एक्शन में परिवहन अधिकारी : 38 वाहन चेक, 12 पर जुर्माना, ऑफिस भेजी गई 3 बसों में से शाम तक रह गई एक

हरमुद्दा
रतलाम, 19 फरवरी। शुक्रवार को जिला परिवहन अधिकारी खुद ही एक्शन के लिए के दौड़ पड़े। तीन घंटे में 38 वाहन चैक हुए जिनमें से 12 पर जुर्माना भी हुआ। कार्रवाई के दौरान तीन बसें भी अमले ने आरटीओ कार्यालय भिजवाईं हालांकि शाम होते-होते उनमें से सिर्फ 1 बस ही रह गई। आरटीओ ने इसे सामान्य प्रक्रिया बताया है।

जिले में ओवरलोड वाहन दौड़ते हैं और आगे भी दौड़ते ही रहेंगे। सीधी में एक ओवरलोड बस के नहर में समा जाने और 52 यात्रियों की जिंदा जल समाधि बनने के बाद से शासन-प्रशासन में हड़कंप है। सीएम शिवराज सिंह चौहान ने पूरे प्रदेश में ऐसी घटनाओं की पुनरावृत्ति रोकने के लिए सघन चैकिंग के निर्देश दिए हैं।

कलेक्टर ने दिखाई संजीदगी

कलेक्टर गोपाल चंद डाड ने भी संजीदगी दिखाते हुए ओवरलोड और नियमों को ताक में रख कर दौड़ए जा रहे वाहनों पर कार्रवाई के निर्देश दिए। गुरुवार को कलेक्टर डाड ने नियमों के विरुद्ध चलने वाले वाहनों पर सख्ती बरतने के निर्देश दिए थे। इसका असर हुआ और शुक्रवार को आरटीओ दीपक मांझी लाव-लश्कर के साथ जावरा रोड पर सेजावता फंटे के पास पहुंच गए और वाहनों की चैकिंग की। अपराह्न करीव सवा तीन बजे पूछे जाने पर उन्होंने हरमुद्दा को बताया कि उनके द्वारा सुबह 11.45 बजे कार्रवाई शुरू की गई थी जो करीब तीन घंटे तक चली। उन्होंने बताया कि उनके द्वारा तीन बसों पर कार्रवाई की गई थी। आरटीओ के अनुसार 1 बस का परमिट निरस्त करने के लिए परिहवन आयुक्त को लिखा जा रहा रहा है। बताया जा रहा है कि उक्त बस के चालक-परिचालक सहित अन्य द्वारा आरटीओ से काफी हुज्जत की गई थी। कार्रवाई के दौरान नीमच और रतलाम की एक-एक बस सहित तीन बसें परिवहन कार्यालय भेजी गईं थी जिनमें से एक स्थानीय बस कुछ ही देर बाद रवाना कर दी गई थी। बाकी दो बसें अपराह्न साढ़े तीन बजे बाद तक कार्यालय परिसर में खड़ी थीं।

सूचना में सिर्फ 1 बस का जिक्र वह भी अधूरा

देर शाम जनसंपर्क विभाग के माध्यम से परिवहन विभाग की मुस्तैदी की जानकारी साझा की गई। इसमें पहले दिन 38 वाहनों की चैकिंग कर 12 वाहनों पर 46 हजार 500 रुपए जुर्माना करने का दावा किया गया। इसके अलावा दो वाहनों में स्पीड गवर्नर नहीं होने से फिटनेस निरस्त किए गए। एक लोडिंग वाहन में 26 सवारियां ढोई जाने पर जब्त किया गया। इसके अलावा एक बस जब्त करने का भी जिक्र है। यह बस कहां से कहां चलती है और उसमें क्या कमियां मिलीं, इसका खुलासा नहीं किया गया। विभाग ने स्पीड गवर्नर विहीन वाहनों के बारे में भी कोई खुलासा नहीं किया कि कौन से वाहन हैं और न ही यह बताया गया है कि कार्रवाई के दौरान परिवहन कार्यालय भेजी गईं तीन में से दो बसों का क्या हुआ?

दलालों की सक्रियता पर बरती सख्ती हुई काफूर

अभी तक परिवहन विभाग में दलालों की सक्रियता रोकने को लेकर पूर्व के कलेक्टरों द्वारा काफी सख्ती बरती गई थी। यह सख्ती अब नजर नहीं आती। नतीजतन यहां दलालों का जमावड़ा फिर लगने लगा है। सूत्रों का कहना है कि यदि किसी को अपना काम जल्दी कराना है तो दलालों से संपर्क कर सकते हैं जिनका जमावड़ा यहां अपराह्न साढ़े तीन से चार बजे बाद लगना शुरू हो जाता है। यही वजह है कि लंच से पहले तक सुनसान रहने वाले दफ्तर में शाम को ज्यादा चहल-पहल नजर आती है। सभी जरूरी काम भी इसी दौरान संपादित होते हैं।

दुर्जन बने ‘सज्जन’, अब भी विभाग में ही जमे

सूत्रों के अऩुसार विभाग के एक ‘सज्जन’ अपने कृत्यों के कारण ‘दुर्जन’ की श्रेणी में आ गए थे। उन पर तत्कालीन कलेक्टर बी. चंद्रशेखर द्वारा सख्त कार्रवाई भी की गई थी। भ्रष्टाचार में लिप्त ये ‘सज्जन’ अभी भी कार्यालय में सक्रिय बताए जाते हैं। सूत्रों की माने तो विभाग का पत्ता भी इनकी अनुपस्थिति के बिना नहीं हिलता।

रिकॉर्ड रूम में रद्दी का ढेर बनता रिकॉर्ड

लाइसेंस, आरसी या फिटनेस आदि के लिए आवेदन कर रहे हैं तो उसकी फोटोकॉपी का एक सेट अपने पास जरूर सुरक्षित रखिए। वजह यह कि भूल-भुलैया की तरह बने परिवहन विभाग में ‘हर काम’ सभी से छिपा कर किया जाता है और काफी गोपनीयता बरती जाती है लेकिन उसका रिकॉर्ड उतना ही बेतरतीब और लावारिस है। रेकॉर्ड रूम में दस्तावेज रद्दी के बंडल के रूप में देखे जा सकते हैं।

… और ये है आरटीओ माझी की सफाई

जिला परिवहन अधिकारी दीपक मांझी

उपरोक्त मामलों में आरटीओ दीपक मांझी का कहना है कि चालानी कार्रवाई के बाद वाहन छोड़ना सामान्य प्रक्रिया है। हालांकि वे यह नहीं बता सके कि छोड़ी गई बसों पर क्या कार्रवाई या जुर्माना किया गया। भ्रष्टाचार में लिप्त कतिपय कर्मचारी के अभी भी विभाग में काम करने को लेकर उनका कहना है कि स्टाफ प्रॉपर अनुमति होने के बाद ही काम करता है। वे यह नहीं बता सके कि उक्त कर्मचारी को काम करने को लेकर अनुमति किस के द्वारा दी गई है। अव्यवस्थित रिकॉर्ड रूम को व्यवस्थित करने के सवाल पर भी उनके द्वारा स्थिति स्पष्ट नहीं की गई है।

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