धर्म संस्कृति अध्यात्म : संयम, सद्भाव और समन्वय की सुवास से समाज हो उन्नत : स्वामीजी

हरमुद्दा
रतलाम, 5 फरवरी। महामंडलेश्वर स्वामी चिदंबरानंद शिव पंचायतन के अभिषेक के पश्चात कहा कि
“राम सिंधु घन सज्जन धीरा, चंदन तरु हरि संत समीरा” अर्थात भगवान श्री राम समुद्र है। तो धैर्यशील संत पुरुष बादल है भगवान चंदन के वृक्ष है तो संत गण हवा है। भगवान के संदेश जो जीव मात्र के लिए हितकर होते हैं इन्हें सब और हवा बनकर संत गण पहुंचाते हैं ताकि संयम सद्भाव आराधना और समन्वय की सुवास से समाज लाभान्वित हो उन्नत हो ।

उल्लेखनीय है कि स्वामीजी विगत वर्षों से प्रातः काल भगवान शंकर का संपूर्ण विधि विधान से अभिषेक करते हैं जिसके दर्शन मात्र से जीवन ,पाप, ताप और संताप समाप्त हो जाता है।

लिया अभिषेक का धर्म लाभ

स्वामी जी ने स्थानीय बरबड़ रोड स्थित दयाल वाटिका में शिव परिवार तथा शिवलिंग का अभिषेक विधि-विधान से किया। अभिषेक का लाभ मोहनलाल भट्ट, एडवोकेट कैलाश व्यास पत्रकार राकेश पोरवाल आदि ने भी लिया।अंत में आरती की गई ।

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