“चुप्पी” बताएगी खुद को असहज, बेबस समझना यह एक बीमारी है, महामारी नहीं
शार्ट फ़िल्म “चुप्पी” का हुआ प्रीमियर
हरमुद्दा
रतलाम, 24 मार्च। मासिक धर्म के समय होने वाली शर्म, झिझक और खुद को असहज, बेबस समझना यह एक बीमारी है, महामारी नहीं। इसी सोच को महिलाओं में बदलाव लाने के उद्देश्य से 3 मिनट 40 सेकंड की शॉर्ट मूवी चुप्पी का निर्माण 3 दिन में किया गया। फ़िल्म का उद्देश्य यह है कि प्रत्येक युवतियां, महिलाएं आजाद खुले विचार से बिना किसी घबराहट या झिझक के साथ वह अपनी इस चुप्पी को तोड़ने में सक्षम हो।
सृष्टि समाज सेवा समिति एवं तेजस्वी दल द्वारा गुरुकृपा प्रोडक्शन हाउस के सहयोग से जैथ पब्लिक स्कूल में बनाई गई फ़िल्म का प्रीमियर शो नारायणी पैलेस में हुआ।
यह थे अतिथि
मुख्य अतिथि समाज सेवी गोविंद काकानी, विधिक सलाहकार (एडवोकेट) प्रीति सोलंकी, पतंजलि युवा भारत के जिला प्रभारी विशाल कुमार वर्मा, प्रोफ़ेसर डॉ.मंगलेश्वर जोशी, समाजसेवी विजय रांकवा, शासकीय विनोबा विद्यालय की वाइस प्रिंसिपल मीनाक्षी परिहार उपस्थित सदस्यों के अभिभावक उपस्थित रहे।
चुप्पी को तोड़ने में पुरुष वर्ग का सहयोग भी महत्वपूर्ण
समिति के सतीश टाक ने हरमुद्दा को बताया कि यदि एक महिला इस चुप्पी को तोड़े तो वह समाज की हर महिला को प्रोत्साहित करेगी। इस चुप्पी को तोड़ने पुरुष वर्ग का सहयोग भी महत्वपूर्ण है। महिलाएं शारीरिक और प्राकृतिक प्रक्रिया को छुपाने की कोशिश करती है। ग्रामीण क्षेत्रों में आज भी महिलाएं सेनेटरी नैपकिन पैड का उपयोग नहीं के बराबर कर पाती हैं। इसके उपयोग की जानकारी का अभाव भी कारण है, जिससे उन्हें बीमारियां अपनी चपेट में ले लेती है। फ़िल्म के माध्यम से गांव-गांव में जाकर प्रोजेक्टर के माध्यम से फिल्म बताकर चुप्पी तोड़कर जनजागृति लाने के लिए तेजस्वी दल बड़े स्तर पर अभियान चलाएगी। महिलाओं में जनजागृति एवं स्वस्थ समाज के निर्माण व मासिक धर्म के विरुद्ध गलत विचारधारा में बदलाव लाने में शार्ट मूवी चुप्पी कारगर साबित होगी।
यह है फ़िल्म में
फिल्म में बताया गया कि किस प्रकार पहली बार स्कूल की छात्रा को मासिक धर्म होने पर वह अपनी बात किसी को भी नहीं बताती है। गुमसुम बैठी रहती है, तब उसकी सहेली रोशनी आकर उससे पूरी जानकारी लेती है एवं अपनी शिक्षिका के पास ले जाती है तब शिक्षिका बालिका को लेकर कक्षा में जाती है एवं सभी छात्राओं के सामने बताती है कि यह कोई बीमारी नही है यह एक प्राकृतिक प्रक्रिया है क्योंकि हर महिलाओं को मासिक माहवारी होती है इसे हमें छुपाना नहीं है इस चुप्पी को तोड़ना है।
यह थे मौजूद
इस दौरान सृष्टि समाज सेवा समिति सदस्य दिव्या श्रीवास्तव, अर्पित उपाध्याय, योगेश पाटिल, प्रिया पाटिल, पल्लवी टाक, पूर्णिमा पोरवाल, पायल राठौड़, काजल टाक, पंकज टाक, शुभम सिखवाल, कोमोलिका रावल, यामिनी राजावत, हर्षित सोनी, महेंद्र बारूपाल मौजूद थे।