. को बंद कर न्यू पेंशन स्कीम एन.पी.एस. लागू की गई, जिसमें 1 जनवरी 2005 के बाद नियुक्त राज्य सरकार के सभी विभागों के लाखों कर्मचारी अधिकारी प्रभावित हुए हैं। न्यू पेंशन स्कीम शेयर बाजार पर आधारित है। इसमें न्यूनतम पेंशन का भी कोई प्रावधान नहीं है। न्यू पेंशन स्कीम में 500 से 1000 रूपए तक कुल पेंशन मिल रही है, जो कि वृद्धावस्था पेंशन से भी कम है। जिससे कर्मचारियों का जीवन निर्वहन एवं परिवार का भरण पोषण सम्मान पूर्वक नहीं होता। जो शासकीय कर्मचारियों के साथ घोरतम अन्याय है। कर्मचारी सरकार का लोकसेवक है और पेंशन उसको प्रायवेट कम्पनी दे जो न्याय संगत नहीं है। ज्ञापन में मांग की गई है कि 1 जनवरी 2005 के बाद नियुक्त शासकीय अधिकारी कर्मचारियों की पीड़ा विधानसभा सदन में प्रश्न के माध्यम से संकल्प पत्र के माध्यम से मुख्यमंत्रीजी के सामने रखते हुए पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करवाने हेतु अपना सहयोग प्रदान करें। मध्यप्रदेश के सभी प्रभावित कर्मचारी/ अधिकारी एवं उनका परिवार सदैव आपका ऋणी रहेगा। श्री नागर ने बताया कि न्यू मूवमेंट फाॅर ओल्ड पेंशन संघ मध्यप्रदेश के प्रान्ताध्यक्ष सतेंद्रसिंह तिवारी के आह्वान पर विधायक को शासकीय सेवकों के लिए पुरानी पेंशन व्यवस्था बहाल करवाने के लिए सम्पूर्ण मध्यप्रदेश में ज्ञापन सौंपे जा रहे हैं।
यह थे मौजूद
ज्ञापन सौंपे जाते समय संघ के कार्यकारी अध्यक्ष महेश उपाध्याय, चाणक्य शिक्षक संघ के प्रांतीय महामंत्री रजनीश महिवाल, शासकीय अध्यापक संगठन के जिलाध्यक्ष हसीब परवेज, पुरानी पेंशन बहाली संघ के बनवारी बैरागी, रतनसिंह बगड़ावत, इंदरसिंह कराड़ा आदि उपस्थित थे।