ऐसे सुख को नकार दो जो जीवन को तबाह करें:पद्मभूषण रत्नसुन्दर सूरीश्वर जी
हरमुद्दा
रतलाम,18 अप्रैल। राज प्रतिबोधक पद्मभूषण आचार्य श्रीमद विजय रत्नसुन्दर सूरीश्वरजी म.सा. ने गुरुवार के प्रवचन में कहा कि सत्ता,संपत्ति, वैभव,प्रतिष्ठा शायद सबको नहीं चाहिए, मगर सुख सबको चाहिए। सुख कौन सा स्वीकार करें और कौन सा अस्वीकार करें, ताकि हमारी भवयात्रा सुखमय हो। इसके लिए ऐसे सुख को नकार दो जो जीवन को तबाह करने वाला हो।
आचार्यश्री ने सैलाना वालो की हवेली,मोहन टाकीज में
“सुख का इनकार है यदि”विषय पर 11 दिवसीय प्रवचनमाला को संबोधित करते हुए कहा कि
किसी के हाथ में पत्थर है और उसे नीचे फेका तो चींटी मर सकती है,ऊपर फेका तो कबूतर घायल हो सकता है, कुत्ते को मारा तो कुत्ता भौंक सकता है, भाग सकता है, अगर वही आदमी पर फेंके तो वह सह लेंगा या वापस मार सकता है और चाहे तो उसी पत्थर को मूर्ति भी बना सकता है। सब कुछ मनुष्य के हाथ में है। उसे चाहिए कि जीवन को तबाह कर दे,ऐसे सुख की कामना नहीं करे।
उत्थान के लिए युग चाहिए, किन्तु पतन के पल ही काफी
उन्होंने कहा कि एक शैक्षणिक संस्था में होनहार तैयार होते है। उन्हें बड़े-बड़े पैकेज की नोकरी मिलती है, मगर व्यथा यह है कि उस संस्था के 80% बच्चे व्यसन के शिकार हो जाते हैं। केरियर के चक्कर में अपने बच्चों का कैरेक्टर तबाह न होने दे। याद रखे उत्थान के लिए युग चाहिए और पतन के लिए पल ही काफी होता है। इसलिए सबको जीवन, परिवार, समाज, प्रतिष्ठा और स्वास्थ्य को खत्म करने वाले सुख को नकारना निश्चित करना होगा।
अच्छे रास्ते से सम्पत्ति का उपार्जन मुश्किल
आचार्य श्री ने धन दौलत में सुख ढूंढने वालों के लिए कहा कि बटवारा कम संपत्ति में नही बल्कि ज्यादा में होता है। इसलिए ऐसे सुख को भी नकार दो, जो दीवार बना दे, ऐसी संपत्ति और पैसा भी बेकार है । अच्छे कार्य में संपत्ति का उपयोग करना सरल है, मगर अच्छे रास्ते से संपत्ति का उपार्जन बहुत कठिन है।
मोबाइल से दूरी का जतन जरूरी
मोबाइल के बढ़ते उपयोग पर उन्होंने कहा कि आजकल परिवार के सभी सदस्य सभ्य घर होते हुए भी अपने-अपने मोबाइल पर व्यस्त रहते है। इससे परिवार बट रहे हैं। परिवार को बचाना है, तो मोबाइल से दूरी बनाने का पराक्रम करना ही पड़ेगा। आचार्यश्री ने जीवन मे ऐसा नियम बनाने का आह्वान किया कि बिना मेहनत का सुख कदापि नहीं होना चाहिए। संचालन मुकेश जैन ने किया।
प्रसिद्धि-शुद्धि-सिद्धि” पर शुक्रवार को व्याख्यान
प्रवचनमाला का समापन 19 अप्रैल को होगा। अंतिम दिन का विषय”प्रसिद्धि-शुद्धि-सिद्धि” रहेगा।