तबादला नीति से नाखुश शिक्षक संगठनों ने पारदर्शिता को लेकर भी सवाल उठाए
शिक्षक संगठनों ने बताया तबादला नीति को विसंगतिपूर्ण
तबादला नीति में संशोधन की मांग
हरमुद्दा
भोपाल,13 जुलाई। स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा हाल ही में घोषित तबादला नीति से शिक्षक संगठन खुश नहीं है। शिक्षक संगठनों ने तबादला नीति को विसंगतिपूर्ण बताते हुए इसमें संशोधन की मांग की है। मप्र शिक्षक कांग्रेस ने इस नीति के मुताबिक तबादलों में पारदर्शिता को लेकर भी सवाल उठाए हैं। यदि एक ही स्कूल में डीपीआइ और जिला शिक्षा अधिकारी किसी शिक्षक का स्थानांतरण कर देते हैं तो डीपीआइ का आदेश मान्य किया जाएगा।
मध्य प्रदेश शिक्षक कांग्रेस के प्रांतीय प्रवक्ता सुभाष सक्सेना ने इस संदर्भ में तर्क दिया कि मप्र शासन के सामान्य प्रशासन विभाग द्वारा 1 जुलाई से 31 जुलाई तक स्थानांतरण पर लगी रोक हटा ली गई और निर्देश में यह कहा था कि स्कूल शिक्षा विभाग चाहे तो अपनी पॉलिसी अलग से बना सकता है। इसी क्रम में स्कूल शिक्षा विभाग द्वारा तबादलों को लेकर सोमवार को दिशा-निर्देश जारी किए, जिसके अनुसार जिले के भीतर स्थानांतरण जिला शिक्षा अधिकारी प्रभारी मंत्री के अनुमोदन से कर सकेंगे और अंतर जिला स्थानांतरण विभागीय मंत्री के अनुमोदन से डीपीआई आयुक्त करेंगे।
25 से 31 जुलाई तक डीईओ कर सकेंगे तबादले
प्रांतीय प्रवक्ता के मुताबिक इसमें एक तकनीकी समस्या यह है कि समस्त रिक्त पदों की जानकारी पूरे प्रदेश से डीपीआइ द्वारा मांगी गई है। डीपीआई अंतर जिला स्थानांतरण पर उन रिक्त पदों पर स्थानांतरण करेंगे। साथ ही स्कूल शिक्षा विभाग ने अपने निर्देश में यह भी कहा है कि 25 जुलाई से 31 जुलाई तक जिला शिक्षा अधिकारी जिले के भीतर ट्रांसफर करेंगे। यदि एक ही स्कूल में डीपीआइ और जिला शिक्षा अधिकारी किसी शिक्षक का स्थानांतरण कर देते हैं तो डीपीआइ का आदेश मान्य किया जाएगा। ऐसी स्थिति में जिले से जिले में शिक्षक ट्रांसफर नहीं करवा पाएंगे और अंतर जिला के स्थानांतरण हो पाएंगे। विभाग के दिशा-निर्देशों से शिक्षकों और अधिकारियों में भ्रम की स्थिति बनी हुई है। अत: संगठन का कहना है कि 2019 में जिस प्रकार डीपीआइ द्वारा ही जिले के भीतर और अंतर जिला स्थानांतरण किए गए थे, उसी प्रकार किए जाएं, ताकि उक्त तकनीकी समस्या नहीं आए।
दो साल पहले 35 हजार हुए थे ट्रांसफर
शिक्षक कांग्रेस का कहना है कि दो साल पहले तात्कालीन स्कूल शिक्षा मंत्री प्रभुराम चौधरी के कार्यकाल में करीब 35 हजार शिक्षकों के स्थानांतरण ऑनलाइन किए गए थे, जबकि प्रदेश भर से 70 हजार शिक्षकों ने आवेदन किए थे। इससे हालात यह हो गए थे कि ग्रामीण क्षेत्र में शिक्षकों की कमी हो गई थी, जबकि अधिकांश शिक्षक शहरों में ज्यादा हो गए थे। विभाग के ऑनलाइन आदेश निकाले जाने से मैदानी स्तर पर यह पता नहीं चल पाता है कि शिक्षकों के नियम अनुसार ट्रांसफर हुए है या नहीं। ऑनलाइन आदेश निकलने से अन्य शिक्षक विरोध नहीं कर पाते हैं।