जघन्य एवं सनसनीखेज प्रकरण में फैसला : गवाह पलट गए फिर भी बलात्कारी को 10 वर्ष के कठोर कारावास की सजा
हरमुद्दा
रतलाम, 14 मार्च। गवाह पलटने के बाद भी बलात्कारी को विशेष न्यायाधीश तरुण सिंह ने 10 साल के कठोर कारावास की सजा आरोपी विक्रम पिता नारजी डामोर उम्र 25 वर्ष सोमारूण्डी कलां थाना सरवन जिला रतलाम को सुनाई। प्रकरण में पैरवी सुशील कुमार जैन डीडीपी, अनिल कुमार बादल डीपीओ एवं विशेष लोक अभियोजक गौतम परमार ने की।
विशेष लोक अभियोजक पॉक्सो एक्ट गौतम परमार ने हरमुद्दा को बताया कि 04 फरवरी 2017 को अवयस्क पीड़िता बड़े पापा के लड़के की शादी में आयी हुई थी और रात करीब 3 बजे वह अकेली अपने घर वापस जा रही थी। इसी दौरान रास्ते में आरोपी विक्रम ने उसे पकड़ लिया। डरा धमकाकर बोला कि यदि चिल्लायी तो जान से खत्म कर दूंगा। उसे खींच कर पास के खेत में ले गया। उसके साथ बलात्कार किया। पीड़िता को धमकी दी कि यह बात किसी को बताई तो उसे और उसके परिवारवालों को जान से खत्म देगा।
समाज में बदनामी के डर से गर्भवती की छुपाई जानकारी
उक्त घटना के लगभग 3-4 माह बाद पीड़िता को मालूम पड़ा कि वह गर्भवती है परंतु समाज में बदनामी के डर से उसने उसके साथ हुई घटना व गर्भवती होने बारे में किसी को नहीं बताया। 04 अक्टूबर 2017 को रात में लगभग 10 बजे उसके पेट में दर्द होने पर उसने अपनी माँ को बताया कि उसके पेट में गठान है इसलिए उसे दर्द हो रहा है। तब उसके माता-पिता मोटर सायकिल पर बैठाकर उसे सरकारी अस्पताल सैलाना ले गए, जो वहां से रात्रि में ही उसे एबुलेंस से अग्रिम ईलाज हेतु शासकीय अस्पताल रतलाम रवाना किया इस दौरान रास्ते में ही पीड़िता ने शिशु को जन्म दिया। माता-पिता के कहने पर ऐंबुलेस वाले ने रास्ते से ही वापस उन्हें उनके गांव छोड़ दिया।
बदनामी के डर से शिशु को पाल में छिपाया
घर पर पीड़िता से माता-पिता के पूछने पर उसने आरोपी विक्रम द्वारा बलात्संग किए जाने की जानकारी दी। सुबह जल्दी उठ कर पीड़ित ने समाज में बदनामी के डर से अपने नवजात शिशु को गांव में ही स्थित खेत के किनारे पर बनी पत्थरों की पाल में छिपा दिया परंतु गांव वालों को मालूम होने पर थाने पर सूचना दी। तब पुलिस ने शिशु को बरामद कर ईलाज के लिए अस्पताल ले गई तथा पीड़िता के इस कृत्य के लिए उसके विरूद्ध थाने पर प्रकरण दर्ज किया गया था। तथा दिनांक 10 अक्टूबर 2017 को पीड़िता द्वारा अपने साथ अभियुक्त विक्रम द्वारा कि गई घटना पुलिस को बताई। जिस पर से पुलिस थाना सरवन पर अभियुक्त विक्रम डामोर के विरूद्ध अपराध क्र. 207/2017 पर प्रकरण पंजीबद्ध पर विवेचना में लिया गया।
प्रसूति संबंधी साक्ष्य किए संकलित
विवेचना के दौरान पीड़िता का मेडिकल करवाया जाकर मेडिकल साक्ष्य तथा पीड़िता के उम्र संबंधी दस्तावेजी साक्ष्य एवं पीड़िता की प्रसूति संबंधी साक्ष्य संकलित की गई। अभियुक्त विक्रम को 12 अक्टूबर 2017 का गिरफ्तार कर अभियुक्त का मेडिकल करवाया। साक्ष्य तथा पीड़िता एवं उसके माता-पिता व अन्य साक्षीगणों के कथन लिए गए। विवचेना में आवश्यक साक्ष्य संकलित की जाकर दिनांक 25 अक्टूबर 2017 को अभियोग पत्र आरोपी विक्रम के विरूद्ध धारा 376(2)(आई) 506 भादवि तथा 5जे(2)] 5एल/6 पॉक्सो एक्ट में तैयार कर 27 अक्टूबर 2017 को विशेष न्यायालय में पेश किया गया।
माता-पिता ही पलट गए गवाही देने से
विचारण के दौरान पीड़िता सहित महत्वपूर्ण साक्षी उसके माता-पिता ने घटना का समर्थन नहीं किया और पक्षद्रोही हो गए परंतु पीड़िता की उम्र के संबंधी साक्ष्य से उसका अवयस्क प्रमाणित होना तथा अपराध के संबंध मे उसकी सहमति का महत्वहीन हो जाना एवं मेडिकली वैज्ञानिक साक्ष्य जिसमें डीएनए जांच रिपोर्ट से अभियुक्त विक्रम का पीड़िता से जन्मे नवजात शिशु का पिता होना प्रमाणित होने के आधार पर मामला सिद्ध पाते हुए न्यायालय द्वारा अपने निर्णय 13 मार्च 2021 को अभियुक्त विक्रम पिता नारजी डामोर को दोषसिद्ध पाते हुए धारा 376 भादवि में 7 वर्ष का कठोर कारावास व 5000 रुपए अर्थदण्ड एवं धारा 5 (जे II)/6 पॉक्सो अधिनियम में 10 वर्ष का कठोर कारावास व 5000 रुपए अर्थदण्ड से दण्डित किया गया।
जघन्य एवं सनसनीखेज श्रेणी
प्रकरण को राज्य शासन द्वारा जघन्य एवं सनसनीखेज श्रेणी में चिह्नित किया गया था जिसकी सतत् निगरानी एवं पर्यवेक्षण पुलिस अधीक्षक गौरव तिवारी द्वारा की जा रही थी।