गुरु के बिना मनुष्य का जीवन शून्य : डॉ. चांदनीवाला 

 गुरु पूर्णिमा के पावन पर्व पर योग गुरुओं का किया सम्मान

हरमुद्दा
रतलाम, 24 जुलाई। गुरु के बिना मनुष्य का जीवन शून्य है, क्योंकि गुरु ही हमें हमेशा अंधकार से प्रकाश की ओर लाकर मनुष्य जीवन की गलतियों को रोककर सही मार्ग पर चलने की प्रेरणा देता है। मनुष्य को जीवन में गुरू बनाना चाहिए, जिससे उसकी पीठ पर हमेशा गुरुओं का हाथ रहता है।

यह विचार भारतीय संस्कृति के वेत्ता एवं साहित्यकार डॉ. मुरलीधर चांदनीवाला ने व्यक्त किए। डॉ. चांदनीवाला शास्त्री नगर सांई मंदिर स्थित सभागृह में गुरू पूर्णिमा के पावन पर्व पर योग गुरुओं के सम्मान समारोह में बतौर मुख्य अतिथि के रूप में मौजूद थे। कार्यक्रम में साहित्यकार इन्दु सिन्हा ने गुरु वंदना पर रचना प्रस्तुत की। योगधाम के मिश्रीलाल सोलंकी ने स्वागत भाषण देते हुए कार्यक्रम की रूपरेखा प्रस्तुत की।

तो मिलती है अकाल मृत्यु से मुक्ति : व्यास

कार्यक्रम के अध्यक्ष वरिष्ठ पत्रकार मोहन व्यास ने कहा कि गुरु पूर्णिमा रात्रि में चंद्रमा के दर्शनकर अर्घ्य देने और भगवान शिव की साधनाकरते हुए महामृत्युजंय का पाठ करने से अकाल मृत्यु से मुक्ति मिलती है। डॉ. प्रदीप बी. कोठारी ने कहा कि गुरु ही हमें ज्ञान के धरातल पर खरा उतरने के लिए प्रेरणा देता है। प्रो. डी.के. शर्मा द्वारा ने भी विचार व्यक्त किए । 

इनका किया गया सम्मान

अतिथियों द्वारा डॉ. कोठारी, डॉ. प्रकाश चौपड़ा, युवा योग गुरु विकास चौपड़ा, योग गुरु मधु बैरागी का शाल श्रीफल व योगधाम पुस्तिका की तस्वीर भेंट कर सम्मानित किया।

अतिथियों का किया स्वागत

कार्यक्रम में अतिथियों का स्वागत महावीर सिंह सक्तावत, विरेन्द्रसिंह रघुवंशी, हस्तिमल चौपड़ा, सुभाष चत्तर, हेमंत व्यास, महेन्द्रसिंह सिसौदिया, दीपा पुंजावत, प्रियंका बाफना, जयश्री मूणत एवं लीना व्यास ने किया।

यह थे मौजूद

कार्यक्रम में भंवरलाल चपड़ौद, भरत त्रिवेदी, सत्यनारायण मंत्री, रतन जोशी, अजय आचार्य आदि योग साधक उपस्थित थे। सरस्वती वंदना रामचन्द्र अम्बर गेहलोत द्वारा प्रस्तुत की गई। संचालन गौरीशंकर खिंची ने किया। आभार डॉ. प्रकाश चौपड़ा ने माना।

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