उत्सव की परंपरा के निर्वहन में चार पीढ़ियां : राठौर परिवार का अद्भुत रक्षाबंधन उत्सव
प्रकृति के सान्निध्य में लिया मालवी व्यंजन का लुत्फ
हरमुद्दा
रतलाम, 22 अगस्त। स्नेह, मिलन, संस्कार , संस्कृति और परम्परा का निर्वहन ही त्यौहार होता है। इस परम्परा को राठौर परिवार सालों से वखूबी निभाता आ रहा है। इस परंपरा में परिवार को इंतजार रहता है तो सिर्फ राखी पर्व का। सामाजिक सरोकार वाले इस पर्व के साक्षी बनते है राठौर परिवार के चार पीढ़ियों के भाई बहन और उनके बच्चे। भांजे भांजे, भतीजे भतीजी, मामा मामी।
वेद व्यास कॉलोनी निवासी जयेश राठौर की माने तो इंदौर, पूना, धार, दिल्ली, मुंबई, हैदराबाद, देवास, भोपाल व शाजापुर से बहन भाई राखी पर्व मनाने तय स्थान पर पहुंचते है। राखी के तीन दिन पहले परिवार के सदस्यों का पहुंचना शुरू हो जाता हैं । रतलाम निवासी इस परिवार का नम्बर हर तीसरे साल आता है।
इस वर्ष यह परिवार रतलाम के गढ़खखई माता जी में प्राकृतिक हरियाली की वादियों में राखी पर्व मनाया। जहां भाई – बहनों के पवित्र रिश्तों का पर्व रक्षाबंधन के साथ मालवी व्यंजनों के साथ पारिवारिक मिलन समारोह भी हुआ। परिवार का पर्व पर एक साथ मिलन कर मनाने से आने वाली पीढी को भी परिवारिक एकता और भाईचारे का संदेश मिलता है।