रंग तेरस: कुमावत समाज में हुआ परंपरा का पालन, रंगीन हुए घर आंगन
हरमुद्दा
रतलाम, 3 अप्रैल। एक पखवाड़े से रंगों से खेलने का सिलसिला चल रहा है। होली, धुलेंडी और रंग पंचमी के बाद धार्मिक आयोजन में फाग उत्सव की धूम मची हुई है। रंगों की उमंग का पर्व बुधवार को मेवाड़ा पंचायत कुमावत समाज नेे रंग तेरस के रूप में मनाया। कुमावत समाज ने राजस्थान की परंपरा का पालन किया। घर आंगन और मोहल्ला रंगों से सराबोर हो गया।
बुधवार को उत्सव की परंपरा के पालन में कुमावत समाज ने सिलावटों का वास में दो दिवसीय पर्व की शुरुआत हुई। बुधवार को पहले दौर में रंग तेरस पर्व सांस्कृतिक उल्लास और सदभावना के साथ मनाया। आयोजन में बच्चे, बूढ़े और जवान महिलाएं, युवतियां आदि सभी ने रंगों से खेलते हुए सौहार्दपूर्ण वातावरण में एक दूसरे को रंग लगाया है। हालांकि कुमावत समाज द्वारा होली, धुलेंडी और रंग पंचमी भी मनाई जाती है किंतु राजस्थानी संस्कृति में कुमावत समाज के लिए रंग तेरस का भी खासा महत्व है।
उन्हें किया शामिल
रंग तेरस पर समाज के पदाधिकारी और वरिष्ठजन उन परिवारों में गए, जहां पिछले एक साल में निधन हुआ, वहां पर परिजनों को रंग डालकर उत्सव की गेर में शामिल किया गया। रंगों से खेलने वाले गेर के रूप में निकले। हालांकि कुमावत समाज का पुरा मोहल्ला है, जिसे सिलावटों का वास कहते हैं। वहां पर रंग तेरस की खुमारी दोपहर बाद से छाई हुई थी बच्चे सुबह से रंग लेकर घूम रहे थे। लेकिन सिलावटों का वास के अलावा भी समाज के लोग अन्यत्र बसे हैं, उन्हें रंग लगाने के लोग वाहनों पर घूमते नजर आए। रंग खेलने के लिए पानी के ड्रम मकानों के आगे भरे हुए थे। दोपहर बाद रंग खेलने की उमंग शुरू हुई। गेर में समाज के पटेल भरतलाल घोड़ेला, समाज सदस्य भेरूलाल सिरोठा, महेश सिरोठा, जीवन, कृष्णकुमार, हरिशंकर, हेमंत सहित सैकड़ों महिला पुरुषों ने हिस्सा लिया।
दूसरे दौर में होगा डंडे का खेल
पहले दिन के उत्सव के दूसरे दौर में बुधवार रात को समाज के मंदिर के सामने ढोल की थाप पर युवाओं द्वारा डंडे खेले जाएंगे। प्रसाद स्वरूप सेंव का वितरण होगा।
होली मिलन 4 को
श्री सिरोठा ने बताया कि उत्सव के दूसरे दिन गुरुवार को शाम को सभी समाजजन गाजे बाजे के साथ अमृतसागर बगीचे में जाएंगे। वहां पर होली मिलन समारोह होगा। परंपरा अनुसार बेन बेटियों, बहुओं को उपहार स्वरूप वस्तुएं दी जाएगी। बगीचे से समारोह पूर्वक समाजजन समाज की धर्मशाला में आएंगे, जहां “गोठ” सामूहिक भोजन होगा।