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बात डराने वाली नहीं, हकीकत : रतलाम में सैकड़ों संक्रमित लोग मौन गीत गा रहे हैं आओ हुजूर! तुमको सितारों में ले चलूं…

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🔲 जिम्मेदारों को कोई फिक्र नहीं है आमजन की, मर्जी आपकी जीना है या मरना

🔲 2,000 से अधिक सैंपल की रिपोर्ट नहीं आई अब तक

🔲 सैंपल देने वाले घूम रहे हैं खुलेआम

🔲 हेमंत भट्ट

रतलाम, 7 अप्रैल। बात बिना वजह से डराने वाली नहीं है बल्कि हकीकत है। रतलाम शहर में सैकड़ों लोग संक्रमण को लेकर घूम रहे हैं। कौन इनके संपर्क में आ रहा है, किसी को नहीं पता। संक्रमण फैलाने वाले की चैन लगातार बढ़ रही है। संक्रमित हुए लोग मौन गीत गा रहे हैं “आओ हुजूर तुमको सितारों में ले चलूं”। जिला प्रशासन को भी आमजन की कोई फिक्र नहीं है। आमजन को जीना है या मरना है, मर्जी है आपकी।

तथ्यात्मक बात यह है कि 6000 से अधिक संक्रमित हो चुके हैं। 103 की मौत हो चुकी है। 2000 से अधिक सैंपल की रिपोर्ट आना अभी शेष है। इसमें से कितने संक्रमित लोग हैं। यह तो रिपोर्ट के बाद ही पता चलेगा लेकिन वह सभी लोग सैंपल देकर खुलेआम घूम रहे हैं और लोगों को संक्रमित कर रहे हैं। पता चलने के बाद तो लोग दूरी बना लेते हैं, होम आइसोलेट कर दिया जाता है लेकिन जब तक परिणाम नहीं आएंगे, तब तक वह जगह-जगह
कोरोना वायरस का बम विस्फोट करते रहेंगे और प्रशासन कुछ भी नहीं कर पाएगा।

लोग जागरूक, लेकिन जांच नहीं

मुद्दे की बात तो यह है कि कोरोना वायरस फैलने के कारण लोगों में डर है, जागरूकता है और वह जांच करवाने के लिए हर दिन सेंटर पर जा रहे हैं, लेकिन जांच नहीं हो पा रही है। परिणाम आने में तीन-तीन चार-चार दिन लग रहे हैं। पेंडिंग सैंपल की संख्या लगातार बढ़ रही है। 2 अप्रैल को जहां 810 सैंपल की रिपोर्ट आना शेष थी, वही 4 अप्रैल को संख्या 1252 हो गई , 5 अप्रैल को 1583 और 6 अप्रैल को 2027 सैंपल की रिपोर्ट आना शेष बताई गई। जिम्मेदार लोग समय पर जांच नहीं करवा पा रहे हैं और नहीं उसकी रिपोर्ट दे पा रहे हैं। मंगलवार को भी शासकीय रिपोर्ट रात 12:45 बजे जारी की गई। जबकि अन्य जिलों में शाम 6 से 7 तक रिपोर्ट जारी कर दी जाती है। रतलाम में कोरोना वाली रिपोर्ट जारी करने में रोज देर हो रही है। मरने वालों की जानकारी भी चार चार दिन बाद दी जा रही है। ऐसा लापरवाही का आलम स्वास्थ्य अमले में चल रहा है, लेकिन जिला प्रशासन के आला अफसर कान में तेल डाले हुए सोए हैं। वही जिम्मेदार जनप्रतिनिधि भी केवल पिंडोला करके आ रहे हैं।

आमजन में है यह भी चर्चा

आमजन में चर्चा है कि अब मेडिकल कॉलेज की डीन ने तो पहले ही हाथ झटक दिए है और वह पॉजिटिव हो गई है मगर हकीकत कौन जाने? यह सब मगजमारी से दूर रहने के लिए बहाना बनाया हो। जबकि वैक्सीन दो बार लग चुकी है। यह बात गले नहीं उतरती है। यदि पॉजिटिव हुई है तो उनका क्या उपचार चल रहा है, उनकी रिपोर्ट हर दिन देना चाहिए। उनका वीआईपी उपचार चल रहा है या वह भी सामान्य वार्ड में ही भर्ती है, कौन जाने?

एक घर से गई है दो-दो की जाने

अदृश्य कोरोना एक्सप्रेस पूरे शहर में अपने शिकार को तलाश रही है और आमजन तो पता भी नहीं चल रहा है और वह संक्रमण की गिरफ्त में आ रहे हैं। संक्रमित होने वालों का आंकड़ा लगातार बढ़ रहा है। चिंता की लकीरे लोगों के चेहरे पर साफ देखी जा सकती है जिनके परिजन अब इस दुनिया में नहीं रहे हैं। कोरोना वायरस के खतरनाक मंजर का आलम तो यह है कि परिवार में कोरोना वायरस से दो दो मौतें हो रही है। 3 दिन में मां और बहन को खो चुके हैं। सरकारी आंकड़ों के अनुसार अब तक जिले में 103 महिला पुरुषों की जान चली गई है। जबकि मुक्तिधाम के रिकॉर्ड चीख चीख कर चिल्ला रहे हैं कि कितने कोविड शव अंतिम संस्कार के लिए आए हैं। सबक सिखाने के लिए इतना काफी है, फिर भी ना तो कहीं सोशल डिस्टेंसिंग नजर आ रही है। नहीं प्रशासन की कसावट नजर आ रही है।

ऐसा भी हुआ है पॉजिटिव महिला का दे दिया शव परिजनों को

करीबी लोगों ने बताया कि भाभी जी का रिपोर्ट 28 मार्च को पॉजिटिव आया था और उपचार के दौरान उनका निधन हो गया। शव परिजनों को सौंप दिया। घर ले गए। घर पर शव को नहलाया धुलाया और फिर अंतिम संस्कार किया गया। इससे कितने परिजन संक्रमित हुए होंगे यह तो भगवान ही जाने?

गत वर्ष हुआ था बेहतर नियंत्रण

लोगों का कहना है कि जिम्मेदार आमजन को संभालने में नाकारा साबित हो रहे हैं और संक्रमण की रफ्तार तेजी से बढ़ रही है। जबकि गत वर्ष जिला प्रशासन ने बेहतर नियंत्रण कर दिया था।

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