“जी” में समाया पूरा संसार
आशीष दशोत्तर
तकनीकी ज्ञान अपनी सफलता की चाहे जितनी शेखी बघारता रहे , मगर अपने अनुभवजन्य ज्ञान का मुकाबला नहीं कर सकता। तकनीकी ज्ञान क्षणिक है, मगर अपना ज्ञान सत्य। तकनीकी ज्ञान तकलीफों की तह में जाने पर मिलता है और वह भी पल-पल में अपग्रेड होता रहता है। अपना ज्ञान ‘ ठोकर से ठाकुर ‘ बनाता है, और एकदम पक्का होता है।
ज्यादा दूर न जाएं। अभी आप सभी की टकटकी के केंद्र 5 जी को ही लीजिए । तमाम अटकलों , अवरोधों, अंतर्विरोधों और तिकड़मों के बाद भी तकनीकी ज्ञान 5G का श्री गणेश नहीं कर पा रहा है , मगर अपने जीवन में 5G का प्रवेश कभी का हो चुका है। प्रवेश तो ठीक, अपना तो जीवन ही 5जी पर टिका हुआ है । अपने जीवन की सुख-शांति ,सद्भाव और समन्वय 5 जी पर ही निर्भर है। यह 5G हमारे जीवन का आधार है। इसी के दम पर हमारा सुखमय संसार है।
सुनो ‘जी’ –
यह अपने जीवन का प्रथम और अनिवार्य जी है । सुप्रभात से लेकर शुभ रात्रि तक का समय इसके प्रभाव पर ही कायम रहता है। इस जी की अवहेलना अपने संसार में सुख की समाप्ति का संकेत देती है । समझदार लोग इस ध्वनि को सुनते ही सक्रिय हो जाया करते हैं और इसके बाद कहे जाने वाले प्रत्येक शब्द को आदेश मान कर्तव्यपथ पर अग्रसर जाते हैं।
क्यूं ‘जी’
यह अपने जीवन का दूसरा जी है, जो पहले जी की अवहेलना और उपेक्षा से उत्पन्न होता है । इसकी ध्वनि तल्ख़ और गति तीव्र होती है। जो नासमझ पहले जी को हल्के में लेते हैं , उन्हें दूसरे जी का मुकाबला करना ही पड़ता हैं । इस जी में कई सारे ख़तरे भी मौजूद रहते हैं । इसे टेकल न करने पर ही जीवन में ‘घमासान’ का प्रवेश होता है।
लो ‘जी’
दूसरे जी के बाद उत्पन्न विकट स्थितियों का परिणाम होता है यह तीसरा जी। दूसरे जी का गुस्सा इस तीसरे जी में ही निकालता है। अब तक लंबित पड़े सारे काम इसी में पूर्ण होते हैं । इसमें आदेश और नाराज़गी का भाव निहित होता है। मुश्किल काम भी इस जी में सरलता से पूर्ण हो जाते हैं। इस जी का जिसने निष्ठा से पालन कर लिया समझो उसका बेड़ा पार।
न काहू से दोस्ती, न काहू से बैर
हां ‘जी’
यह जी हमें सदैव सुरक्षित रखता है।
हां जी- हां जी करने में समझो अपनी खैर।
इस जी को जो गांठ बांधकर चलता है, वह कभी असफल नहीं होता। इसकी भी जय और उसकी भी जय। सही पर भी हां जी, ग़लत पर भी हां जी। किसी को नाराज़ न करने का भाव इसमें निहित रहता है। इस जी को जो अपने साथ रखता है उसे जीवन में कभी दुश्मनों का सामना नहीं करना पड़ता। सभी उसके मित्र होते हैं। उससे किसी को तकलीफ नहीं होती।
सर ‘जी’
यह नौकरीपेशा लोगों की प्रगति के लिए अनिवार्य होता है। इसे इस्तेमाल कर ‘नौकर’ कभी ‘नौकरशाह’ भी बन सकता है। आत्मसम्मान का ढिंढोरा पीटने वाले लोग इसे ‘जी हुजूरी’ भी कहते हैं , मगर हुजूर को खुश रखने के लिए यह जी बहुत काम आता है । कई अकुशल कर्मचारी इस जी के बल पर अपनी पूरी नौकरी कुलतापूर्वक पूर्ण कर लेते हैं । इन्हें न कभी नोटिस मिलता है, न कभी इनका इंक्रीमेंट रुकता है। निलंबन तो बहुत दूर की बात है । यह जी सेवाकाल में कई बार श्रेष्ठ कर्मचारी का सम्मान भी दिलवा देता है। अब एक इंसान को इससे अधिक चाहिए भी क्या? एक जी में इतने लाभ हो तो कोई क्यों न इसे बोले।
अपने इस 5 जी के आगे तकनीकी ज्ञान वाले सारे 5 जी फेल हैं कि नहीं?
आशीष दशोत्तर