मूर्ख दिवस पर व्यंग्य : अरे ! आप तो सभ्य हैं
आशीष दशोत्तर
आपकी सभ्यता पर किसी को कोई संदेह नहीं होना चाहिए। आप तो सभ्य हैं ही। बल्कि सभ्य से भी सभ्य। सौ फीसदी सभ्य। सभ्यता की ज़िन्दा मिसाल, सभ्य संस्कृति के सच्चे संवाहक। आपसे सभ्य कोई होना भी चाहे तो नहीं हो सकता। आप सभ्यता के जो लक्षण प्रदर्शित करते रहे हैं वे हर किसी के बूते की बात नहीं। आपकी तरह सभ्य होने के लिए सबकुछ दाव पर लगाना पड़ता है।
एक जिम्मेदार नागरिक की तरह आपने समय-समय पर इसका परिचय दिया है। आपको सभ्य न समझने वाले मूर्ख हैं। मूर्ख दिवस वाले नहीं, सच्ची-मुच्ची वाले मूर्ख। ऐसे मूर्ख आपको समय-समय पर कोसते हैं। आपके कामों पर झल्लाते हैं। आपको नसीहतें देते रहते हैं। आपको अपने कुछ कर्तव्य याद दिलाते रहते हैं। अब आप ठहरे मिलनसार। हर किसी के सुख में शरीक होने वाले। शादियों के मौसम आपके यहां किसी की शादी हो या न हो, आपके घर पर नहीं तो रिश्तेदारों में,पड़ौस में, हर जगह आपका दखल रहता है। नहीं रहता तो भी आप बिना मांगी सलाह देने से पीछे नहीं रहते। अपनी सभ्यता का परिचय देते हुए आप शादी वाले को यह सलाह देना नहीं भूलते कि भाई, शादी कहीं भी करें एक मंडप घर के आगे ऐसा लगाएं कि सड़क आधी से ज्यादा रूक जाए।सड़क पर जितने गडढे खोदें जा सके ठीक होगा। वर निकासी हो तो सड़क का यातायात पूरी तरह जाम होना ज़रूरी है। इसी से पता चलता है कि अपना व्यवहार कितना है। अपनी बारात निकले तो कोई किसी भी तरह सड़क पार नहीं कर पाए। नाचने का प्रदर्शन बीच चैराहे पर ही हो।
आपकी सभ्य सलाह में यह भी शामिल रहता है कि रिसेप्शन भी सड़क रोककर ही करें। रिसेप्शन में जितना अधिक हो सके प्लास्टिक का प्रयोग करें। हां ,एक बात खास तौर पर याद रहे,डीजे का अच्छा प्रबंध करें। जितना हो सके अधिक आवाज़ में डीजे बजाएं। हो सके तो आसपास रहने वालों को सोने ही न दें।चार दिन तक लोगों के कान न बजे तो अपने यहां शादी होने का मतलब ही क्या? रिसेप्शन स्थल के बाहर अधिक से अधिक वाहन खड़े हों ताकि लोगों को पता चल सके कि आपकी कितनी पकड़ है। इन वाहनों से यातायात बाधित होना चाहिए।
अपनी सभ्यता को परिचय देते हुए आप न जाने कब से ऐसा ही कर रहे हैं। ऐसी सलाह हर किसी को दिए जा रहे हैं। समझदार कहे जाने वाले लोग आपकी समझदारी को देख हाथ मल रहे हैं। कोई क्षेत्र ऐसा नहीं है जहां आपकी सभ्यता की झलक न मिलती हो। कितने समझदार और कर्तव्यनिष्ठ हैं आप। आपके रहते वाकई हम जैसे मूर्खों को किसी तरह की चिंता नहीं है। आपकी सभ्य शैली ने सभ्यता के मायने ही बदल दिए हैं। हकीक़त में सभ्य मूर्ख बन रहे हैं और आप सभ्यता के नए प्रतिमान गढ़ रहे हैं।